Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू होने से पहले महाराष्ट्र की राजनीति नया मोड़ आ गया है. शिवसेना के बीजेपी को तल्ख तेवर दिखाने के बाद दोनों पार्टियों के साथ चुनाव लड़ने पर सवालिया निशान बना हुआ है. साथ चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति के बीच बीजेपी ने मुंबई की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है.


बीजेपी ने मुंबई के हर पोलिंग बूथ पर हेड की नियुक्ति करने का फैसला किया है. पोलिंग बूथ के हेड को पार्टी वर्कर्स और वोटर के बीच तालमेल बैठाने का काम दिया जाएगा.


दिलचस्प बात है कि बीजेपी ने 2014 में मुंबई की तीन लोकसभा सीटों नॉर्थ सेंट्रल, नॉर्थ और नॉर्थ-ईस्ट पर ही चुनाव लड़ा था, जबकि बाकी तीन सीटें साउथ, साउथ सेंट्रल और नॉर्थ-वेस्ट शिवसेना के हिस्से आई थी. बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन इन सभी सीटों को जीतने में कामयाब हुआ था.


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा, ''तीन सीट शिवसेना के पास हैं, पर हमने इन सीटों पर भी तैयारी शुरू कर दी है. बड़े नेता उम्मीदवारों के बारे में फैसला लेंगे. अगर गठबंधन नहीं होता है, तो हम अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.''


पार्टी के एक और सीनियर नेता ने कहा, ''हम साउथ सेंट्रल और साउथ की दोनों सीटों पर मजबूत होने की कोशिश करेंगे. बाकी जगहों के मुकाबले हमारी स्थिति इन दो सीटों पर कमजोर है. हम ऐसे प्वाइंट पर है जहां गठबंधन हो भी सकता है और नहीं भी.'' गौर करने वाली बात है कि साउथ सेंट्रल और साउथ दोनों सीटों अभी शिवसेना के खाते में हैं.


बीजेपी और शिवसेना के बीच में अब तक गठबंधन को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है. कुछ दिन पहले बीजेपी की तरफ से राज्य की आधी सीटें ऑफर करने के बाद भी शिवसेना ने साथ चुनाव लड़ने से इंकार किया था. उस वक्त शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी ने अभी तक अकेले चुनाव लड़ने के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया है. बीजेपी के लगातार शिवसेना के साथ गठबंधन बनाए रखने की कोशिशों के बावजूद शिवसेना किसानों और बाकी मुद्दों को लेकर उसे निशाने पर लिए हुए है.


बता दें कि महाराष्ट्र लोकसभा सीटों के नजरिए से देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 सीटों में से बीजेपी 23 और शिवसेना 18 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. लेकिन कुछ महीनों बाद राज्य में हुए विधानसभा चुनाव ने बड़े भाई की भूमिका नहीं मिलने पर अकेले चुनाव लड़ा था. हालांकि बीजेपी को सत्ता मिलने के बाद शिवसेना भी सरकार में शामिल हो गई.


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