महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र में प्रांतवाद की राजनीति कौन करता है? मराठी का मुद्दा कौन उठाता है? भूमिपुत्रों की बात कौन करता है? इन सवालों को सुनकर शायद आपके जेहन में एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे का नाम आये...लेकिन इस तरह की सियासत करने वाले महाराष्ट्र में अब सिर्फ राज ठाकरे ही नहीं बचे हैं. कांग्रेस और एनसीपी भी इस चुनावी मौसम में वही भाषा बोल रही है जो राज ठाकरे 2006 से बोल रहे थे. सोमवार को कांग्रेस-एनसपी ने जो संयुक्त घोषणापत्र जारी किया उससे यही बात पता चलती है.


सोमवार को अपने संयुक्त घोषणापत्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने ऐलान किया कि सत्ता में आने पर उनकी सरकार भूमिपुत्रों को सरकारी नौकरियों में 80 फीसदी आरक्षण देगी. इसके लिये विशेष कानून बनाया जायेगा. अब तक नौकरियों में भूमिपुत्रों को नौकरियां देने का मुद्दा राज ठाकरे उठाते आये हैं. उनसे पहले शिवसेना यही मुद्दा उठाती थी, लेकिन 80 के दशक में हिंदुत्व का मुद्दा अपनाने के बाद वो इस मुद्दे पर थोडी नरम हो गई. 2006 में राज ठाकरे ने जब अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना गठित की तो उसका मुख्य एजेंडा मराठियों को नौकरियां देने का ही था. 2008 में मराठीवाद के मुद्दे को लेकर राज ठाकरे की पार्टी ने हिंसक आंदोलन भी किया था.


इसलिए नहीं हुआ गठबंधन


वैसे इस बीच एनसीपी और राज ठाकरे के बीच काफी करीबी देखी जा रही है. 2019 का लोकसभा चुनाव राज ठाकरे की पार्टी ने नहीं लड़ा, लेकिन राज ठाकरे ने घूम घूमकर महाराष्ट्रभर में रैलियां कीं और बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया. सियासी हलकों में माना गया कि राज ठाकरे ऐसा कांग्रेस-एनसीपी को फायदा पहुंचाने के लिये कर रहे हैं और आगे जाकर विधानसभा चुनाव में इन दोनो पार्टियों के गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. राज ठाकरे की रैलियों में भीड़ तो काफी जुटी, पर उससे कांग्रेस-एनसीपी को कोई फायदा नहीं हुआ. राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस-एनसीपी सिर्फ 6 सीटें ही जीत सकीं.


एनसीपी प्रवक्ता नवाब मल्लिक के मुताबिक विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे को एनसीपी गठबंधन में साथ लेना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस के विरोध की वजह से उन्हें साथ नहीं लिया जा सका. कांग्रेस के प्रवक्ता चरणसिंह सप्रा का कहना है कि राज ठाकरे की राजनीतिक विचारधारा उनकी पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाती इसलिये उन्हें साथ नहीं लिया जा सकता. इस बीच एमएनएस अकेले ही करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन जिन सीटों पर एनसीपी के दिग्गज उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है, वहां से राज ठाकरे के निरर्देश पर एमएनएस के उम्मीदवारों ने अपने पर्चे वापस ले लिये हैं.


वैसे, कांग्रेस-एनसीपी ने अपने घोषणापत्र में भूमिपुत्रों को नौकरियां देने के अलावा भी और कई सारे वादे किये हैं. घोषणापत्र में कहा गया है कि किसानों को 100 फीसदी कर्ज माफी दी जायेगी. उसके अलावा के.जी. से लेकर ग्रेज्युएशन तक शिक्षा मुफ्त किया जायेगा. मराठी भाषा के लिये विशेष विश्वविद्यालय बनाया जायेगा. युवा एवं शिक्षित बेरोजगारों को 5 हजार मासिक भत्ता मिलेगा. मोदी सरकार के नये मोटर वाहन कानून में जुर्माने की रकम कम की जायेगी.


बता दें कि महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं. नतीजे 24 अकटूबर को आयेंगे.


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