नई दिल्ली: सत्ता के शिखर पर पहुंचने की और वहां बैठने के बाद सत्ता बरकरार रखने की इच्छा हर सियासी मुखिया की होती है. होना स्वाभाविक भी है. महाराष्ट्र की सत्ता के शिखर पर पहुंच चुके देवेंद्र फडणवीस के सामने सत्ता बरकरार रखने के साथ ही शिखर पर खुद को बनाएं रखने की भी चुनौती है. बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन के बावजूद दोनों दलों की तरफ से सीएम 'अपना' होने का दावा किया जा रहा है.


फडणवीस ने चुनाव की घोषणा से पहले ही दावा किया था कि वे ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. महाराष्ट्र की सियासत पर पैनी नजर रखने वाले स्पष्ट देख रहे हैं कि कैसे पिछले पांच साल में विपक्ष की हर रणनीति को धराशायी करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने अपनी सरकार चलाई. इतना ही नहीं टिकट बंटवारे में पार्टी में अपने विरोधियों को भी चित कर दिया. अब वह बीजेपी की तरफ से चेहरा बन चुके हैं. तमाम विरोधियों को किनारे लगा चुके हैं.


कुछ इस तरह 'अपनों' को निपटाया
यूं समझ लीजिए फडणवीस की कड़ी परीक्षा का वक्त उसी समय से शुरू हो गया था जब मराठा दावेदारों के बीच ब्राह्मण समाज फडणवीस शिखर पर पहुंच गये थे. देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना सरप्राइज था. दिवंगत बीजेपी नेता प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे के साथ महाराष्ट्र में बीजेपी की जमीन तैयार करने वालों में से एक पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे 2014 के चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन पार्टी ने उन्हें किनारे कर देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी कराई. इसके बाद अबकि बार खड़से की जगह उनकी बेटी को बीजेपी ने टिकट दिया. देवेंद्र फणनवीस के 'प्रतिद्वंदी' विनोद तावड़े को भी बीजेपी ने इस बार उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक तावड़े बतौर मंत्री काफी विवादित रहे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी उनकी अनबन रहती थी. उनको नितिन गडकरी खेमे का आदमी माना जाता था. टिकट न मिलने से तावड़े नाराज तो नजर आये लेकिन कहा कि वे पार्टी के लिए वफादारी से काम करते रहेंगे. फडणवीस सरकार में मंत्री रहे घाटकोपर ईस्ट से विधायक प्रकाश मेहता को इस साल चंद महीने पहले ही कैबिनेट से बाहर किया गया था. अबकि बार टिकट भी नहीं मिला. मीडिया रिपोर्ट में इन्हें फणनवीस से दिक्कत थी.


महाराष्ट्र के सियासी हलकों में माना जाता है कि फडणवीस पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व की आंखों का तारा बन चुके हैं. महाराष्ट्र के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के चयन के लिए उनका सीधा दखल था. ऐसे में पहले कांग्रेस और एनसीपी जैसी विरोधी पार्टी के बड़े नेताओं को बीजेपी में लाकर उन्होंने पार्टी के बाहर अपने दुश्मन खत्म किये और अब पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंदियों को टिकट न देकर उन्हें भी ठिकाने लगा दिया है. इसी वजह से फडणवीस बड़े आत्मविश्वास के साथ कहते हैं मैं फिर से सीएम बनकर आऊंगा.


महाराष्ट्र में अगर एनडीए गठबंधन सत्ता में आता है तो मुख्यमंत्री किस पार्टी का बनेगा ? ये सवाल इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि शिवसेना ने अपनी दशहरा रैली में फिर एक बार सीएम की कुर्सी पर दावा ठोक दिया है. शिवसेना की सालाना दशहरा रैली में उदधव ठाकरे के भाषण से पहले सांसद संजय राउत ने भाषण दिया. भाषण में उन्होंने कहा कि अगले दशहरे पर उद्धव ठाकरे के बगल में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बैठा दिखेगा. राउत का इशारा उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य की तरफ था जो मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड रहे हैं. ठाकरे परिवार से चुनाव लडने वाले आदित्य पहले शख्स हैं और उन्हें सीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा रहा है.


कितनी संपत्ति के मालिक हैं देवेंद्र फडणवीस?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामे में 3.86 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की. हलफनामें के मुताबिक उनके पास 3.78 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है. जबकि यह साल 2014 में 1.81 करोड़ रुपये थी. वहीं मुख्यमंत्री के पास 17 हजार पांच सौ रुपये नकदी है. वहीं बैंक अकॉउंट की बात करें तो उनके पास 8 लाख 29 हजार 665 रुपये जमा हैं. जबकि बैंक में साल 2014 में उनके पास 1,19,630 रुपये जमा था. इसके साथ ही फडणवीस ने 2 करोड़ 33 लाखरुपये शेयर में निवेश किया है. वहीं उनकी पत्नी के अमृता फड़नवीस के पास 99.3 लाख रुपये की अचल संपत्ति है. 2014 में यह राशि 42.60 लाख रुपये थी. वहीं उनकी पत्नी ने 2.33 करोड़ रुपये शेयर में निवेश कर रखे हैं जो पिछली बार 1.66 करोड़ रुपये थी. उसके पास 12,500 रुपये नकद हैं, और 3,37,025 रुपये की बैंक जमा राशि भी है. बैंक जमा राशि साल 2014 में 1,00,881 रुपये थी. साफ है कि मुख्यमंत्री फडनवीस की संपत्ति पिछली बार से ज्यादा है. साल 2014 में फडणवीस की अचल संपत्ति एक करोड़ 81 लाख रुपये थी जबकि इस बार 3.86 करोड़ रुपये है. फडणवीस के कार्यालय का दावा है कि रीयल एस्टेट की कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते फडणवीस की अचल संपत्ति में इजाफा हुआ है. इसी तरह साल 2014 में फडणवीस के पास 50 हजार रुपये नकद थे, जबकि एक लाख 19 हजार रुपये बैंक खाते में थे.