पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के लिए नोटेम जारी, दिल्ली के आसमान में सामान्य उड़ानों पर रहेगी पाबंदी
आजाद भारत के इतिहास का चौथा मौका है जब प्रधानमंत्री राष्ट्रपति भवन के खुले प्रांगण में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री मोदी (पहला कार्यकाल) के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति भवन के खुले प्रांगण में शपथ ली थी.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह के लिए दिल्ली के आसमान पर उड़ान के लिए नोटेम (हवाई कर्मियों के लिए सूचना) जारी किया गया है. सूत्रों के अनुसार इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के 300 किमी के दायरे में समारोह के दौरान किसी फ्लाइट को उड़ान की इजाजत नहीं होगी. इसके अलावा रोहणी हेलिपैड और सफदरजंग हवाई अड्डे को पर भी उड़ान की इजाजत नहीं होगी. नोटेम पीरियड के दौरान निर्धारित ऑपरेटरों द्वारा निर्धारित उड़ानें, एयरफोर्स, बीएसएफ, एविएशन रिसर्च सेंटर के एयरक्राफ्ट, सेना की क्यूआरटी टीम को ले जा रहा हेलिकॉप्टर, किसी दुर्घटना या मेडिकल इमरजेंसी के लिए जा रहा विमान, मुख्यमंत्रियों या राज्यपालों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टर या विमान को इस दौरान उड़ान भरने और लैंड करने की छूट रहेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए रायसीना पहाड़ी पर जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षा के अभेद्य इंतजाम किए जा रहे हैं. इंतजाम लगभग वैसे ही हैं जैसे गणतंत्र दिवस समारोह के लिए किए जाते हैं. सेना, वायुसेना से लेकर दिल्ली पुसिल तक कई घेरों की सुरक्षा व्यवस्था समारोह के लिए मुकम्मल हो रही है. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में होने वाले इस समारोह के दौरान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत अनेक महत्वपूर्ण व्यक्ति एक ही स्थान पर होंगे इसलिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की जा रही है. इस कड़ी में महत्वपूर्ण इमारतों और स्थानों पर वायुसेना की एंटी एयरक्राफ्ट गन और सेना के स्नाइपर के साथ ही इलाके में एनएसजी के विशेष कमांडो दस्तों और दिल्ली पुलिस के 100 से ज्यादा कमांडो वाली स्वॉट टीमों को तैनात जाएगा. सुरक्षा इंतजामों की कड़ी में हिंडन, पालम समेत नजदीकी एअरफोर्स स्टेशनों को भी अलर्ट पर किया गया है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली इलाके में ट्रैफिक नियंत्रण के लिए ही करीब एक हजार पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे. कामकाजी दिन होने के कारण सामान्य लोगों को आवाजाही में असुविधा न हो इसके लिए ट्रैफिक एडवायजरी भी जारी की जाएगी. वहीं शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचने वाले खास मेहमानों के लिए निर्धारित पार्किंग स्थानों से फेरी की भी व्यवस्था की जा रही है.
पीएम मोदी के शपथ समारोह में बिम्सटेक देशों समेत आठ देशों के प्रमुख शरीक हो रहे हैं वहीं कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, फिल्म सितारों, गणमान्य नागरिकों समेत करीब 8 हजार खास मेहमानों के पहुंचने की उम्मीद है. समारोह में श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, किर्गीज़स्तान के राष्ट्रपति शरीक हो रहे हैं वहीं नेपाल, भूटान, मॉरीशस के पीएम भाग लेंगे. इसके अलावा अनेक देशों के राजदूत औऱ दुनिया के गई देशों से खास एनआरआई मेहमान भी पहुंच रहे हैं.
शपथ समारोह के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विशिष्ट मेहमानों के लिए एक रात्रिभोज का आयोजन करेंगे. इस भोज में विशिष्ट अतिथि विदेशी नेताओं, प्रधानमंत्री व उनकी नई कैबिनेट के सदस्यों समेत करीब 40 लोग शरीक होंगे. रात्रिभोज में वैजिटेरियन और नॉन वैजिटेरियन व्यंजन दोनों शामिल होंगे. विशेष मेहमानों के लिए सजने वाले दस्तरखान में सूप, पालक की सब्जी, चिकन के साथ ही दाल रायसीना भी होगी जिसे बनाने में करीब 48 घंटे का वक्त लगता है. राष्ट्रपति भवन अधिकारियों के मुताबिक दाल रायसीना समेत सभी समारोह के लिए सभी तैयारियां शुरु हो चुकी हैं. शाम 7 बजे के समारोह के बाद मेहमानों के लिए हाई-टी का भी आयोजन किया गया है.
किर्गीज राष्ट्रपति से होगी पीएम मोदी की पहली मुलाकात प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अपनी पहली द्विपक्षीय मुलाकात किर्जीस्तान के राष्ट्रपति सूरनबे जीनबेकोव से करेंगे. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी के शपथ समारोह के लिए नई दिल्ली पहुंच रहे राष्ट्रपति सूरनबे गुरुवार रात को ही लौट जाएंगे. ऐसे में उनके साथ पीएम मोदी शपथ समारोह के बाद ही कुछ देर की मुलाकात करेंगे. जबकि अन्य मेहमान नेताओं के साथ उनकी मुलाकात 31 मई को हैदराबाद हाऊस में होगी. गौरतलब है कि पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की मौजूदा अध्यक्षता कर रहे किर्गीज़स्तान के राष्ट्रपति को अपने शपथ समारोह में शरीक होने का न्यौता भेजा था. महज एक पखवाड़े के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए किर्गीस्तान की राजधानी बिश्केक जाएंगे.
यह दूसरा मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ लेंगे. इससे पहले प्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में राष्ट्रपति भवन के विशाल अहाते में शपथ ली थी. हालांकि 1990 में इस तरह खुले आकाश के नीचे शपथ लेने की परंपरा को शुरु करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर थे. भारत के अधिकतर प्रधानमंत्रियों ने राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में ही शपथ ली.