उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के नतीजे राजनीति में गहरा असर डालने वाले हैं. दोनों ही पार्टियां इस चुनाव की अहमियत समझ रही हैं. यही वजह है कि पूरा मुलायम सिंह यादव का पूरा परिवार सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के पीछे खड़ा नजर आ रहा है.
मैनपुरी लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने बीजेपी ने रघुराज सिंह शाक्य को उतारा है. मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई ये सीट समाजवादी पार्टी का अजेय दुर्ग रहा है. इस सीट से मुलायम सिंह यादव ने 1996 में पहला चुनाव लड़ा था. उसके बाद सपा को इस सीट से कभी कोई भी हरा नहीं पाया है.
अखिलेश यादव के सामने इस सीट को हर हाल में जीतने की कोशिश करने के पीछे कई वजहे हैं. जिसमें सबसे बड़ा कारण मुलायम सिंह यादव की विरासत है. इस सीट पर समाजवादी पार्टी की जीत यूपी की राजनीति में भी गहरा असर डालने वाली है.
यूपी में समाजवादी पार्टी ही मुख्य विपक्षी दल
इस सीट पर सपा की जीत से साबित हो जाएगा कि यही पार्टी प्रदेश में बीजेपी को टक्कर दे सकती है और मुख्य विपक्षी दल भी है. साथ ही 2024 के लिए बीजेपी के सामने समाजवादी पार्टी ही यूपी में सबसे बड़ी चुनौती होगी. इसके साथ ही खुद को यूपी में मजबूत पार्टी बनाने में जुटी बीएसपी को भी बड़ा झटका लगेगा. बीएसपी ने इस सीट पर कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. यूपी में यादवों और दलितों के बीच जमीन पर 36 का आंकड़ा रहा है. माना जा रहा है कि बीएसपी के मैदान में न होने से दलित वोट बीजेपी के खाते में जा सकता है. लेकिन इसके बाद भी सपा की जीत होती है निश्चित तौक पर बीएसपी की भूमिका और यूपी की राजनीति में और सीमित हो जाएगी.
यादव परिवार की एकता पर मुहर
मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की विरासत बचाने के लिए अखिलेश और शिवपाल साथ आ गए हैं. बीजेपी के प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य को चेला बताने वाली बातों को भी शिवपाल ने खारिज कर दिया है और उनको स्वार्थी तक कह डाला है. मैनपुरी में जीत से यादव परिवार में एका बढ़ेगा. हो सकता है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी में शिवपाल को कोई बड़ी जिम्मेदारी दे दी जाए.
यादव बेल्ट पर भी होगा असर
मैनपुरी और आसपास की सीटें जैसे बंदायू, इटावा, फर्रुखाबाद जैसी जगहों पर सपा मजबूत होगी और यादव वोटों में सेंध लगाने की कोशिश में लगी बीजेपी की कोशिशों को झटका लग सकता है. मैनपुरी की जीत से यादवों में एक बार फिर अखिलेश यादव को लेकर विश्वास बढ़ेगा.
बिखरा सपा का वोट एक हो सकता है
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जीत से बिखर रहा है समाजवादी पार्टी का वोटबैंक फिर से एक हो सकता है. यूपी में मुस्लिम-यादव समीकरण को अखिलेश यादव बिखरने से रोक नहीं पा रहे थे. लेकिन इस सीट पर जीत के बाद से वो इस समीकरण के सबसे बड़े नेता रहे मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित हो जाएंगे और इसके साथ ही वह अन्य ओबीसी जातियों जो कि पिछले कई चुनावों में सपा से छिटक गई थीं उसको करीब लाने में कामयाब हो सकते हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी से सीधे टक्कर
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में सपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी होगी जो बीजेपी को सीधे टक्कर देने की ताकत रखती है, ये बात पूरी तरह से स्थापित हो जाएगी. यानी यूपी की राजनीति में बीजेपी के खिलाफ समाजावादी पार्टी सबसे बड़ा ध्रुव होगी और जिसके पास यादवों और मुसलमानों का वोटबैंक होगा.
