2018: नया साल, नई चुनौतियां, जानें क्या हैं सियासी मायने?
2018 में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कर्नाटक समेत 3 राज्यों में अपनी सरकार बचाना हैं, क्योंकि देश में अब सिर्फ 5 राज्यों में ही कांग्रेस बची है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए 19 राज्यों पर कब्जा कर चुका है. ऐसे में 2019 की बड़ी जंग से पहले 2018 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए आखिरी मौके जैसा है.
नई दिल्ली: साल 2017 देश की राजनीतिक के लिए बेहद खास रहा. बीजेपी ने जहां 2017 की शुरुआत उत्तर प्रदेश में जीत से की तो साल का अंत गुजरात की जीत के साथ किया. वहीं कांग्रेस को 19 साल बाद नया राहुल गांधी के रूप में नया अध्यक्ष मिला.
नए साल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के सामने चुनौतियां साल 2017 के बाद अब नए साल 2018 में बीजेपी और कांग्रेस के सामने नई चुनौतियां सामने खड़ी हैं. बीजेपी की नजर उन आठ राज्यों पर है जहां 2018 में चुनाव होने हैं.
2018 में इन राज्यों पर रहेगी बीजेपी की नजर 2018 में जिन बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. इसके अलावा नागालैंड, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में भी विधानसभा चुनाव होंगे. इन 8 राज्यों में से 4 यानी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नागालैंड में अभी एनडीए की सरकार है. जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 3 राज्य कर्नाटक, मिजोरम और मेघालय हैं.
कांग्रेस के सामने सरकार बचाने चुनौती 2018 में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कर्नाटक समेत 3 राज्यों में अपनी सरकार बचाना हैं, क्योंकि देश में अब सिर्फ 5 राज्यों में ही कांग्रेस बची है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए 19 राज्यों पर कब्जा कर चुका है. ऐसे में 2019 की बड़ी जंग से पहले 2018 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए आखिरी मौके जैसा है.
कांग्रेस के पास स्थिति सुधारने का बड़ा मौका 2014 में 44 सीटों पर सिमट चुकी कांग्रेस को अपनी स्थिति सुधारने का एक मौका 2018 में मिलने वाला है. इस साल लोकसभा की 8 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें जम्मू कश्मीर में अनंतनाग, राजस्थान की अजमेर, अलवर, यूपी की गोरखपुर, फूलपुर, पश्चिम बंगाल की उलुबेरिया, बिहार की अररिया और महाराष्ट्र की भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट शामिल है. इन 8 सीटों में से 5 सीटें अभी तक बीजेपी के खाते में थीं, जबकि कांग्रेस के पास इनमें से एक भी सीट नहीं है.
राज्यसभा में एनडीए मजबूत हो जाएगा! संख्या बल के मामले में लोकसभा में विपक्ष पर हावी एनडीए राज्यसभा में कमजोर पड़ जाता है. ऐसे में 2018 में एनडीए को राज्यसभा में अपनी ताकत बढ़ाने का एक बड़ा मौका मिलने वाला है. 2018 में राज्यसभा के 65 सदस्य रिटायर हो रहे हैं यानी राज्यसभा की 65 सीटों के लिए चुनाव होंगे. अभी राज्यसभा में एनडीए के 78 और यूपीए के 74 सांसद हैं. राज्यों के मौजूदा गणित के मुताबिक 2018 में एनडीए की 11 सीटें बढ़ सकती हैं जबकि यूपीए को इतना ही नुकसान हो सकता है. यानी एनडीए राज्यसभा में यूपीए से ज्यादा ताकतवर हो जाएगा.
राज्यसभा से पास हुआ तो 2018 का पहला कानून होगा 'ट्रिपल तलाक बिल' राज्यसभा में एनडीए के ताकतवर होने का सीधा मतलब है की सरकार के लिए किसी भी कानून को पास कराना आसान हो जाएगा. जैसे तीन तलाक को खत्म करने वाला बिल लोकसभा में पास हो गया है और अब राज्यसभा में इस पर बहस होनी है. सरकार का दावा है कि वो इस बिल को राज्यसभा में भी पास करा लेगी. अगर ऐसा हुआ तो ये 2018 में बनने वाला पहला कानून होगा.