पिछले महाराष्ट्र चुनाव में शिवसेना के साथ गठबंधन कर चुनाव जीत चुकी बीजेपी 2024 में भी शिवसेना के साथ गठबंधन में ही है. अजित पवार की एनसीपी के तौर पर एक नया साथी भी बीजेपी को मिल चुका है, लेकिन जिस शिवसेना के बल पर बीजेपी 2019 में चुनाव जीत गई थी, ये शिवसेना वो शिवसेना नहीं है, है शिवसेना ही. इसके बावजूद महाराष्ट्र ने जिस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटिंग हुई है अगर वही पैटर्न विधानसभा चुनाव में भी रहा तो फिर बीजेपी के लिए महाराष्ट्र का ये चुनाव जीतना बेहद ही मुश्किल है. आखिर क्यों, चलिए बात करते हैं थोड़ा विस्तार से.
महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं. इनमें 30 सीटें इंडिया गठबंधन के पास हैं, जिनमें कांग्रेस के पास 13, उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के पास 9 और शरद पवार वाली एनसीपी के पास कुल 8 सीटें हैं. वहीं, एनडीए के हिस्से में 17 सीटें आई हैं, जिनमें 9 सीटें बीजेपी की हैं, 7 सीटें एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना की हैं और 1 सीट अजित पवार वाली एनसीपी की है. वहीं एक सांसद निर्दलीय है, जिन्होंने सांगली से चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को समर्थन कर दिया है. अब इस लोकसभा के नतीजे को विधानसभा के वोटों में ट्रांसलेट करें तो इस आंकड़े से कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक को इस विधानसभा चुनाव में बढ़त मिलती दिख रही है.
महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं और आज की तारीख में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना, शरद पवार वाली एनसीपी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और सीपीएम को मिलाकर बने इंडिया गठबंधन के पास कुल 69 विधायक हैं. लोकसभा के नतीजों को देखें और उसे ही विधानसभा का भी ट्रेंड मान लें तो फिर इन सीटों का आंकड़ा 151 तक पहुंच जाता है, जो महाराष्ट्र में बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है.
बात अगर एनडीए की करें तो आज की तारीख में बीजेपी, एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना, अजित पवार वाली एनसीपी, राम दास अठावले की पार्टी और निर्दलीय विधायकों के आंकड़े को जोड़ दें तो ये संख्या 203 तक पहुंच जाती है. जिस तरह से लोकसभा के नतीजे आए हैं, अगर उन्हें ट्रांसलेट करके वोटरों का मिजाज समझने की कोशिश करें तो दिखता है कि एनडीए गठबंधन की सीटें 128 तक सिमट सकती हैं.
अगर थोड़ा और विस्तार में जाएं और अलग-अलग पार्टियों को मिली लोकसभा सीटों के आधार पर उनकी विधानसभा सीटें तय की जाएं तो दिखता है कि बीजेपी को लोकसभा में कुल 9 सीटें मिली थीं, जो विधानसभा के लिहाज से 79 सीटें हो सकती हैं. एकनाथ शिंदे की शिवसेना को लोकसभा में 7 सीटें मिली थीं, जो विधानसभा के लिहाज से 40 हो सकती हैं. वहीं अजित पवार को लोकसभा में सिर्फ एक सीट मिली, जिसका मतलब है कि उनके पास विधानसभा की कुल 6 सीटें आ सकती हैं. वहीं बात अगर विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन की की जाए तो कांग्रेस की लोकसभा की 13 सीटों का मतलब करीब 63 सीटें हैं जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना की 9 लोकसभा सीटों का मतलब करीब 57 सीटें और शरद पवार की एनसीपी की 8 सीटों का मतलब 34 विधानसभा सीटें हैं.
जाहिर है कि किसी भी पार्टी को अकेले बहुमत नहीं मिल रहा है तो गठबंधन तो रहेगा ही रहेगा.ये गठबंधन महायुती का भी रहेगा और महा विकास अघाड़ी का भी. अब आप नेशनल पॉलिटिक्स के हिसाब से महायुती को एनडीए कह सकते हैं और महा विकास अघाड़ी को INDIA. आपकी मर्जी, लेकिन अभी तक तो गठबंधन यही हैऔर इस गठबंधन में महायुती की सबसे कमजोर कड़ी फिलहाल अजित पवार ही दिख रहे हैं, क्योंकि भले ही अभी अदालत और चुनाव आयोग तय नहीं कर पाए हैं कि असली एनसीपी किसकी है, लेकिन लोगों ने अजित पवार के मुकाबले शरद पवार को ज्यादा सीटें और ज्यादा वोट देकर ये साबित कर दिया है कि उनके लिए तो असली एनसीपी चाचा शरद पवार ही हैं भतीजे अजित पवार नहीं.
कुछ ऐसा ही हाल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का भी है. उनके सामने भी असली शिवसेना वाली चुनौती रही है कि असली शिवसेना एक नाथ शिंदे की है या फिर उद्धव ठाकरे की. इस गेम में भी वोटों के जरिए...सीटों के जरिए उद्धव ठाकरे बाजी मारते हुए दिख रहे हैं, लेकिन ये सब तब होगा, जब कांग्रेस अपना लोकसभा का प्रदर्शन बरकरार रख सके. हरियाणा में भी लोकसभा के आधार पर कांग्रेस के पास बढ़ी बढ़त थी. अगर हरियाणा के लोकसभा के नतीजे के आधार पर देखा जाए तो हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और पांच पर कांग्रेस की जीत हुई. जिन पांच सीटों पर कांग्रेस जीती थी, अगर उसे विधानसभा की सीटों में तब्दील करें तो करीब 45 सीटें होती हैं, लेकिन नतीजों में कांग्रेस को महज 37 सीटें ही मिलीं और कांग्रेस लगातार तीसरी बार भी चुनाव हार गई.
ऐसे में अभी लोकसभा के नतीजों के लिहाज से भले ही कांग्रेस और उसका गठबंधन लीड लेता हुआ दिख रहा हो, लेकिन ये लीड नतीजों तक बरकरार रह पाएगी, इसमें अभी संदेह है. भले ही महाराष्ट्र में INDIA या कहिए कि महाविकास अघाड़ी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अब भी वहां पर पेच तो फंसा ही हुआ है. अगर इसमें कांग्रेस ने छोटी सी भी गलती की तो फिर हरियाणा के नतीजे भी महाराष्ट्र में बीजेपी दोहरा सकती है.
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