मध्य प्रदेश चुनाव: बुधनी सीट पर मामा से लड़ने उतरे स्वयं 'हनुमान', महामुकाबले में मिर्ची बाबा भी, पढ़ें सारे समीकरण
कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम मस्ताल, समाजवादी पार्टी के मिर्ची बाबा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मैदान में होने से इस बार बुधनी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.
मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल बुधनी सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम मस्ताल और सपा कैंडिडेट मिर्ची बाबा के मैदान में होने से त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. तीनों उम्मीदवारों ने सोमवार (30 अक्टूबर) को अपना-अपना नामांकन दाखिल कर दिया.
कांग्रेस ने इस बार शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने के लिए धार्मिक छवि वाले विक्रम मस्ताल को लड़वाने का फैसला किया है. विक्रम मस्ताल ने साल 2008 में रामानंद सागर के रामायण सीरियल में हनुमान का रोल निभाया था. वहीं, पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) और फिर कांग्रेस के साथ रहने वाले वैराग्यानंद गिरी उर्फ मिर्ची बाबा को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है.
क्या बीजेपी के वोटों में सेंध लागा पाएंगी कांग्रेस और सपा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साल 2006 से लगातार इस सीट पर जीतते रहे हैं इसलिए इसे सीट को बीजेपी की सेफ सीट भी माना जाता है. वैसे तो कांग्रेस भी इस सीट पर जीत चुकी है, लेकिन सबसे ज्यादा बार जीत की बात की जाए तो यह रिकॉर्ड बीजेपी के नाम है. इस वजह से इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी कहा जाता है. शिवराज सिंह चौहान ओबीसी समुदाय की किराड़ जाति से हैं, और बुधनी में किराड़ जाति की काफी आबादी रहती है इसलिए इस सीट पर शिवराज का बोलबाला है. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो पिछली बार पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरुण यादव को टिकट दिया था.
बुधनी में यादवों की संख्या किराड़ लोगों से दोगुनी है, फिर भी कांग्रेस का यादव कैंडिडेट को उतारने का दांव काम नहीं कर सका और शिवराज सिंह चौहान रिकॉर्ड वोटों के साथ जीते. इस बार कांग्रेस दांव बदलकर धर्म के सहारे फिर से बुधनी सीट को कांग्रेस के पाले में लाने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, सपा की बात करें तो पार्टी ने चर्चाओं में रहने वाले मिर्ची बाब को मैदान में उतारा है. पार्टी को उम्मीद है कि वह आम जन जीवन के मुद्दों को उठाकर शिवराज को बुधनी में हरा सकती है. मिर्ची बाबा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह विधायक बनेंगे तो सबसे पहले उच्च कोटि के ऐतिहासिक नर्मदा घाट बनवाएंगे. उन्होंने शिवराज पर हमला करते हुए कहा कि सीएम अपने आप को नर्मदा का सपूत बताते हैं, लेकिन नर्मदा नदी के लिए घाट तक नहीं बनवाया.
बुधनी सीट का इतिहास
साल 1985 तक बुधनी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा था और 1990 में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को टिकट दिया और यहां बीजेपी का खाता खुल गया. शिवराज लोकसभा चुनाव के लिए विदिशा चले गए और 1996, 1998, 1999 और 2004 तक वह विदिशा से सांसद रहे. इस बीच बुधनी सीट पर कांग्रेस और बीजेपी की जीत का दौर चलता रहा और 1993 में कांग्रेस के राजकुमार पटेल ने यहां से जीत हासिल की. इसके बाद साल 2003 में बीजेपी ने चुनाव जीता और राजेंद्र सिंह विधायक बने. इसके बाद 2006 के उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान फिर से जीते और फिर 2008, 2013 और 2018 में लगातार जीत हासिल की.
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