आखिर क्यों महत्वपूर्ण है मायावती का सोशल मीडिया पर आना? आंकड़ों की जुबानी जानिए
पिछले चुनाव में राज्य में करीब 20 फीसदी वोट शेयर पाने के बावजूद मायावती की पार्टी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई थी. इतना ही नहीं मायावती की पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में भी तगड़ा झटका लगा और वह सिर्फ 19 सीटें जीत पाई.
Lok Sabha Election 2019: 2014 के लोकसभा चुनाव में वोट शेयर के मामले में बीजेपी और कांग्रेस के बाद देश की तीसरी बड़ी पार्टी की मुखिया मायावती ने आखिरकार सोशल मीडिया पर कदम रखा है. मायावती के ट्विटर पर अकाउंट की आधिकारिक घोषणा के बाद 24 घंटे में ही उन्हें करीब 50 हजार लोग फॉलो करने लगे हैं. सीटों और जनसंख्या के मामले में देश की सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रही मायावती का लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आंकडों के नजरिए से सोशल मीडिया पर आना बेहद महत्वपूर्ण हैं.
सीटों के मामले में सबसे बड़ा राज्य
लोकसभा सीटों के मामले में उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. अकेले उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा की सीटें हैं. जनवरी 2019 तक यूपी में कुल 14.40 करोड़ वोटर हैं, जो कि चुनावी नतीजों में बेहद ही अहम भूमिका निभाने वाले हैं. बात अगर पिछले 4 महीने की करें तो यूपी में कुल 12.36 लाख युवा वोटर बनें. इसके अलावा यूपी में 18 से 19 साल की उम्र के 16.75 वोटर हैं.
Press release issued by Bahujan Samaj Party dated 6th February 2019. Regarding Twitter handle. pic.twitter.com/ATq6cj70Jc
— Mayawati (@SushriMayawati) February 6, 2019
सोशल मीडिया के जरिए युवा वोटर को साधना चाहती हैं मायावती
इस वक्त देश में लगभग 90 करोड़ वोटर हैं, जिनमें से करीब 25 करोड़ युवा वोटर हैं जिनकी उम्र 24 साल से कम है. इसके अलावा 13 करोड़ वोटर ऐसे हैं जो कि इस चुनाव में पहली बार वोट डालेंगे. मायावती की नज़र सोशल मीडिया के जरिए इन तक पहुंचने की होगी. ट्विटर पर भारत के 3 करोड़ 44 लाख लोग एक्टिव हैं. वहीं फेसबुक पर भारत में 29 करोड़ 40 लाख यूजर्स है जो विश्व में किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा है.
ऐसा माना जाता है कि मायावती की पार्टी बीएसपी के पिछले कुछ चुनाव में पिछड़ने की एक वजह सोशल मीडिया पर कोई मौजूदगी ना होना भी रही है. 2014 में देश में 1 करोड़ 58 लाख ट्विटर यूजर थे.
अखिलेश के साथ किया है गठबंधन
पिछले चुनाव में राज्य में करीब 20 फीसदी वोट शेयर पाने के बावजूद मायावती की पार्टी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई थी. इतना ही नहीं मायावती की पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में भी तगड़ा झटका लगा और वह सिर्फ 19 सीटें जीत पाई. दो चुनाव में मिली करारी हार के बाद मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेख यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है.