(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत: जहां खड़े थे उद्धव ठाकरे, वहीं पहुंच गए एकनाथ शिंदे!
2019 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर तकरार हो गई थी और उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़ दिया था. आज फिर वही स्थिति आ गई है. हालांकि, महायुति में तकरार जैसी कोई खबर अभी तक नहीं आई है.
महाराष्ट्र के चुनावी आंकड़ों ने शनिवार (23 नवंबर, 2024) को साफ कर दिया है कि एक बार फिर राज्य में महायुति की सरकार बनने जा रही है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है. 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में महायुति 236 सीटों पर आगे है. बीजेपी 132 सीटों पर आगे चल रही है, जिसको शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने अच्छा समर्थन दिया है.
शिवसेना 56 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि एनसीपी 41 पर लीड बनाए हुए है. इस चुनाव में दोनों गुट अपने प्रतिद्वंदी गुटों- शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) से आगे निकल गए हैं. एकनाथ शिंदे और अजित पवार गुट के लिए यह चुनाव 'असली सेना' और 'असली एनसीपी' की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था. हालांकि, एनडीए की जीत के बाद अब सबको इंतेजार इस बात का है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी किसको मिलेगी.
एनडीए में सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट बीजेपी का है और इसके आधार पर बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए जोर लगा सकती है, लेकिन शिवसेना इस बात पर अड़ सकती है कि महायुति ने एकनाथ शिंदे के साथ चुनाव लड़ा, जो कि सरकार का चेहरा हैं और वह इस पर भी जोर दे सकती है कि लाडकी बहीण जैसी योजनाओं और नीतियों के बल पर गठबंधन को बंपर सीटों पर जीत मिली है. इसके अलावा, महायुति के तीनों ही दलों ने अपने क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है. साथ ही तीनों पार्टियों के तीन चेहरे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे, जिनकी मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा चर्चा है, उन्होंने भी अपनी-अपनी सीटों पर बड़ी जीत हासिल की है.
अब महायुति की सिर्फ नंबर एक और नंबर दो की पार्टी की बात करें तो इस वक्त एकनाथ शिंदे उसी स्थिति में है, जैसी स्थिति साल 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे के सामने थी. दोनों दलों ने एकसाथ चुनाव लड़ा था, लेकिन सीएम पर दोनों भिड़ गए थे. उस वक्त बीजेपी ने 105 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली थी. नतीजे आने के बाद दोनों दलों में सीएम पद के लिए तकरार शुरू हो गई थी. उद्धव ठाकरे बारी-बारी से दोनों दलों के लिए सीएम पद चाहते थे, यानी ढाई साल बीजेपी और ढाई साल के लिए शिवसेना के पास सीएम पद हो. हालांकि, बीजेपी ने इस व्यवस्था से इनकार कर दिया थास जिसके बाद शिवसेना ने गठबंधन तोड़ दिया था.
आज पांच साल बाद भी बीजेपी और शिवसेना के आंकड़े वही हैं, जो 2019 में थे. शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट 56 सीटों पर है. अब सवाल ये है कि क्या एकनाथ शिंदे सीएम पद पर समझौता करेंगे. हालांकि, 2019 के मुकाबले इस चुनाव में बड़ा अंतर है क्योंकि बीजेपी ने इतनी सीटें जीत ली हैं कि अगर कोई एक सहयोगी दल साथ छोड़ भी दे तो भी वह जादुई आंकड़ा आसानी से पा लेगी और न ही उसको ये डर है कि सहयोगी दल विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) के साथ मिलकर सरकार बना लेगा क्योंकि एमवीए सिर्फ 48 सीटों पर है. इस वजह से अगर सीएम पद को लेकर एकनाथ शिंदे और बीजेपी में तकरार होती है और शिवसेना अलग हो भी जाती है तो भी बीजेपी एनसीपी के साथ सरकार बना सकती है.