ओडिशा विधानसभा चुनाव 2019: 19 साल से सत्ता में काबिज हैं नवीन पटनायक
ओडिशा विधानसभा चुनाव 2019: नवीन पटनायक 19 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज हैं. अब तक जो भी चुनावी सर्वे सामने आए हैं, उनमें बीजेडी को बीजेपी से टक्कर मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. लेकिन पटनायक का ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए बीजेपी के लिए किसी भी मायने में ये चुनौती आसान नहीं है.
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ओडिशा विधानसभा चुनाव 2019: आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल और सिक्किम वो राज्य हैं, जिनके विधानसभा चुनाव 2019 के आम चुनाव के साथ ही होंगे. यूपी में एसपी-बीएसपी के गठबंधन के बाद से माना जा रहा है ओडिशा बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण राज्य है. लेकिन बीजेपी को इस राज्य में जीत हासिल करने के लिए नवीन पटनायक की मुश्किल चुनौती का सामना करना है.
72 साल के नवीन पटनायक 2000 में पहली बार ओडिशा के सीएम बने थे. तब से लेकर अब तक नवीन पटनायक लगातार 3 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और 19 साल से सीएम की कुर्सी पर बने हुए हैं. 2009 के चुनाव से पहले नवीन पटनायक ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था और अकेले ही राज्य का चुनाव लड़ा. नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल पर एनडीए से अलग होने का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. बीजेडी ना सिर्फ 2009 का चुनाव जीतने में कामयाबी हुई, बल्कि 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद पटनायक की जीत का अतंर विरोधी पार्टियों के मुकाबले बढ़ गया.
2014 के चुनाव में मिली थी भारी जीत
ओडिशा में विधानसभा की 147 सीटें हैं. 2009 के मुकाबले बीजेडी ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए 14 सीटें ज्यादा जीतीं और विधानसभा में कुल 117 कुर्सियां हासिल कर ली. वहीं मुख्य विरोधी पार्टी कांग्रेस की स्थिति 2014 के चुनाव में पहले से भी खराब हो गई. कांग्रेस को इस चुनाव में 11 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा और उसके सिर्फ 16 उम्मीदवार ही चुनाव जीतने में कामयाब हो पाए. बीजेपी ने इस चुनाव में पहले से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया, पार्टी ने अपने खाते में कुल 10 सीटें डाल ली. वहीं 2 निर्दलीय उम्मीदवारों के अलावा समता क्रांति दल और सीपीएम भी एक-एक सीट जीतने में कामयाब हुए.
वोट प्रतिशत के मामले में भी बीजेडी रही आगे
वोट प्रतिशत के मामले में भी नवीन पटनायक दूसरी पार्टियों के मुकाबले कहीं ज्यादा आगे रहे. 2014 के विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी को कुल 43.4 फीसदी वोट हासिल हुए थे. 25.7 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी.
बीजेपी ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए 18 फीसदी वोट हासिल किए थे. राज्य में अलग अलग सीटों पर चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवार 5 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे. नोटा पर कुल 1.3 फीसदी वोट पड़ा था, जबकि एसकेपी और सीएम दोनों पार्टियों को इस चुनाव में 0.4 फीसदी वोट मिले थे.
लोकसभा में बीजेडी ने जीती 20 सीटें
लोकसभा चुनाव में बीजेडी ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों को बुरी तरह से हरा दिया था. राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से बीजेडी को 20 सीटों पर जीत मिली, जबकि 1 सीट बीजेपी के खाते में गई. मुख्य विरोधी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी.
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