लेकिन अब सवाल ये भी उठता है कि अगर नतीजे सपा के पक्ष में नहीं आते हैं तो उन हालात में यूपी की राजनीति पर क्या असर होगा. क्योंकि यूपी की राजनीति में ओबीसी समुदाय से दो बड़े नेता एक मुलायम सिंह यादव और दूसरे कल्याण सिंह रहे हैं. बीजेपी में कभी बड़े और ताकतवार नेताओं में शुमार रहे कल्याण सिंह की विरासत को सहेजने में बीजेपी कामयाब रही है लेकिन मुलायम की विरासत के लिए अखिलेश यादव मैदान में हैं. लेकिन अगर मैनपुरी का दुर्ग बीजेपी भेदने में कामयाब होती है तो यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तस्वीर एकदम साफ हो जाएगी.
यूपी में सभी 80 सीटें जीतने का प्लान
बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में सभी 80 सीटें जीतने का प्लान बना रही है. इसको पूरा करने के लिए पार्टी ने पसमांदा मुसलमानों के लिए भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं. अगर मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव बीजेपी जीत जाती है तो ये साफ हो जाएगा कि बीजेपी ने यादव वोटरों पर भी सेंध लगा दी है. इस जीत के साथ ही यूपी में लोकसभा की सभी 80 सीटें जीतने के सपने के और करीब आ जाएगी.
एक और परिवार का सबसे मजबूत किला टूटेगा
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का सबसे मजबूत किला अमेठी को बीजेपी जीत चुकी है. इस चुनाव में खुद राहुल गांधी बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से हार गए. लेकिन मैनपुरी यादव परिवार का किला है. जिसको तोड़ना लगभग नामुमकिन है क्योंकि इस सीट पर यादव वोटरों की संख्या 5 लाख के करीब है. लेकिन बीजेपी इस सीट को जीतने में कामयाब होती है तो यूपी की राजनीति में एक और किला टूट जाएगा.
बीजेपी बन जाएगी पिछड़ों की सबसे बड़ी पार्टी
यूपी में यादव वोटरों को आधार बनाकर समाजवादी पार्टी अभी ओबीसी की पार्टी है और इसका अन्य जातियों में भी वोट रहा है. हालांकि मुलायम सिंह यादव की सक्रियता कम होने के साथ-साथ ही सपा से गैर यादव ओबीसी छिटक गए हैं. लेकिन यादवों का समर्थन कम नहीं रहा है. इधर बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर सवर्णों की पार्टी से खुद को गैर यादव ओबीसी की पार्टी में बदल लिया है. अब बीजेपी की पूरी कोशिश है कि पसमांदाओं के दम पर मुसलमानों और यादव नेताओं को आगे करके इस एमवाई समीकरण में सेंध लगाई जाए. मैनपुरी में जीत बिना यादवों के समर्थन से नहीं हो सकती है. बीजेपी अगर मैनपुरी में जीतती है तो साफ हो जाएगा कि कुछ न कुछ यादवों का वोट भी बीजेपी के खाते में गया है. इस जीत के साथ ही साफ हो जाएगा कि यूपी में अब ओबीसी की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बन गई है.
योगी आदित्यनाथ बन जाएंगे सबसे बड़े नेता
यूपी में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के बाद बीजेपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद बहुत बढ़ गया है. वो सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. वो खुद क्षत्रिय समाज से आते हैं. उन पर भेदभाव का भी आरोप लगता रहा है. लेकिन जिस राज्य में ओबीसी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है वहां पर उन्होंने दूसरी बार सरकार बना ली है. मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जीत राज्य में योगी आदित्यनाथ को निर्विवाद रूप से सबसे बड़े नेता के तौर पर स्थापित कर देगी. वो सिर्फ सवर्णों के नहीं इस जीत के साथ पिछड़ों के भी नेता बन बन जाएंगे.