Analysis: महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम का बिहार और दिल्ली पर क्या होगा असर?
विपक्ष के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा. सरकार को इस मुद्दे पर जनता का भारी समर्थन माना जाएगा.
नई दिल्ली: 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र और हरियाणा के लोग कतारों में खड़े होकर आने वाले पांच साल कैसे होंगे, इसकी रूपरेखा तय कर दिये. 24 अक्टूबर यानी कल हर सियासी दल के लिए बेहद अहम है. कल का दिन कई सियासी रूपरेखा तय करेगा. यह चुनाव बीजेपी के लिए भी बेहद खास है. चुनाव का बिगुल बजते ही वादों, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा. तमाम ऐसे मुद्दे पहली बार बाहर आए जिन पर देश व्यापी चर्चा हुआ.
अनुच्छेद 370 पर जनता की मुहर इस चुनाव का परिणाम सूबे की सरकारों के बीते पांच साल के कामकाज पर मुहर होगा. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अनुच्छेद 370 को दोनों राज्यों के करीब करीब हर रैली में मुद्दा बनाए. इसके जरिए विपक्ष को घेर रहे थे. एबीपी न्यूज सी वोटर एग्जिट पोल के मुताबिक दोनों राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व में प्रचंड जीत मिलती दिख रही है. यदि ऐसा वास्तविक चुनाव परिणाम में भी होता है तो बीजेपी अनुच्छेद 370 पर सरकार के रूख को जनता का समर्थन बताएगी. और इसे इसी रूप में देखा भी जाएगा. विपक्ष के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा. सरकार को इस मुद्दे पर जनता का भारी समर्थन माना जाएगा.
प्रचंड जीत का बिहार पर क्या होगा असर? लोकसभा 2019 में भारी सफलता के बाद यदि महाराष्ट्र और हरियाणा में एक बार फिर प्रचंड जीत मिलती है तो सहयोगियों पर भारी दबाव बनेगा. इसका सबसे बड़ा असर बिहार पर दिखेगा. हालांकि तमाम स्थानीय स्तर पर तनाव को दूर करने के लिए अमित शाह ने संदेश देते हुए कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए चुनाव लड़ेगा. इसका असर यह हुआ कि अब बिहार के स्थानीय नेताओं को नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार हो गया. अब विवादित और तनाव भरे बयान आने कम हो गये. लेकिन यह भी सच है कि इस प्रचंड जीत के बाद नीतीश कुमार भी सीटों के बंटवारे के दौरान सियासी मोलभाव करने से बचेंगे. अन्य सहयोगी दल भी नखरे दिखाने से बचेंगे. वक्त का पहिया पीछे ले चलिए तो बता दें कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार जाने के बाद एनडीए के सहयोगी दलों ने बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. शिवसेना, पासवान की पार्टी एलजेपी, जेडीयू जैसे सहयोगी दलों ने बीजेपी से अपने हिस्से की सीटों के लिए दबाव बनाए रखा.
दिल्ली पर कितना असर? इन दो राज्यों में यदि जीत का अंकगणित बीजेपी के पक्ष में जाता है तो हरियाणा से सटे होने का फायदा बीजेपी को मिल सकता है. बीजेपी कार्यकर्ताओं में जीत के बाद जोश और आत्मविश्वास का बढ़ना स्वाभाविक है. एक बार फिर अनुच्छेद 370 को दिल्ली में बीजेपी मुद्दा बनाएगी. इसकी काट के रूप में अरविंद केजरिवाल की सरकार तमाम सुविधाओं की योजनाओं के जरिए मध्य वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. मोहल्ला क्लिनिक, बिजली और पानी के दाम कम करके केजरीवाल अपने पाले में मध्यवर्ग को बरकरार रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन की बसों में जल्द ही मुफ्त यात्रा योजना लागू होगी लेकिन मेट्रो ट्रेन के लिए इसमें कुछ वक्त लग सकता है क्योंकि इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को तैयारियां करनी होंगी. इस तरह की तमाम सुरीले वादों के जरिए केजरीवाल सरकार चुनाव लड़ने की तैयारी में है तो वहीं बीजेपी केजरीवाल सरकार की नाकामी और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर लड़ेगी.
क्या कहते हैं एग्जिट पोल? महाराष्ट्र में किस पार्टी को कितनी सीट ? कुल - 288 बीजेपी- 140 शिवसेना- 70 कांग्रेस- 31 एनसीपी- 32 अन्य-15
हरियाणा में किसे कितनी सीट ? कुल सीट- 90 बीजेपी- 70 कांग्रेस- 8 अन्य- 12