Politics On Bantenge To Katenge Slogan: बीजेपी के बंटेंगे तो कटेंगे नारे को लेकर एनडीए में ही फूट नजर आ रही है. इसके सहयोगी दल इसका विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इस तरह के नारे की कोई जरूरत नहीं है. महाराष्ट्र में अजित पवार वाली एनसीपी ने सबसे पहले विरोध किया और इसके बाद जेडीयू और जयंत चौधरी की पार्टी भी कतार में है.
बंटेंगे तो कटेंगे पर अजित पवार ने 7 नवंबर को मुंबई में कहा, “ये छत्रपति शिवाजी, राजर्षी शाहू महाराज और महात्मा फूले का महाराष्ट्र है. यहां के लोग इस तरह की टिप्पणी पसंद नहीं करते. यहां के लोगों ने हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने का प्रयास किया है. आप महाराष्ट्र की तुलना अन्य राज्यों से नहीं कर सकते.”
इस पर महायुति की दूसरी सहयोगी पार्टी एकनाथ शिंदे की सेना के नेता संजय निरूपम ने कहा कि अजित दादा आज नहीं समझ रहे लेकिन आगे समझेंगे कि बंटेंगे तो कटेंगे वाली लाइन जरूर चलेगी. उन्हें समझना पड़ेगा कि सीएम योगी कोई गलत बात नहीं कर रहे.
जेडीयू ने भी किया विरोध
जेडीयू के एमएलसी गुलाम गौस ने 8 नवंबर को पटना में कहा, “बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे की देश को कोई जरूरत नहीं है. इस नारे की जरूरत उन लोगों को है जिन्हें सांप्रदाय के नाम पर वोट चाहिए. जब देश की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हिंदू हैं तो देश में हिंदू कैसे असुरक्षित हो गए.” वहीं, चिराग पासवान ने इस मामले पर बीजेपी का साथ दिया है उनकी पार्टी ने कहा कि ये नारा ठीक है.
जयंत चौधरी ने क्या कहा?
हाल ही में उपचुनाव का प्रचार करते हुए जयंत चौधरी ने पत्रकारों से बात की थी. इस पर एक रिपोर्टर ने सवाल पूछा कि सीएम योगी आदित्यनाथ बंटोगे तो कटोगे की बात कर रहे हैं, इस पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा, "ये उनकी बात है." इतना कहकर वो चले गए. इससे पता चलता है कि आरएलडी भी इस नारे के साथ नहीं है.