लखनऊ: 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जारी तैयारियों के बीच बड़ा सवाल है कि राज्यवार बन रहे विपक्षी पार्टियों के गठबंधन का प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन होगा? सीटों की संख्या के ख्याल से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बिना समाजवादी पार्टी और बीएसपी के गठबंधन से यह सवाल और गहरा गया है. इस बीच बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री तय करता रहा है.


अपने 63वें बर्थडे के मौके पर प्रेस कांफ्रेंस में मायावती ने कहा, ''हमने समाजवादी पार्टी से गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला किया है. जिससे बीजेपी और अन्य दलों की नींद उड़ी हुई है. वैसे भी यही प्रदेश (उत्तर प्रदेश) तय करता है कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी और कौन प्रधानमंत्री बनेगा. जिसे खास ध्यान में रखते हुए वह एसपी और बीएसपी के सभी कार्यकर्ताओं से अपील करती हैं कि वे पुराने आपसी मतभेद भुला दें और अगले लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करें. यही उनके लिए जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा होगा.''


शनिवार को अखिलेश यादव ने भी कहा था कि हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से ही हो. गठबंधन की घोषणा के वक्त जब एक रिपोर्टर ने मायावती की मौजूदगी में अखिलेश यादव से पूछा कि क्या आप प्रधानमंत्री के रूप में मायावती का समर्थन करेंगे. तो अखिलेश यादव ने भी बहुत ही सावधानी से कहा, ''आपको पता है कि हम किसका समर्थन करेंगे. हमने पहले भी कहा है कि उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री हो. राज्य ने पहले भी प्रधानमंत्री दिया है.'' इस दौरान वहां मौजूद मायावती मुस्कुरा उठी.


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अखिलेश यादव आज मायावती के जन्मदिन पर उनसे मुलाकात के लिए उनके आवास पर पहुंचे. जहां उन्होंने चादर ओढ़ाकर बधाई दी. एसपी-बीएसपी ने अपनी करीब 25 साल पुरानी दुश्मनी भुलाते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन का ऐलान किया है. दोनों ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.



गठबंधन में हालांकि कांग्रेस को शामिल नहीं किया गया है लेकिन इस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी और इस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ दी गई हैं.


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