मुंबई का किंग कौन? आधुनिक अभिमन्यु ने कैसे तोड़ा महाराष्ट्र का सियासी चक्रव्यूह
नतीजों के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी अब सबसे बड़ी पार्टी है. राज्य में बीजेपी के कार्यकर्ता देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग भी कर रहे हैं. फडणवीस के लिए यह सुखद पल है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election Results) में बीजेपी ने अभूतपूर्व जीत हासिल की है. महायुति 288 सीटों पर आगे चल रही है. अकेले बीजेपी की बात करें तो 133 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी बढ़त बनाए हुए है. बीजेपी की इस प्रचंड जीत के पीछे संगठन की नीतियां तो हैं हीं... लेकिन, देवेंद्र फडणवीस का भी अहम रोल है. चलिए आज आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि कैसे 'आधुनिक अभिमन्यु' देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र का सियासी चक्रव्यूह तोड़ा और मुंबई का किंग बन गए.
सीटों का सैकड़ा हर बार पार किया
बात, साल 2014 की है. देश में बीजेपी नरेंद्र मोदी के नाम पर अपना परचम लहरा रही थी. वहीं, महाराष्ट्र में बीजेपी की कमान देवेंद्र फडणवीस के हाथों में थी. 2014 में जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए, तब बीजेपी ने 123 का आंकड़ा पार किया. इसके बाद 2019 विधानसभा चुनाव में 105 सीटों पर जीत हुई और इस बार बीजेपी 133 सीटों पर आगे चल रही है. इन तीनों ही चुनावों में देवेंद्र फडणवीस की भूमिका अभिमन्यु की तरह थी, जो लगातार महाराष्ट्र के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ रहे थे.
हर उठापटक में पार्टी की रीढ़ बने
नतीजों के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी अब सबसे बड़ी पार्टी है. राज्य में बीजेपी के कार्यकर्ता देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग भी कर रहे हैं. फडणवीस के लिए यह सुखद पल है. लेकिन, बीते कुछ वर्षों से ऐसा नहीं था. 2019 के बाद से महाराष्ट्र में लगातार सियासी उठापटक होती रही. खासतौर से तब, जब 2019 में जीत के बाद उद्धव ठाकरे ने ढाई-ढाई साल सीएम का फॉर्मूला मांगा.
इसके बाद से ही राज्य की राजनीति बदली और कई बड़े घटनाक्रम हुए. जैसे- अजित पवार साथ आए, फिर वापस गए और फिर अपनी नई पार्टी बनाकर साथ आए. शिवसेना भी टूटी और एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (शिंदे गुट) बना लिया. बीजेपी ने इस गुट के साथ मिलकर राज्य में सरकार भी बनाई. हर बड़े घटनाक्रम के पीछे रणनीति बनाने से लेकर उसको एग्जीक्यूट करने तक, देवेंद्र हर जगह थे.
बगावत नहीं त्याग चुना
शिवसेना के टूटने के बाद जब शिंदे गुट बीजेपी के साथ आया और राज्य में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी, तब सबको लगा कि सीएम देवेंद्र फडणवीस ही बनेंगे. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. मुख्यमंत्री की कुर्सी एकनाथ शिंदे को मिली और पार्टी के आदेश पर देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया. जहां राजनीति में छोटी-छोटी बातों पर नेता बगावत पर उतर जाते हों, उसी राजनीति में देवेंद्र फडणवीस का यह त्याग पार्टी के साथ-साथ महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा. शायद यही वजह है कि इस बार, देवेंद्र फडणवीस की वजह से ही बीजेपी ने महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत हासिल की.
लाडकी बहीण योजना की रणनीति
राजनीति की समझ रखने वालों को पता है कि अगर किसी पार्टी ने महिलाओं के मत को अपने पाले में कर लिया तो उसकी जीत चुनावों में लगभग-लगभग तय होती है. झारखंड और महाराष्ट्र दोनों ही राज्य इसके जीते-जागते उदाहरण हैं. झारखंड में जहां हेमंत सोरेन की जीत में मैया सम्मान योजना का प्रभाव दिखा, वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत में लाडकी बहीण योजना का प्रभाव दिखा. कहते हैं कि इस योजना की शुरुआत, भले ही एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए हुई हो...लेकिन, इसे बनाने और जमीन पर एग्जिक्यूट करने के पीछे देवेंद्र फडणवीस ही थे.
आपको बता दें, इस बार महाराष्ट्र में 3 करोड़ 6 लाख 49 हजार 318 महिलाओं ने वोट दिया. महिलाओं ने पहली बार में इतनी बड़ी संख्या में वोट डाला है. कहा जा रहा है कि महिलाओं के वोट पर्सेंटेज बढ़ने के पीछे लाडकी बहिण योजना ही है. दरअसल, इस योजना के तहत, महाराष्ट्र में महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाते हैं. वहीं, चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दोबारा सरकार बनने पर इस रकम को 1500 से बढ़ाकर 2100 रुपये कर देने का वादा किया था.
देवेंद्र फडणवीस का सियासी सफर
देवेंद्र फडणवीस बीजेपी के सेकंड जनरेशन नेता हैं. दरअसल, इनके पिता गंगाधर फडणवीस पहले जनसंघ और बाद में बीजेपी के नेता रहे. देवेंद्र फडणवीस का सियासी सफर 1989 से शुरू होता है, जब वह संघ की छात्र शाखा एबीवीपी से जुड़े. इसके बाद नागपुर नगर निगम में पार्षद बने और फिर 1997 में सबसे युवा महापौर बने. वहीं साल 1999 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 54 साल के देवेंद्र फडणवीस के करियर में सबसे बड़ा मोड़ साल 2014 में तब आया, जब महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष रहते हुए, उन्होंने पार्टी को राज्य में प्रचंड जीत दिलाई. इसके बाद वह मुख्यमंत्री बनें और महाराष्ट्र को बीजेपी का गढ़ बना दिया.
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