उद्धव ठाकरे बनने की राह पर एकनाथ शिंदे? क्या NCP के साथ मिलकर पका रहे नई 'खिचड़ी', जानें क्यों लग रहे कयास
महाराष्ट्र में अभी जो सियासी समीकरण बन रहे हैं, उन्होंने BJP को 2019 वाली स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. तब बीजेपी को उद्धव ठाकरे से डील करना था, अब एकनाथ शिंदे को मनाने की कोशिश में जुटी है.
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. सीएम के ऐलान और सरकार के गठन को लेकर मुंबई से दिल्ली तक मंथन जारी है. इन सबके बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अचानक सतारा पहुंचकर उन अटकलों को हवा दे दी है, जिनमें उनके नाराज होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या एकनाथ शिंदे पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे बनने की राह पर हैं. एकनाथ शिंदे की नाराजगी की अटकलों को तब और हवा मिल गई जब शुक्रवार को शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र अव्हाड ने उनसे मुलाकात की. हालांकि, जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि उनकी ये मुलाकात निजी कामों की वजह से थी.
अचानक सतारा क्यों रवाना हुए शिंदे?
जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात के बाद शिंदे सतारा जिले में स्थित अपने गांव के लिए रवाना हो गए. यहां वे दो दिन तक रुकेंगे. ऐसे में सरकार गठन को लेकर कोई बैठक होने की संभावना नहीं है. उधर, शिंदे गुट के विधायक उदय सामंत ने बताया कि एकनाथ शिंदे नाराज नहीं हैं, उनकी तबीयत ठीक नहीं है. इसलिए वे सतारा गए हैं.
क्या उद्धव ठाकरे की तरह बीजेपी को झटका देंगे शिंदे?
महाराष्ट्र में अभी जो सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं, उन्होंने बीजेपी को एक बार फिर 2019 वाली स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. तब बीजेपी और शिवसेना (अविभाजित) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और इस गठबंधन ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया था. तब भी बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी. हालांकि, नतीजों के बाद सीएम पद को लेकर उद्धव ठाकरे और बीजेपी में खटपट शुरू हो गई. उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि उनसे चुनाव से पहले अमित शाह ने 2.5-2.5 साल सीएम बनने का वादा किया है. हालांकि, बीजेपी की ओर से इस तरह के किसी वादे से इनकार कर दिया.
इसके बाद उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से दूरी बना ली. तब इसी नाराजगी का फायदा शरद पवार ने उठाया. उन्होंने उद्धव ठाकरे के सामने प्रस्ताव रख दिया और कांग्रेस को भी शिवसेना का समर्थन करने के लिए मना लिया. इसके बाद शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से उद्धव ठाकरे सीएम बने. हालांकि, ढाई साल बाद ही शिवसेना में बगावत हो गई और एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से सीएम बने.
शिंदे के लिए आसान नहीं राह
2019 और 2024 के समीकरण में सिर्फ एक अंतर नजर आ रहा है, वह है नंबर गेम. इस बार महाराष्ट्र में न तो 2019 जैसी स्थितियां हैं और न ही पार्टियों के पास नंबर. तब एनसीपी (54 सीटें) और शिवसेना (56 सीटें) दोनों अविभाजित थीं. कांग्रेस के पास भी 44 सीटें थीं. ऐसे में ये सारे समीकरण उद्धव ठाकरे के पक्ष में गए और वे सीएम बन गए. लेकिन इस बार बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की. महाराष्ट्र में जहां बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए, उनमें से बीजेपी के पास अकेले 132 सीटें हैं. ऐसे में अगर शिंदे कांग्रेस और एनसीपी के दोनों गुटों के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश करते हैं तो उसके लिए भी उन्हें उद्धव ठाकरे के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. हालांकि, यह संभव नजर नहीं आता.