Maharashtra Elections: महाराष्ट्र चुनाव के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कांग्रेस ने गलत प्रचार करके जनता को गुमराह किया कि अगर हमें 400 सीटें मिल गईं तो हम संविधान बदल देंगे. हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत के दौरान नितिन गडकरी ने कहा कि न तो हम संविधान बदलेंगे और न ही ऐसा करने की हमारी इच्छा है. दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने बार-बार संविधान बदलने का प्रयास किया. हमें दुष्प्रचार के कारण कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा


गडकरी ने कहा, “महाराष्ट्र में हमारी ताकत बढ़ी है. तीन ताकतें एक हो गई हैं. महाराष्ट्र सरकार ने अच्छा काम किया है, लड़की बहन योजना ने अच्छा असर दिखाया है. इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि महायुति की जीत होगी और हमारी सरकार बनेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 10 साल में गरीबों, महिलाओं और ग्रामीण आबादी के लिए जो काम किया, वह कांग्रेस 60 साल में नहीं कर पाई.


‘गलत प्रचार कर रही कांग्रेस’


गडकरी से जब ये पूछा गया कि आप कह रहे हैं कि आपकी ताकत बढ़ी है, जून में आम चुनाव के दौरान जब महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें कम हुई थीं, तब हम ऐसा क्यों नहीं देख पाए? तब और अब में आपको क्या फर्क दिख रहा है?


जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गलत प्रचार करके जनता को गुमराह किया कि अगर हमें 400 सीटें मिल गईं तो हम संविधान बदल देंगे. न तो हम संविधान बदलेंगे और न ही ऐसा करने की हमारी इच्छा है. दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने बार-बार संविधान बदलने का प्रयास किया. हमें दुष्प्रचार के कारण कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा. अब लोगों को समझ में आ गया है कि संविधान नहीं बदला गया है. मुझे विश्वास है कि हम इस बार अच्छे अंतर से जीतेंगे.


‘शरद पवार ने किया दलों को तोड़ने का काम’


गडकरी ने कहा, “मैं (शरद) पवार का सम्मान करता हूं, लेकिन अगर महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों को तोड़ने का प्रयास किसी ने किया है तो वह पवार हैं. उन्होंने कांग्रेस, शिवसेना और अन्य दलों को तोड़ा. पैसे से ज़्यादा व्यक्ति मायने रखता है, व्यक्ति से ज़्यादा पार्टी मायने रखती है और पार्टी से ज़्यादा दर्शन मायने रखता है. मैंने आपातकाल के दौरान जेपी नारायण से प्रेरित होकर राजनीति में प्रवेश किया. मैं इस पर समझौता नहीं करूंगा. हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने और इसमें गुणवत्तापूर्ण बदलाव लाने के लिए विचारधारा और दर्शन आधारित राजनीति को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है. राजनीतिक दलों में टूट और दलबदल होना आम बात हो गई है. कुछ ऐसे भी हैं जो हर चुनाव अलग-अलग चुनाव चिह्नों पर लड़ते हैं. हर पार्टी को इस प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास करना चाहिए.”


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