Nagaland Assembly Election 2023: पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों की तस्वीर करीब-करीब साफ हो चुकी है. त्रिपुरा और नगालैंड की सत्ता में बीजेपी गठबंधन ने वापसी की है. वहीं, मेघालय की नई सरकार में भी पार्टी सहयोगी की भूमिका निभा सकती है. त्रिपुरा में बीजेपी को 32 सीटें मिली हैं. जबकि नगालैंड में बीजेपी और एनडीपीपी गठबंधन को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई है.
इस तरह से देखा जाए तो बीजेपी के लिए आज यानी गुरुवार (2 मार्च) का दिन काफी अच्छा साबित हुआ है. पार्टी के इस प्रदर्शन से पीएम मोदी काफी खुश हैं. उन्होंने तीनों राज्यों की जनता का आभार जताया है. पीएम मोदी ने कहा, ''मैं एनडीपीपी-बीजेपी को आशीर्वाद देने के लिए नगालैंड के लोगों को धन्यवाद देता हूं. लोगों ने राज्य की सेवा के लिए गठबंधन को एक बार फिर से जनादेश दिया है. डबल इंजन की सरकार प्रदेश की प्रगति के लिए काम करती रहेगी.''
नगालैंड विधानसभा की नई तस्वीर
नगालैंड की कुल 60 सीटों में से बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन को 37 सीटें हासिल हुई हैं. यहां जो दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है वह NCP है. इसे अभी तक 6 सीटों पर जीत हासिल हो चुकी है और एक सीट पर आगे चल रही है. 5 सीटों के साथ NPP तीसरे नंबर की पार्टी है. 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत हुई है. तो वहीं, NPF को 2 सीटें मिली हैं. चिराग पासवान की LJP (रामविलास), रामदास अठावले की RPI (अठावले) ने भी 2 सीटों पर जीत दर्ज की है. नीतीश कुमार की JDU को भी एक सीट हासिल हुई है.
NDPP-BJP गठबंधन की प्रचंड वापसी
प्रदेश में एक बार फिर से एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन ने इस बार 2018 से भी बड़ी जीत हासिल की. 2018 की तरह बीजेपी को इस बार भी 12 सीटें मिलीं, लेकिन उसका वोट शेयर 15 फीसदी से बढ़कर 18.8 फीसदी हो गया है. वहीं, बीजेपी की सहयोगी एनडीपीपी ने 40 सीटों पर चुनाव लड़कर कुल 25 सीटों पर कब्जा किया है. जबकि साल 2018 में उसने 40 सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. एनडीपीपी का वोट शेयर भी बढ़कर 32.22% हो गया. इस गठबंधन ने अबकी बार 51 फीसदी वोट हासिल किए.
कांग्रेस का फिर नहीं खुला खाता
नगालैंड में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन एक बार फिर से शर्मनाक रहा. यहां एक बार फिर पार्टी का खाता नहीं खुल पाया. हालांकि पिछली बार की तुलना में उसके वोट शेयर में 1 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. कांग्रेस को इस बार नगालैंड में 3.54 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि 2018 के चुनाव में 2.07 फीसदी वोट मिले थे. पिछले चुनाव में भी कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत पाई थी.
NOTA से फिसड्डी रह गई CPI
प्रदेश में इस बार सीपीआई का प्रदर्शन काफी खराब रहा. यहां सीपीआई को एक भी सीट हासिल नहीं हुई. इतना ही नहीं उसके वोट शेयर से ज्यादा तो नोटा का वोट शेयर रहा. नोटा को 0.31 फीसदी वोट शेयर मिला. जबकि सीपीआई का 0.0% रहा. 9.56% वोट शेयर के साथ एनसीपी ने 7 सीटें हासिल कीं. एनपीईपी को 5.78% वोट मिला. 7.09% वोट शेयर के साथ एनपीएफ को 2 सीटें मिलीं. जेडीयू को 3.25 फीसदी वोट मिला.
नीतीश-तेजस्वी से आगे निकले चिराग
नगालैंड में बिहार के तीन दलों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. इनमें नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, तेजस्वी यादव की आरजेडी और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) है. यहां चिराग ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों को पछाड़ दिया. चिराग की पार्टी को 8.65% वोट शेयर के साथ 2 सीटें हासिल हुईं. वहीं तेजस्वी यादव की आरजेडी 0.50% वोट शेयर मिलें. आरजेडी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई. रामदास आठवले की RPI (आठवले) ने भी 2 सीटें जीतीं. अन्य का वोट शेयर 10.28% रहा.