UP By Election: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर को होने वाले उपचुनावों के लिए 9 विधानसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार मैदान में उतारी है. जिससे सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) की नींद उड़ गई है. बता दें कि बसपा पर हमेशा से बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगता रहा है. ऐसे में उपचुनाव में मायावती की अगुवाई वाली बसपा की एंट्री समाजवादी पार्टी और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा का जनाधार लगातार सिकुड़ता ही जा रहा है. बीजेपी की बी-टीम वाला टैग पहले से ही बसपा के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. जिसे मायावती उपचुनाव में हटाने की कवायद शुरू कर दी है. बसपा के मैदान में आने से यूपी उपचुनाव में बीजेपी और सपा दोनों का गेम बिगड़ता हुआ नजर आ रहा. मीरापुर और कुंदरकी सीट पर मुस्लिम वोटों के बंटवारा होने से सपा को भारी नुकसान हो सकता है. वहीं, कटेहरी सीट पर बसपा की हाथी बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है.
बसपा के सामने उपचुनाव में खाता खोलने की चुनौती
2024 लोकसभा चुनाव में 0 पर सिमटने वाली बहुजन समाज पार्टी के सामने उपचुनाव में खाता खोलने की चुनौती है. 14 साल के बाद बसपा उपचुनाव में जीत हासिल करने की पूरी कोशिश करेगी. मायावती के सामने फिलहाल दलित वोट बैंक के बिखराव को रोक पाना ही मुश्किल हो रहा है. बसपा के तमाम कोशिशों के बावजूद दलितों का रुझान दूसरे दलों की तरफ जा रहा है.हालांकि इस बार मायावती ने उपचुनाव में कई मुस्लिम बहुल सीट पर सवर्ण हिंदू समाज से उम्मीदवार उतारे हैं, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की सियासी गणित उलझ गई है.
अकेले चुनावी मैदान में उतरी है बसपा
यूपी उपचुनाव में बसपा अकेले चुनावी मैदान में उतरी है. बसपा ने 2 मुस्लिम, 4 सवर्ण, 2 ओबीसी और 1 दलित प्रत्याशी पर दांव लगाया है. मायावती ने जिस तरह से अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उन पर गौर करें तो सपा से ज्यादा भाजपा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. बता दें कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में इन नौ सीटों में से सपा ने चार और भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं, जबकि रालोद और निषाद पार्टी को एक-एक सीट मिली थी. इन सीटों में से बसपा तब अलीगढ़ जिले की एससी (अनुसूचित जाति)-आरक्षित खैर सीट पर दूसरे स्थान पर रही थी और कटेहरी, फूलपुर, मीरापुर, करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद और मझवां समेत सात सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी.