दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होने जा रहा है. दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में सत्ताधारी बीजेपी और आम आदमी पार्टी में सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. जबकि कांग्रेस अपनी जमीन तलाशने में लगी हुई है. निगम की सत्ता पिछले 15 सालों से देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के हाथों में है. ऐसे में बीजेपी के पास जहां अपनी साख बचाने की चुनौती है, तो वहीं दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी निगम का किला भी अपने नाम करना चाह रही है. दोनों ही पार्टियों ने निगम चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
दिल्ली से पूरे देश में जाएगा संदेश
वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसी भी प्रकार की कोई हलचल या परिवर्तन होता है तो ये संदेश पूरे देश में जाता. दिल्ली में कोई भी राजनीतिक या सामाजिक बदलाव हो वो पूरे देश पर असर डालता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से ही स्वच्छ भारत का संदेश पूरे देश को दिया था जिसके बाद पूरे देश में लोग साफ-सफाई को लेकर जागरुक हुए और अब दिल्ली में साफ-सफाई से लेकर जनता तक अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं देने वाली निगम का चुनाव होने जा रहा है और निगम में बीजेपी की सरकार है.
निगम के एकीकरण के बाद पहली बार निगम में चुनाव होने जा रहा है और इस चुनाव के निगम में जो जीतेगा उसकी पार्टी का महापौर नियुक्त किया जाएगा और दिल्ली के महापौर की ताकत दिल्ली के मुख्यमंत्री से ज्यादा होती है क्योंकि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और दिल्ली नगर निगम केंद्र सरकार के पास है. जबकि दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी की हुकुमत है.
साल 2011 में निगम को किया गया था विभाजित
साल 2011 में दिल्ली नगर निगम अधिनियम में संशोधन करने के बाद निगम को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया था, और अब पूरे 11 साल बाद तीनों निगमों के एक होने के बाद पहली बार दिल्ली के लिए मतदान होने जा रहा है. 4 दिसंबर को वोटिंग होगी तो वहीं 07 दिसंबर को मतदान के नतीजे आएंगे.
दिल्ली नगर निगम में लगातार 15 साल तक सत्ता में बने रहने के बाद चौथी बार सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ मजबूत विपक्ष के रूप में खड़ी आम आदमी पार्टी निगम में 15 साल से राज कर रही बीजेपी की गलत नीतियों को मुद्दा बनाकर जीतने का प्रयास कर रही है.
निगम में यदि फिर से खिलता है कमल?
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो दिल्ली नगर निगम चुनाव में यदि बीजेपी लगातार चौथी बार अपना कब्जा करने में कामयाब होती है, तो इसका सीधा असर दिल्ली में आने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा और इसका सीधा मतलब यही होगा कि बीजेपी के खिलाफ कोई एंटी-इनकंबेंसी का माहौल नहीं है, बीजेपी निचले स्तर तक लोगों में एक बड़ा संदेश देने में कामयाब रही है. दिल्ली में बीजेपी का अस्तित्व खत्म नहीं हुआ है, और फिर आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए दिल्ली का किला जीतने की उम्मीद भी बढ़ेगी, आम आदमी पार्टी को बीजेपी कड़ी टक्कर देगी.
इसके साथ ही दिल्ली बीजेपी में पार्टी को कई मजबूत चेहरे मिल जाएंगे जो भविष्य में बीजेपी के लिए बड़े राजनीतिक चेहरे बन सकते हैं. मौजूदा समय में दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का भी पार्टी में कद बढ़ जाएगा.
दिल्ली के मुख्यमंत्री से ताकतवर होगा निगम का महापौर
इसके साथ ही निगम के एकीकरण के बाद दिल्ली नगर निगम में एक महापौर होगा और वो जिस पार्टी का होगा वो दिल्ली में अधिक ताकतवर होगी. बीजेपी जीतती है तो उसका महापौर बनेगा. जिसकी अहमियत दिल्ली में ज्यादा होगी और ये हम सभी जानते है कि दिल्ली के महापौर की शक्तियां दिल्ली के मुख्यमंत्री से ज्यादा होती है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री को यदि कोई योजन या फिर नीति लागू करनी होती है तो दिल्ली विधानसभा के बाद उपराज्यपाल फिर केंद्र के पास भेजी जाती है. जहां से मंजूरी मिलती है. लेकिन दिल्ली के महापौर के पास ये शक्ति है कि वो उपराज्यपाल और केंद्र सरकार से टकराव के बिना कोई नीति या योजना लागू कर सकते हैं.
साथ ही दिल्ली नगर निगम में सदन सबसे ऊपर होता है, तो जो फैसला सदन लेता है वहीं मान्य होता है. दिल्ली सरकार विधानसभा में कोई फैसला लेती है तो फिर उसे उपराज्यपाल और केंद्र के पास भेजा जाता है. लेकिन निगम के सदन में ये प्रक्रिया नहीं होती.
