मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बंपर जीत के बाद पार्टी में खुशी का माहौल है. रविवार (3 दिसंबर) को रुझानों में जैसे ही बीजेपी ने बढ़त बनानी शुरू की तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया. राज्य में बीजेपी प्रमुख वीडी शर्मा के घर के बाहर कार्यकर्ताओं की भीड़ लग गई. तीनों ही चुनावी राज्यों में बीजेपी ने खास तैयारियां की थीं और जीत के लिए कई प्रयोग किए. अब नतीजे सामने आने के बाद पार्टी नेता केंद्रीय नेतृत्व और जीत के लिए उनकी रणनीति को श्रेय दे रहे हैं.
वीडी शर्मा का कहना है कि 1 साल से भी ज्यादा समय से पार्टी हाईकमान की रणनीति पर काम किया जा रहा था. बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को तैयार करना, केंद्र की योजनाओं और 9 साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामों और उपलब्धियों को जनता को बार-बार याद दिलाने जैसे काम किए गए और इसका नतीजा आज सबके सामने है. पार्टी को एकतरफा जीत मिली है.
40 लाख कार्यकर्ताओं को दिया गया जीत का लक्ष्य
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडी शर्मा ने बताया कि मध्य प्रदेश के लिए गृहमंत्री अमित शाह के प्लान पर 40 लाख बूथ-लेवल कार्यकर्ताओं ने काम किया और यह जीत उसी का नतीजा है. राज्य में 64,523 बूथों पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने काम किया और जीत के लक्ष्य को हासिल किया. कार्यकर्ताओं को हर बूथ पर कुल 51 फीसदी वोट शेयर जीतने का लक्ष्य दिया गया था.
1 साल पहले शुरू हो गया था रणनीति पर काम
पिछले साल जनवरी में पार्टी ने एक प्लान बनाया और 96 फीसदी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ कमेटी बनाने का काम शुरू किया गया. एमपी बीजेपी के सेक्रेटरी रजनीश अग्रवाल ने बताया कि इस प्लान के तहत फोटो के साथ बूथ-लेवल कार्यकर्ताओं के डिजिटल कार्ड बनाए गए. इसके जरिए राज्य नेतृत्व को कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संपर्क में रहने में मदद मिली. कार्यकर्ताओं को बीजेपी की योजनाओं के लाभार्थियों से डोर-टू-डोर संपर्क करने के लिए कहा गया ताकि जब वोट डालने के लिए कार्यकर्ता बूथ पर जाएं तो उन्हें योजनाओं के लाभ याद रहें.
मार्च से कार्यकर्ताओं के लिए शुरू की गईं ट्रेनिंग वर्कशॉप
मार्च में पार्टी ने ट्रेनिंग वर्कशॉप शुरू कीं ताकि जमीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं में उत्साह बना रहे. जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता कितने उत्साह से काम कर रहे हैं इसका फीडबैक लेकर उस पर काम किया गया. पार्टी का मानना था कि 2018 में बीजेपी को जो हार मिली, उसमें यह भी एक कारण था. कार्यकर्ताओं को नेशन फर्स्ट के आइडिया पर काम करने के लिए ट्रेनिंग दी गई. पार्टी ने बूथ-लेवल पर सोशल मीडिया एन-चार्ज, लाभार्थी इन-चार्ज और शक्ति केंद्र इन-चार्ज भी बनाए. शक्ति केंद्र में 6-8 बूथ लेवल वॉलंटियर काम करते थे. कुल 10,916 शक्ति केंद्र बनाए गए, जिससे पार्टी की पन्ना प्रमुख नियुक्तियों को बल मिला. एससी/एसटी समुदायों से कम से कम 10 स्वयंसेवकों की भर्ती पर विशेष जोर दिया गया.
यह भी पढ़ें:-
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कैसे मिली बीजेपी को प्रचंड जीत, ये हैं 5 कारण