महाराष्ट्र: भाई के सामने बहन, चाचा के सामने भतीजा और भाई के सामने भाई, कई सीटों पर एक ही परिवार में दंगल
महाराष्ट्र में ऐसे कई परिवार इस बार चुनाव मैदान में हैं जो अपने घरेलू निर्वाचन क्षेत्र को जीतने के लिए एक दूसरे के खिलाफ जा रहे हैं. लड़ाई केवल विधानसभा सीट के लिए नहीं है, बल्कि दावा राजनीतिक विरासत पर है.
नई दिल्ली: भारतीय राजनीति में परिवारवाद शुरू से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है. लोग अपने परिवार के लोगों को टिकट दिलाने से लेकर चुनाव जिताने तक हर कोशिश करते हैं. लेकिन कई बार मामला तब उलट हो जाता है जब सत्ता के लिए एक ही परिवार के लोग आमने-सामने आ जाते हैं. महाराष्ट्र में भी ऐसे कई परिवार इस बार चुनाव मैदान में हैं जो अपने घरेलू निर्वाचन क्षेत्र को जीतने के लिए एक दूसरे के खिलाफ जा रहे हैं. चाहे वह दो भाई-बहनों के बीच राजनीतिक विरासत की लड़ाई हो या चाचा-भतीजे की राजनीतिक प्रतियोगिता, महाराष्ट्र में कई सीटों के लिए यह चुनाव एक पारिवारिक मामला है. हम आपको इन्हीं परिवारों के बारे में बताने जा रहे हैं.
शाही लड़ाई अहेरी, विदर्भ
महाराष्ट्र का अहेरी विधानसभा क्षेत्र जो छत्तीसगढ़ की सीमाओं से सटा है और माओवादी उग्रवाद से प्रभावित है, वहां दो पूर्ववर्ती शाही परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई देखने को मिलेगी. मंत्री अंबरीश राव अत्रम, जिन्हें निर्वाचन क्षेत्र में 'महाराज' के नाम से जाना जाता है, को उनके चाचा धरमरावबाबा अत्रम के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा गया है. बर्मिंघम से बिजनेस लॉ की पढ़ाई करने वाले अंबरीश ने 2014 में अपने चाचा को हराया था और बाद में फडणवीस सरकार में राज्य मंत्री बने थे. इस बार उनके चाचा ने उन्हें चुनौती दी है जो एनसीपी के साथ हैं.
15 साल का झगड़ा निलंगा, मराठवाड़ा
लातूर के निलंगा में बीजेपी के हाई प्रोफ़ाइल मंत्री संभाजी पाटिल निलंगेकर भी अपने चाचा अशोक को चुनौती देंगे. अशोक को संभाजी ने 2014 के चुनाव में 27,000 से अधिक वोटों से हराया था. अशोक पूर्व सीएम शिवाजी पाटिल निलंगेकर के बेटे हैं, जो संभाजी के दादा हैं. संभाजी के पिता दिलीप के निधन के बाद परिवार का झगड़ा 2004 के आसपास शुरू हुआ और तब से जारी है. 2004 में, संभाजी ने पहली बार अपने दादा को हराया था.
परिवार में विद्रोह पुसद, विदर्भ
नाइक परिवार के दो चौथी पीढ़ी के सदस्य यवतमाल की पुसद सीट के लिए एक-दूसरे से लड़ेंगे, जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व में दो सीएम कर चुके हैं और हमेशा कांग्रेस या एनसीपी के साथ रहे हैं. राज्य के सबसे लंबे समय तक सीएम वसंतराव नाइक और उनके भतीजे सुधाकरराव नाइक जो पूर्व सीएम भी हैं, ने पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. इस बार वसंतराव के पोते और विधायक व पूर्व मंत्री मनोहरराव नाइक के बेटे इंद्रनील, बीजेपी के निलय नाइक (ये भी वसंतराव के पोते हैं) का सामना करेंगे.
भाईयों में संग्राम मान, पश्चिमी महाराष्ट्र
कांग्रेस के जयकुमार गोरे पिछले महीने बीजेपी में शामिल हुए थे और लगातार तीसरी बार मैदान में हैं. लेकिन उनके अपने भाई शेखर ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया है. 2009 में जयकुमार ने पहली बार निर्दलीय के रूप में यह सीट जीती था. इस बार दोनों भाई क्षेत्र में वर्चस्व के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. एनसीपी द्वारा समर्थित निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी प्रभाकर देशमुख की उपस्थिति ने प्रतियोगिता में और दिलचस्पी बढ़ा दी है.
चाचा बनाम भतीजा बीड, मराठवाड़ा
शिवसेना के मंत्री जयदत्त क्षीरसागर जो पहले एनसीपी के साथ थे इस बार अपने भतीजे और एनसीपी उम्मीदवार संदीप के खिलाफ मैदान में हैं.
विरासत युद्ध परली, मराठवाड़ा
आगामी चुनाव में सबसे भयंकर लड़ाई परली में होगी बीजेपी की वरिष्ठ मंत्री पंकजा मुंडे चचेरे भाई और विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे के खिलाफ मैदान में हैं. दोनों के बीच लड़ाई केवल विधानसभा सीट के लिए नहीं है, बल्कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता (दिवंगत) गोपीनाथ मुंडे की राजनीतिक विरासत पर दावा है.
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