महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र में भले ही बीजेपी और शिवसेना गठबंधन के तहत एक साथ चुनाव लड़ रहीं हैं. लेकिन राज्य की एक सीट ऐसी है जहां ये गठबंधन लागू नहीं है. ये सीट है कोंकण की कणकवली जहां बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने हैं. दोनों ने ही पार्टियों ने अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारे हैं. दोनों पार्टियों के बीच इस सीट पर बात नहीं बन पाई....और इसकी वजह हैं नारायण राणे.


शिवसेना के पुरज़ोर विरोध के बावजूद बीजेपी ने आख़िरकार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को अपना लिया है. कणकवली में नितेश राणे की प्रचार सभा में नारायण राणे ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष पार्टी का बीजेपी में विलय किया. कार्यक्रम में मौजूद सीएम फडणवीस ने कहा कि नारायण राणे के आने से कोंकण में बीजेपी मजबूत होगी. फडणवीस ने इस दौरान शिवसेना को लेकर सीधे तौर पर कोई बयान नहीं दिया. हालांकि अपनी सरकार बनाने की कोशिश में जुटे देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को इशारों ही इशारों में कह दिया कि कणकवली से नितेश राणे की जीत होगी और शिवसेना की हार.


देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा, ''कणकवली में 60-65 फीसदी वोट नितेश को मिलेंगे और बाकियों को 30-35 फीसदी वोट.'' इस बारे में नारायण राणे ने कहा कि ''मैं कोंकण, महाराष्ट्र के विकास के लिए बीजेपी में आया हूं.''


नितेश राणे का मुकाबला शिवसेना के सतीश सावंत से


महाराष्ट्र की कुल 288 सीटों का जो बंटवारा बीजेपी और शिवसेना के बीच हुआ है उसमें 124 सीटों पर शिवसेना के उम्मीदवार हैं और बाकी 164 सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दल के उम्मीदवार हैं. इस बंटवारे के बावजूद शिवसेना ने अपने हिस्से की 124 सीटों के अलावा बीजेपी के खाते की 2 सीटों पर भी अपने उम्मीदवार हैं. इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों के सामने शिवसेना के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. ये दोनों सीटे हैं माण और कणकवली की. इसमें कणकवली के मुकाबले पर सबकी नजरें टिकी हुईं हैं जहां बीजेपी के नितेश राणे का मुकाबला शिवसेना के सतीश सावंत से हो रहा है.


1995 से लेकर 2014 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा था. 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के उम्मीदवार नितेश राणे की जीत हुई. वही नितेश राणे इस बार बीजेपी की टिकट पर इस सीट से चुनाव के लिये उतरे हैं. नितेश राणे दिग्गज नेता नारायण राणे के बेटे हैं और यही वजह है कि शिवसेना ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा है. नारायण राणे से शिवसेना को नफरत 2005 से है जब वे शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में चले गये और जाते जाते उद्धव ठाकरे को काफी भला बुरा बोल कर गये.


नितेश राणे को शिकस्त देने के लिये शिवसेना पूरा जोर लगा रही है. वहीं राणे के लिये भी ये नाक का मुद्दा है. अगर ये एक सीट भी उनके हाथ से निकल गई तो महाराष्ट्र में उनके सियासी अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जायेगा.


कौन हैं नारायण राणे?


शिवसेना से अपने करियर की शुरूआत करने वाले नारायण राणे शिखर पर उस वक्त पहुंचे जब फरवरी 1999 में तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया. राणे 258 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे. नारायण राणे राज्य की सियासत के एक ऐसे शख्स हैं जो 14 साल के भीतर 4 पार्टियां बदल चुके हैं. राणे के सियासी करियर की शुरूआत शिवसेना से हुई थी, लेकिन उसके बाद वे 3 और पार्टियों से जुड़े. साल 2017 में उन्होंने कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी और महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई थी. राणे इस वक्त बीजेपी के समर्थन से राज्यसभा के सांसद हैं.


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