नई दिल्ली: चुनावी समर में सत्ता के शिखर पर कौन पहुंचेगा, यह तो वक्त के गर्भ में छुपा है. धर्म और जाति का कॉकटेल अक्सर चुनावी मौसम में खूब चढ़ता है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की महाराष्ट्र में 2014 से ही दिलचस्पी बढ़ गई है. पूरे जोर शोर से लगे हुए हैं. प्रकाश अंबेडकर की पार्टी से वंचित बहुजन अघाड़ी का समझौता नहीं हो पाया. इसीलिए चुनावी मैदान में ओवैसी अब सिर्फ मुस्लिम वोटरों के भरोसे रह गए हैं. वैसे उनकी पार्टी के होर्डिंग और बैनरों पर बाबा साहेब अंबेडकर के भी फोटो लगे होते हैं. इनकी रैली में जय मीम के साथ जय भीम के नारे भी लगते हैं.
साल 2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी को शानदार जनादेश मिला था. लेकिन 1960 के बाद जबसे महाराष्ट्र राज्य अस्तित्व में आया था, ये पहली बार था जब मुस्लिमों को राज्य मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. राज्य में बीजेपी को इतना बड़ा बहुमत मिलने का एक बड़ा कारण भी यही था कि अन्य पार्टियों का मुस्लिम कार्ड उस चुनाव में नहीं चला था. महाराष्ट्र में मुस्लिम वोटर 40 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है.
महाराष्ट्र – धर्म
· कुल आबादी – 11.23 करोड़ (11,23,74,333)
· हिंदू – 8.97 करोड़ (79.82%)
· मुस्लिम – 1.29 करोड़ (11.54%)
· ईसाई – 10.80 लाख (0.96%)
· सिख – 2,23,247
· बौद्ध – 65.31 लाख (5.81%)
· जैन – 14.00 लाख (1.24%)
· अन्य – 1,78,965
महाराष्ट्र के करीब 1.30 करोड़ मुसलमान मतदाता राज्य की 11.24 करोड़ जनसंख्या का 11.54 प्रतिशत हैं. उत्तरी कोंकण, खानदेश, मराठवाड़ा और पश्चिमी विदर्भ में मुसलमानों की संख्या अधिक है. मुस्लिम समुदाय करीब 40 विधानसभा क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें मुंबई की सीटें भी शामिल हैं. कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को मुस्लिम मतदाताओं के लिए स्वाभाविक पसंद माना जाता रहा है. मुस्लिम बीजेपी के परंपरागत वोटर नहीं रहे हैं. भले ही मुसलमानों ने परंपरागत रूप से कांग्रेस-एनसीपी के लिए वोट दिया है, लेकिन यह समुदाय कांग्रेस-बीजेपी-एनसीपी से खुद को अलग करने की कोशिश भी कर रहा है. कांग्रेस-एनसीपी के साथ राजनीतिक असंतोष और मोहभंग की बढ़ती भावना की वजह से मुस्लिमों को आगामी चुनावों में राजनीतिक विकल्प के रूप में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, वंचित बहुजन अघाड़ी और समाजवादी पार्टी की ओर झुकते देखा गया है.
मुस्लिम विधायकों की संख्या लगातार घट रही है
नांदेड़ में ओवैसी ने कहा कि सेक्यूलरिज़्म की छोड़िए, अपने लोगों को जिताना है. उनके ‘अपने’ का मतलब मुसलमानों से है. महाराष्ट्र विधानसभा में मुस्लिम विधायकों का प्रतिनिधित्व लगातार कम रहा है, यह इस समुदाय के लिए बड़ा मुद्दा है. 1990 के बाद से मुस्लिम उम्मीदवार को तभी टिकट दिया जाता है जब वह मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा होता है. 2014 के विधानसभा चुनावों में, नौ मुस्लिम विधायकों में से आठ मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए हैं. एनसीपी के हसन मुशरिफ इसके अपवाद हैं, जिन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र के एक निर्वाचन क्षेत्र कागल से जीत दर्ज की. शिवसेना-बीजेपी के टिकट पर राज्य में कोई भी मुस्लिम विधायक नहीं है जो अभी महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा में मुस्लिम विधायक
1962- 11
1967- 9
1972- 13
1978- 11
1980- 13
1985- 10
1990- 7
1995- 8
1993- 13
2004- 11
2009- 11
2014- 9
2014 की तरह बीजेपी ने इस बार भी महाराष्ट्र में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है.
महाराष्ट्र
कुल सीटें- 288
विधानसभा का कार्यकाल- 9 नवंबर तक
वोटर्स-8.94 करोड़
बीजेपी सत्ता में
मुकाबला- बीजेपी-शिवसेना गठबंधन Vs कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन
लोकसभा चुनाव के आधार पर किसे कितनी सीटों पर बढ़त?
एनडीए – 233
बीजेपी – 121
शिवसेना – 112
यूपीए - 44
कांग्रेस - 21
एनसीपी – 23
अन्य पार्टियां – 11
युवा स्वाभिमान पार्टी – 4
बहुजन विकास पार्टी – 3
एआईएमआईएम – 2
स्वाभिमानी पार्टी – 1
महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी - 1