MCD Polls 2022: दिल्ली नगर निगम चुनाव में सभी 250 वार्ड पर वोटिंग जारी है. मतदान की प्रक्रिया सुबह 8:00 बजे से शुरू हो चुकी है. दिल्ली में छोटी सरकार बनाने के लिए वोटर अपने घर से निकल कर वोट डालने जा रहे हैं. दोपहर 12 बजे तक 18 फीसदी तक वोटिंग हुई है. नए परिसीमन के कारण इस बार वोटिंग लिस्ट में बदलाव हुआ था. इसकी वजह से कई जगहों पर लोगों को वोटिंग लिस्ट में अपना नाम नहीं मिल रहा है, इससे उनको वोट डालने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
इस बार का चुनाव त्रिकोणीय होता दिख रहा है. पिछले 15 सालों से एमसीडी की सत्ता में बैठी बीजेपी ने एक बार फिर से वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. तो वहीं आम आदमी पार्टी इस बार एमसीडी से भी बीजेपी को बाहर करने के लिए मैदान में उतरी थी. केजरीवाल की अगुवाई में पार्टी ने इस बार 220-230 सीटें जीतने का दावा किया है. जबकि कांग्रेस भी अपनी सियासी जमीन को बचाने की कोशिश करती रही. इस सबके बीच इस चुनाव में 5 मुद्दे खूब गूंजे.
- इस चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच जमकर शब्दों के तीर चले. दिल्ली की सत्ता में काबिज AAP और MCD में काबिज बीजेपी के बीच इस चुनाव में स्वच्छता सबसे बड़ा मुद्दा रहा. आम आदमी पार्टी की ओर से गाजीपुर का कूड़े के पहाड़ और खस्ताहाल सड़कों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की गई. तो वहीं यमुना की सफाई पर बीजेपी लगातार केजरीवाल सरकार पर हमलावर रही.
- दिल्ली एमसीडी चुनाव में प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है. आप ने कूड़े के पहाड़ को लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की तो बीजेपी ने दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर केजरीवाल को कटघरे में खड़ा किया. केंद्र शासित प्रदेश में वायु प्रदूषण में कोई सुधार नहीं हो रहा है. दिल्ली में सर्दियों के दौरान बिगड़ती वायु गुणवत्ता लंबे समय से एक समस्या बनी हुई है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता को सुधारकर राजधानी को रहने लायक बनाना एक बड़ी चुनौती है.
- इस बार एमसीडी चुनाव में दिल्ली की अवैध कॉलोनियां भी बड़ा मुद्दा रहीं. अवैध निर्माणों की वजहों से दिल्ली के मूल निवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पुरानी दिल्ली की हालत तो बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है. यहां फुटपाथ पर भी लोगों ने कब्जा कर लिया है. जिसके चलते लोगों को चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है. बीजेपी और आप दोनों की ओर से अवैध कॉलोनियों को रेगुलराइज करने का वादा किया गया है.
- दिल्ली में जनसंख्या घनत्व बढ़ने से पीने के पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है. भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल से भूजल इतना प्रदूषित हो चुका है कि अब वो पीने लायक या खाना पकाने लायक भी नहीं बचा है. इसके चलते लोगों को सप्लाई के पानी पर ही निर्भर होना पड़ रहा है. सप्लाई का पानी भी स्वच्छ नहीं मिलने से लोग काफी परेशानी हो रहे हैं. लोग ये भी बताते हैं कि दिल्ली में गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत बहुत हो जाती है.
- दिल्ली में कोई भी चुनाव हो, पार्किंग की समस्या बड़ा मुद्दा रहता है. दिल्ली में वाहनों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी के चलते जाम की समस्या बढ़ती जा रही है. राष्ट्रीय राजधानी में पंजीकृत वाहनों की संख्या सवा करोड़ के करीब पहुंच गई है, जबकि पार्किंग की क्षमता बमुश्किल सवा लाख वाहनों के लिए है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 2021 में, हर दिन औसतन 548 वाहनों का पंजीकरण किया गया.
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