Elections Results 2023: देश के तीन राज्यों में हुए चुनाव के बाद अब नतीजे सामने आ रहे हैं. त्रिपुरा और नगालैंड में बीजेपी जहां मजबूत दिख रही है, वहीं मेघालय में बीजेपी के लिए कोई खुशखबरी नजर नहीं आ रही है. यहां बीजेपी 10 का आंकड़ा भी छूती नहीं दिख रही है. इस बार बीजेपी ने राज्य में गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन इसका ज्यादा असर होता नजर नहीं आ रहा है. यही कारण है कि बीजेपी सत्ता से बाहर रह सकती है. भले ही हेमंत बिस्व सरमा पूरी बिसात बिछाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन एनपीपी के हाथ में सत्ता की चाबी है. आइए जानते हैं कि मेघालय में क्या समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. 


क्या बीजेपी को माफ कर पाएगी एनपीपी?
मेघालय में कुल 59 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए, जिनके नतीजे सामने आ रहे हैं. अब तक के रुझानों में नजर आ रहा है कि एनपीपी करीब 25 से 26 सीटों पर कब्जा कर लेगी. वहीं बीजेपी करीब 7 सीटों तक सिमटती नजर आ रही है. ऐसे में चुनावी जानकार ये भी बता रहे हैं कि इस बार एनपीपी किसी और दल के साथ गठबंधन कर सकता बना सकती है और बीजेपी को सत्ता से बाहर रख सकती है. बिना बीजेपी का समर्थन लिए यूडीपी और अन्य पार्टियों के समर्थन के साथ एनपीपी सरकार बना सकती है. 


बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने का एनपीपी के पास एक बड़ा कारण भी है. क्योंकि बीजेपी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए एनपीपी का साथ चुनावों से ठीक पहले छोड़ दिया था. बीजेपी ने एलान किया था कि वो अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी. ऐसे में हाथ छोड़कर जाने वाली बीजेपी का एनपीपी फिर से स्वागत करेगी या नहीं ये देखना दिलचस्प रहेगा. 


हिमंत बिस्व सरमा की कोशिश
भले ही चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने एनपीपी का साथ छोड़ दिया हो, लेकिन बाद में माहौल को देखते हुए फिर से दोस्ती का हाथ भी बढ़ा दिया. नतीजों से ठीक पहले हिमंत बिस्व सरमा ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा से मुलाकात की. बताया गया कि चुनाव के बाद गठबंधन को लेकर दोनों के बीच बातचीत हुई है. अब ये साफ नहीं है कि संगमा और बिस्व की मुलाकात में कोई फॉर्मूला तय हुआ है या नहीं. 


केंद्र की सत्ता वाला समीकरण
मेघालय को लेकर एक समीकरण ये भी बैठता है कि केंद्र में रहने वाला दल यहां ज्यादा डॉमिनेट करता है. यानी मुख्यमंत्री कोनराड संगमा किसी और दल को साथ लेने की बजाय केंद्र में काबिज बीजेपी से हाथ मिलाना पसंद कर सकते हैं. यही वजह है कि बीजेपी की तरफ से हिमंत बिस्व सरमा को मोलभाव की कमान सौंपी गई है. सरमा ने बीजेपी को अब तक निराश नहीं किया है, तो ऐसे में मेघालय सरकार में भी बीजेपी की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता. 


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