Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब छह दिन ही बचे हैं. ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक है तो सेफ है’ का नारा दिया तो वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया. इन सब के बीच सवाल यह है कि मंत्रियों और नेताओं के प्रचार पार्टी के लिए कितने फायदेमंद साबित होंगे. महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी और महायुति में कौन आगे है. एबीपी न्यूज पर वरिष्ठ पत्रकारों ने बता दिया है.


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर जो समीकरण बन रहे हैं उसे लेकर वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने कहा कि मराठा कंसोलिडेशन महा विकास अघाड़ी की ओर हो रहा है और मनोज जरांगे पाटिल का रातों-रात अपने कैंडिडेट्स के नामांकन को वापस ले लेना यह बता रहा है कि इससे एमवीए को फायदा होगा.


बहुत ही पेचीदा है चुनाव


वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने बताया कि महाराष्ट्र के चुनाव में एआईएमआईएम कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन योगी के रजाकारों वाले मुद्दे ने सीधे-सीधे मल्लिकार्जुन खड़गे पर अटैक किया है. वहीं महाराष्ट्र की महिलाएं यह भी कह रही है कि महंगाई बढ़ गई है क्योंकि सरकार एक हाथ से दे रही है तो दूसरे हाथ से ले भी रही है. उन्होंने कहा कि मराठा भी हिंदू ही है. यह चुनाव हर निर्वाचन क्षेत्र में बदल रहा है. यह बहुत ही पेचीदा चुनाव है. 


भाजपा के बड़ी पार्टी बनकर उभरने की उम्मीद


वही एक और वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र में कांटे का मुकाबला है. लोकसभा चुनाव के परिणाम बताते हैं कि यह कांटे का चुनाव है. दोनों ही गठबंधन का जनाधार एक जैसा है. राज्य में जितने लोग संतुष्ट दिखाई पड़ते हैं उतने ही असंतुष्ट भी देखने को मिलते हैं. मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर संजय कुमार ने कहा कि जितने पॉपुलर उद्धव ठाकरे हैं उतने ही एकनाथ शिंदे भी है. चुनाव में दो-तीन चीज बेहद स्पष्ट है वह यह है कि बीजेपी की बड़ी पार्टी बनकर उभरने की पूरी गुंजाइश है क्योंकि बीजेपी सबसे ज्यादा सीटों पर लड़ रही है. वही महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की गुंजाइश दिखाई पड़ रही है. उन्होंने बताया कि महायुति में सबसे कमजोर कड़ी अजित पवार है. MVA की बात करें तो शिवसेना और एनसीपी एक जैसे मजबूत दिखाई पड़ रहे हैं. 


मोदी ने चार दिन में की 10 रैलियां 


वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने कहा कि जिस तरह का उछाल कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव में था उस तरह का उछाल इस चुनाव में नजर नहीं आ रहा है. राहुल गांधी ने कर्नाटक में रैलियां करी और घोटाले उजागर किए, जिसके रिजल्ट भी राहुल गांधी को देखने को मिले, लेकिन महाराष्ट्र में नरेंद्र मोदी ने चार दिन में 10 रैलियां कर दी है और राहुल गांधी ने तीन दिन में मात्र पांच रैली की है. राहुल गांधी महाराष्ट्र के बजाए वायनाड में ज्यादा नजर आए हैं. महाराष्ट्र में असल मुद्दों पर कोई बात ही नहीं कर रहा है बात तो सिर्फ संविधान की खाली पन्ने पर हो रही है. 


प्रचार में समय नहीं दे रही कांग्रेस 


दिबांग ने बताया कि देवेंद्र फडणवीस मराठवाड़ा जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें वहां आने से रोका जा रहा है और उन्हीं के नेता मना कर रहे हैं कि वह यहां अभी न आएं. मराठवाड़ा में देवेंद्र फडणवीस जा नहीं पा रहे हैं. यानी कि कांग्रेस के पास मुद्दे बहुत है, लेकिन प्रचार में समय नहीं दे रहे हैं और अगर कांग्रेस के पास समय नहीं है और प्रचार में ध्यान नहीं देंगे तो लोग उनके साथ खड़े नहीं होंगे. कांग्रेस लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखने के बाद यह मन बनाकर नहीं बैठ सकती है कि उसने महाराष्ट्र को जीत लिया है.


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