नई दिल्ली: अब शिवसेना ने रुझान को देखते हुए सहयोगी बीजेपी को आंख दिखाना शुरू कर दिया है. शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा है दोनों में सरकार बनाने का फॉर्मुला 50-50 पर तय होगा. संजय राउत ने कहा, 'मैं उद्धव जी से मिलने जा रहा हूं. हम सरकार बनाने जा रहे हैं. हम बीजेपी के साथ गठबंधन में रहेंगे. हमारी सहमति 50-50 के फॉर्मूले पर बनी है.'


महाराष्ट्र के 288 विधानसभा सीटों को लेकर आए रुझान में बीजेपी और उसकी सहयोगी शिवसेना एक बार फिर राज्य में सरकार बनाती हुई दिखाई दे रही है. अभी तक के रुझान में बीजेपी 100 और शिवसेना 64 सीटों पर आगे है. शिवसेना की इस बार साल 2014 से ज्यादा सीट ला सकती है. कांग्रेस 41 और एनसीपी 54 और अन्य 29 पर आगे दिख रही है.


शिवसेना सरकार में रहते हुए भी बीजेपी को आंख दिखाती रहती रही है. सीटों का नुकसान देखकर अब पार्टी के अंदरखाने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व पर भी सवाल उठ सकते हैं. देवेंद्र फडणवीस के सामने अपनी पार्टी में उठने वाले स्वर को साधते हुए शिवसेना को अपने नेतृत्व में मनाना बहुत मुश्किल होगा. उद्धव ठाकरे अक्सर शिवसैनिक को सीएम की कुर्सी पर बैठाने का चुनाव के दौरान कहते रहे हैं. अब सवाल उठ रहा है कि क्या आदित्य ठाकरे के नेतृत्व के लिए बीजेपी पर दबाव बनाया जाएगा?


ठाकरे परिवार बिना चुनाव लड़े ही करीब 4 दशक से महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करता आ रहा है. बाल ठाकरे ना कभी विधायक बने ना कभी सांसद, शिवसेना सत्ता में आई तब भी उन्होंने मुख्यमंत्री का पद नहीं लिया. लेकिन एक लंबे समय तक वो राज्य का सबसे बड़ा चेहरा रहे. बाल ठाकरे के निधन के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे और पोते आदित्य ठाकरे पार्टी की कमान संभाल रहे हैं.


इस बार के विधानसभा चुनाव में शिवसेना में 60 साल पुरानी परंपरा टूटी. आदित्य ठाकरे, ठाकरे परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं जो चुनाव लड़ रहे हैं. आदित्य, मध्य मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से मैदान में हैं. परंपरा ये कि ठाकरे परिवार का कोई सदस्य कभी किसी तरह का चुनाव नहीं लड़ता. 29 साल के आदित्य ठाकरे का सियासी करियर अबसे 9 साल पहले शुरू हुआ था. साल 2010 की सालाना दशहरा रैली में आदित्य के दादा बाल ठाकरे ने उनके हाथ में तलवार थमाते हुए शिवसेना में उनकी औपचारिक एंट्री करवाई थी. उसके बाद उन्हें पार्टी की युवा इकाई युवा सेना का प्रमुख बना दिया गया. जल्द ही पार्टी से जुड़े अहम मामलों में आदित्य को शामिल किया जाने लगा. 2019 के विधानसभा चुनाव में आदित्य के कंधे पर प्रचार की जिम्मेदारी भी थी. शिवसेना उन्हें सीएम के चेहरे के तौर पर पेश कर रही हैं.