दिल्ली नगर निगम यदि कोई फैसला लेता है तो उसे अंतिम रूप देने का काम सदन का होता है. ना कि उपराज्यपाल या केंद्र का. दिल्ली नगर निगम में सदन सर्वोच्च माना गया है. इसीलिए जो भी पार्टी निगम में जीतती है उसकी ताकत ज्यादा होगी.
आम आदमी पार्टी के जीतने पर ये होगी स्थिति
वहीं अगर दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी जीतती है तो ये केवल दिल्ली नहीं बल्कि पूरे देश में संदेश जाएगा कि आम आदमी पार्टी ही वो पार्टी है जो भविष्य में बीजेपी को टक्कर दे सकती है और दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कोई नहीं हिला सकता है.
साथ ही दिल्ली के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी को मजबूती मिलेगी. लोगों के बीच ये संदेश जाएगा कि न केवल विधानसभा में बल्कि निगम में भी आम आदमी पार्टी को कोई टक्कर नहीं दे सकता और दिल्लीवालों की पहली पंसद आम आदमी पार्टी है.
पिछले दिनों दिल्ली से सटे चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर ऊभरी थी जिसका असर पंजाब में देखने को मिला था. यदि दिल्ली में पार्टी जीत जाती है तो अन्य राज्यों में भी पार्टी इसी मुद्दे को लेकर जाएगी. जिसके साथ आने वाले समय में देश के अलग अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ साथ निकाय चुनावों में भी पार्टी को मजबूती होगी.
अरविंद केजरीवाल विपक्ष के मजबूत नेता !
आम आदमी पार्टी का कद ना केवल दिल्ली में बल्कि देश के उन राज्यों में भी बढ़ेगा जिसमें पार्टी बीजेपी को टक्कर देने की कोशिश कर रही है. अरविंद केजरीवाल मजबूत नेता के तौर पर उभरेंगे. दिल्ली में एमसीडी चुनाव का असर देश भर में होने वाले अन्य चुनावों में भी देखने को भी मिल सकता है.
आम आदमी पार्टी अभी दिल्ली सरकार की उपलब्धियां अन्य राज्यों में हो रहे चुनाव में लेकर जा रही है. ठीक उसी तरह पार्टी निगम में जीतने के बाद निगम की उपलब्धियां जनता के बीच लेकर जाएगी. इसका असर दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर भी देखने को मिल सकता है.
कांग्रेस के लिए नहीं होगी राह आसान
वहीं दिल्ली की सत्ता में कभी मजबूत पार्टी रही कांग्रेस की बात करें तो दिल्ली नगर निगम चुनाव कांग्रेस के लिए कड़ी परीक्षा की घड़ी है क्योंकि कांग्रेस साल 2007 के बाद से ही निगम से दूर है और दिल्ली विधानसभा में भी कांग्रेस का न बराबर है. यदि दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन रहता है तो कांग्रेस को दिल्ली में अपने अस्तित्व को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है. हालांकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी संगठन को मजबूत करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा चला रहे हैं. लेकिन उसका कितना असर दिल्ली नगर निगम पर रहेगा ये नहीं कहा जा सकता.
साल 2007 से निगम में है बीजेपी काबिज
बता दें दिल्ली साल 2011 में दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों (उत्तरी,पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम) के रूप में विभाजित किया गया था. साल 2002 से 2007 तक कांग्रेस ने एमसीडी पर शासन किया, जिसके बाद साल 2007 में एमसीडी में बीजेपी की सरकार बनाई और तब से लेकर अब तक एमसीडी में बीजेपी की सरकार है. बीजेपी पिछले 3 कार्यकाल से निगम पर राज कर रही है. लेकिन बीजेपी शासित एमसीडी का ये आरोप रहा है कि केजरीवाल की दिल्ली सरकार उन्हें फंड नहीं देती है जिससे निगम की आर्थिक हालत खस्ता बनी हुई है.
इसी साल मई महीने में एक हो गई निगम
इसी कड़ी में इसी साल 9 मार्च को केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल को पत्र भेजकर दिल्ली के तीनों निगमों को एक करने की बात कही. फिर 9 मार्च 2022 को ही निगम चुनाव से पहले दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने इसकी जानकादी. जिसमें निगम का एकीकरण की बात कही गई और फिर 22 मार्च 2022 को पीएम मोदी की केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में निगम के एकीकरण को लेकर दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी. 30 मार्च को लोकसभा में इस बिल को पारित कर दिया गया और 5 अप्रैल को राज्यसभा से भी इसे पारित कर दिया और 18 अप्रैल को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी. फिर 18 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर 22 मई से संशोधित एक्ट को लागू कर दिया और इसी तारीख से 11 साल बाद दिल्ली नगर निगम का एकीकरण हो गया.