Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महासंग्राम जैसी स्थिति पनप गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां महायुति (एनडीए) और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच फिलहाल यही सवाल खड़ा है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. सीएम से जुड़े यक्ष प्रश्न पर सिर फुटव्वल की आशंका है. ऐसे में अटकलें हैं कि जो दल गठजोड़ में घटक के तौर पर दूसरों को साथ दिख रहे हैं, कहीं वे ही अंदर ही अंदर एक दूसरे के खिलाफ न हो जाएं.     


चुनाव की तारीखों का भले ही ऐलान न हुआ हो मगर एनडीए में सीएम फेस को लेकर खटपट पोस्टर वॉर के रूप में नजर आने लगी. बारामती जिले में गणेश पंडालों में हाल ही में डिप्टी-सीएम और एनसीपी (अजित गुट) के मुखिया अजित पवार के भावी सीएम होने से जुड़े पोस्टर लगा दिए गए. वैसे, यह कोई पहला मौका नहीं था जब अजित पवार के भावी सीएम वाले पोस्टर लगाए गए हों. पहले भी उनकी पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं की ओर से ऐसे ही पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं. 


देवेंद्र फडवणीस को भी बता दिया गया भावी CM


इस बीच, नांदेड़ जिले में दूसरे उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के "भावी सीएम" चस्पा (बीजेपी पदाधिकारियों ने) कर दिए गए. महायुति में छिड़े पोस्टर वॉर पर विपक्षी गठबंधन एमवीए की ओर से टिप्पणी आई. कांग्रेस के सचिन सावंत बोले कि महायुति के नेताओं को आपस में सीएम के लिए नहीं बल्कि नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए लड़ना चाहिए, क्योंकि चुनाव के बाद एमवीए सरकार आने वाली है. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के आनंद दुबे ने तंज कसा और कहा, "जब ये सत्ता में नहीं आ रहे तब ऐसा हाल है. सोचिए, जब पूर्ण बहुमत की सरकार बन रही होती तो क्या हाल होता! अच्छा है, मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने दीजिए."


पोस्टर वॉर पर बीजेपी का क्या आया रिएक्शन? 


बीजेपी के प्रवीण दरेकर ने महायुति में छिड़े पोस्टर वॉर पर कहा, "हर पार्टी के कार्यकर्ताओं को लगता है कि उनके नेता सीएम बनें. ऐसे में तीनों दलों को लगता है कि उनके नेता को बड़ा पद मिले पर हम लोगों में कोई मतभेद नहीं है. चुनाव के बाद सीएम तो महायुति का ही बनेगा. हमारे बीच एमवीए जैसा अलग अलग मत नहीं है. 


उद्धव ठाकरे का यू-टर्न, बीजेपी ने उड़ाई खिल्ली


सियासी संग्राम से पहले पूर्व सीएम और शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखिया उद्धव ठाकरे ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने न सिर्फ हर किसी को चौंकाया बल्कि पॉलिटिकल पारा भी चढ़ा दिया. अहमदनगर के कोपरंगाव में जनसभा के दौरान वह बोले, "मैं सीएम का ख्वाब नहीं देख रहा हूं. पहले भी नहीं देखता था और अब भी नहीं." उनके इस बयान के बाद सवाल उठने लगा कि क्या कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी पर शिवसेना का प्रेशर बेअसर साबित हो गया? इस बीच, एनडीए वालों को उद्धव ठाकरे की खिल्ली उड़ाने का मौका मिल गया. भाजपाई बोले कि एमवीए में शरद पवार और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को उनकी असली जगह दिखा दी.


उधर, एमवीए में शामिल कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की साइड ली. बचाव करते हुए कांग्रेस के अतुल लोंढे बोले कि एमवीए में सीएम पद पर कभी झगड़ा न था, न है और न रहेगा. यह चुनाव बाद तय होगा. वहीं, उद्धव ठाकरे ने भले ही बयान दे दिया हो मगर सीएम पद घोषित करने की मांग अक्सर करने वाली यूबीटी और उसके नेता संजय राऊत सोमवार (16 सितंबर, 2024) को इस मुद्दे पर बोलने से बचते दिखे. उन्होंने इसे पुराना मुद्दा बता दिया. 


...तो राजनीतिक विश्लेषकों की ऐसी है राय


पॉलिटिकल एक्सपर्ट अनुराग त्रिपाठी के मुताबिक, मौजूदा समय में जैसी स्थिति है, उस हिसाब से सिर फुटव्वल तो होनी ही है. सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की लाडली बहन योजना को प्रदेश में अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, जिसे उसे लगता है कि वह सत्ता में कमबैक कर सकती है. यह भी एक वजह है कि वह सत्ताधारी गठबंधन में सीएम के लिए दावेदारी तेज हो चली है. सीएम फेस को लेकर अजीब सी कोलाहल है, जिसे लेकर निचले स्तर पर भी काम करने वाले कार्यकर्ताओं में बैचैनी है. तीनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि उनका नेता मुख्यमंत्री होना चाहिए. 


एमवीए को लेकर अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि उद्धव ठाकरे ने सीएम पद पर कदम इसलिए पीछे खींचे क्योंकि कहीं न कहीं कांग्रेस से नाना पटोले और बालासाहेब थोरात ने कांग्रेस आलाकमान तक दावेदारी को मजबूती से जाहिर किया है. दूसरी तरफ शरद पवार चाहते हैं कि राज्य में एमवीए सरकार की ओर से पहली महिला मुख्यमंत्री बने तो वो उनकी बेटी सुप्रिया सुले हो. ऐसे में लगातार शरद पवार की पार्टी महिला सुरक्षा और शक्ति बिल को लेकर जोर दे रही है.


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