Mizoram Election 2023 Date: मिजोरम में 7 नवंबर को विधानसभा की 40 सीटों के लिए मतदान होना है. इस बार यहां मुख्यमंत्री जोरमथांगा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. 1987 में राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद से मिजोरम में परंपरागत रूप से दो-दलीय प्रणाली थी, जिसमें कांग्रेस और एमएनएफ दो पार्टियां थीं, लेकिन इस बार चीजें बदली हुई नजर आ रहीं हैं.
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में इस राज्य में बड़ा उलटफेर देखने को मिला था. मिजो नेशनल फ्रंट ने जहां 10 साल से सत्ता में काबिज कांग्रेस को हराकर राज्य की कमान संभाली थी, तो वहीं जोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) ने विधानसभा चुनावों में प्रमुख विपक्ष के रूप में कांग्रेस की जगह ले ली थी. इस बार भी ऐसा ही उलटफेर होगा या नहीं, ये 3 दिसंबर को नतीजे आने पर साफ होगा. फिलहाल हम आपको बता रहे हैं इस चुनाव में कौन-कौन से मुद्दे हावी रहेंगे, कौन सी सीट महत्वपूर्ण है और कौन-कौन सी पार्टी मैदान में है.
2018 के नतीजों पर एक नजर
2018 के विधानसभा चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने 26 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया, जबकि कांग्रेस वोट शेयर के मामले में मिजोरम में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही और 5 सीटें हासिल करने में कामयाब रही. ZPM उम्मीदवारों ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और उन्हें 6 सीटें मिलीं.
ये प्रमुख राजनीतिक दल एवं गठबंधन हैं मैदान में
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 नवंबर को होने वाले मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए कुल 174 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से 27 निर्दलीय प्रत्याशी हैं, जबकि बाकी अन्य पांच राजनीतिक दलों के उम्मीदवार हैं. इस चुनाव में कुल 8,56,868 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट, मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस ने सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. एमएनएफ ने 25 मौजूदा विधायकों को मैदान में उतारा है, जबकि छह मौजूदा विधायक जेडपीएम उम्मीदवारों से हैं.
भाजपा ने 2018 के चुनावों में 39 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट जीती. इस बार पार्टी ने 23 उम्मीदवारों को उतारा है. वहीं, आदमी पार्टी (आप) यहां चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जोरमथांगा का एमएनएफ भाजपा के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का हिस्सा है और केंद्र में एनडीए का सहयोगी है. हालांकि पार्टी मिजोरम में बीजेपी के साथ काम नहीं करती है.
ये फैक्टर इस चुनाव में नतीजे कर सकते हैं प्रभावित
मिजोरम चुनाव पर मणिपुर हिंसा का असर पड़ सकता है. मई में हिंसा के बाद राज्य में मणिपुर से लगभग 13,000 लोग शरणार्थी बने हुए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिजोरम के सीएम जोरमथांगा ने कहा कि वह राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे. इस बीच, भाजपा की नजर राज्य के दक्षिणी हिस्से में रहने वाले भाषाई अल्पसंख्यकों जैसे चकमा, ब्रू, मारा और लाई समुदाय के लोगों के वोटों पर है.
2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में 39 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी ने इस बार 23 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. भगवा पार्टी ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण और असम के साथ लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद के समाधान समेत अन्य का वादा किया है.
दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लालसावता ने दावा किया है कि कांग्रेस मिजोरम में अगली सरकार बनाएगी और कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो 1 लाख लोगों के लिए नौकरियां पैदा करेगी. कांग्रेस ने प्रत्येक परिवार को 15 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने का भी वादा किया है.
मिजो राष्ट्रवाद एक और मुद्दा है जो सत्तारूढ़ दल के पक्ष में काम कर सकता है. दरअसल, मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है. जुलाई 2021 में असम और मिजोरम के पुलिस बलों के बीच हिंसक झड़प में 6 लोगों की जान भी चली गई थी.
इन प्रमुख विधानसभा सीटों पर रहेगी सबकी नजर
1. आइजोल पूर्व-I: मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने 2018 के चुनाव में यहां से जीत दर्ज की थी. इस बार फिर से वह आइजोल पूर्व-I से ताल ठोक रहे हैं. जोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) ने उपाध्यक्ष लालथनसांगा को यहां से उतारा है, जबकि कांग्रेस ने लालसांगलुरा राल्टे को टिकट दिया है.
2. सेरछिप: जेडपीएम नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा इस सीट से खड़े हैं. वहीं, एमएनएफ से नवागंतुक जे माल्सावमज़ुअल वानचावंग और कांग्रेस से आर वानलालट्लुआंगा उम्मीदवार हैं.
3. हच्छेक: त्रिपुरा सीमा के पास ममित जिले में आने वाली हच्छेक सीट से कांग्रेस विधायक लालरिंदिका राल्टे मैदान में हैं. उनके खिलाफ एमएनएफ के वर्तमान राज्य खेल मंत्री रॉबर्ट रोमाविया रॉयटे खड़े हैं.
4. आइजोल पश्चिम-III: आइजोल पश्चिम-III सीट पर एमएनएफ, जेडपीएम और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. जेडपीएम के विधायक वीएल जैथनजमा को इस बार कांग्रेस अध्यक्ष लालसावता और एमएनएफ उम्मीदवार के. सावमवेला चुनौती दे रहे हैं.
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