आदित्य ठाकरे, ठाकरे परिवार का वो ‘चिराग’ जो पहली बार चुनावी राजनीति में जला और कुंदन बनकर निकला
इससे पहले शिवसेना सरकार में तो थी, लेकिन उनके परिवार से कोई भी सरकार में शामिल नहीं था. शिवसेना के लिए कहा जाता है कि वो रिमोट कंट्रोल के ज़रिए सरकार को कंट्रोल करती रही है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. रुझानों का अंतिम दौर चल रहा है और बीजेपी 102 सीटों पर, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना 57 सीटों पर अपनी बढ़त बनाए हुए है. कुछ वक्त गुज़रने पर आंकड़ों में थोड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन एक बार फिर सत्ता पर काबिज़ होने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर काफी चर्चा हुई थी. आखिर में 164 पर बीजेपी और 124 सीटों पर शिवसेना राज़ी हुई. अब जब चुनावी परिणाम लगभग सामने आ चुके हैं, ऐसे में शिवशेना के तेवर में तब्दीली देखी जा रही है. आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सीएम पद को लेकर बड़ा बयान दिया.
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बीजेपी से 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था- उद्धव ठाकरे उद्धव ठाकरे ने साफ कहा कि महाराष्ट्र का सीएम कौन होगा ये बेहद अहम सवाल होगा, क्योंकि सीएम के लिए दोनों पार्टियों के बीच 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था. उद्धव ठाकरे ने ये भी कहा कि 50-50 फॉर्मूले पर शिवसेना झुकेगी नहीं और बीजेपी के साथ पावर शेयरिंग तय थी.
आदित्य के जीत के क्या है मायने? आदित्य ठाकरे, ठाकरे परिवार का वो चिराग है जो पहली बार चुनावी राजनीति में जला है यानी आदित्य अपने परिवार से पहले शख्स हैं, जो चुनाव लड़े हैं. उनसे पहले उनके परिवार के किसी भी शख्स ने कोई चुनाव नहीं लड़ा था. उन्होंने एनसीपी के अपनी करीबी प्रतिद्वंद्वी सुरेश माने को 67427 वोटों के भारी अंतर से हराया है.
आदित्य ठाकरे की इस बड़ी जीत ने निश्चित ही उनके सियासी कद को बढ़ाया है. चुनावी कैंपेन के दौरान जिस तरह से आदित्य ने खुलकर अपनी ही सहयोगी बीजेपी पर निशाना साधा और कई मुद्दों पर युवाओं के साथ खड़े नज़र आए, उससे वहां की जनता के बीच उनकी एक अलग छवि तैयार हुई.
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इससे पहले शिवसेना सरकार में तो थी, लेकिन उनके परिवार से कोई भी सरकार में शामिल नहीं था. शिवसेना के लिए कहा जाता है कि वो रिमोट कंट्रोल के ज़रिए सरकार को कंट्रोल करती रही है. ऐसे में इस बार के चुनावी नतीजों के बाद ये सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या रिमोट कंट्रोल की ताकत बढ़ेगी?
2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी अलग अलग चुनाव लड़ी थी. 122 सीटों पर बीजेपी, जबकि 63 सीटों पर शिवसेना को जीत मिली थी. चुनाव बाद दोनों पार्टियों में गठबंधन हुआ था और मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि इस बार बीजेपी पिछले चुनाव से कम सीटे लाती नज़र आ रही है, जबकि शिवसेना के प्रदर्शन को अच्छा बताया जा रहा है.