(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मोहनलालगंज में अखिलेश का आरके चौधरी पर दांव, जानें BJP के कब्जे वाली सीट का सियासी समीकरण
मोहनलालगंज में बीजेपी तीसरी बार कमल खिलाने के लिए तैयार है, लेकिन गठबंधन का फायदा अखिलेश यादव के उम्मीदवार को मिल सकता है. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर आरके चौधरी को प्रत्याशी बनाया है.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की मोहनलालगंज सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. अखिलेश यादव ने इस सीट पर आरके चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है. यह सीट एक दशक पहले तक समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले चुनावों से यहां कमल खिल रहा है. इस बार के समीकरण थोड़े बदले हुए हैं. इसका फायदा विपक्षी गठबंधन को मिल सकता है और समाजवादी प्रार्टी के आरके चौधरी को जीत मिल सकती है. जानिए इस सीट के समीकरण.
1962 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए और 1984 तक कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा रहा. सिर्फ 1977 में भारतीय लोकदल को यहां जीत मिली. 1991 और 1996 में बीजेपी के उम्मीदवार जीते, लेकिन इसके बाद लगातार चार बार सपा के उम्मीदवार को जीत मिली. 2014 में बीजेपी को फिर इस सीट पर जीत मिली और 2019 में भी बीजेपी के कौशल किशोर अपनी सीट बचाने में सफल रहे.
क्या हैं समीकरण?
मोहनलाल लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की पांच सीटें आती हैं. इनमें से तीन सीटों (मलीहाबाद, बख्शी का तालाब और सरोजिनी नगर) पर बीजेपी के विधायक हैं. वहीं, मोहनलालगंज विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और सिधौली सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी के विधायक हैं.
जातीय समीकरण की बात करें तो इस क्षेत्र की कुल आबादी 26,95,769 है. 75.19 फीसद आबादी ग्रामीण है, जबकि 24.81 फीसद आबादी शहर में रहती है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर 34.14 फीसद मतदाता अनुसूचित जाति के हैं. वहीं, 0.01 फीसद मतदाता अनुसूचित जनजाति के हैं. यही मतदाता विजेता का फैसला करते हैं.
पिछले चुनाव के नतीजे
जीते- कौशल किशोर (बीजेपी): 6,29,748 वोट
हारे- सीएल वर्मा (गठबंधन): 5,39,519 वोट
मौजूदा सांसद की स्थिति
यहां से मौजूदा सांसद कौशल किशोर हैं. वह पिछले 10 साल से इस सीट पर सांसद हैं. 2014 में हुए चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के मौजूदा उम्मीदवार आरके चौधरी को 45,000 से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था. इसके बाद दूसरे चुनाव में उन्होंने सीएल वर्मा को लगभग 90,000 मतों के अंतर से हराया.
संसद में उपस्थिति हो या सवाल पूछना हो हर मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने सांसद निधी से 70 फीसदी हिस्सा खर्च किया था.
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