नई दिल्ली: भले ही लोकसभा चुनाव के लिए दो चरणों की वोटिंग अब भी बाकी हों, विपक्षी पार्टियों के नेता चुनाव बाद की स्थितियों पर चर्चा के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं. विपक्षी दलों का दावा है कि इस लोकसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी या मौजूदा गठबंधन को बहुमत नहीं मिलेगा. ऐसे में नई सरकार के गठन में उनकी भूमिका अहम होगी. यहां पर यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव बाद गठबंधन का ढांचा क्या होगा. दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस से अलग तीसरे मोर्चे के गठन की भी चर्चा हो रही है. इस संबंध में पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से मुलाकात की थी.


इसके ठीक बाद दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. इस बैठक में 21 मई को विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की योजना पर चर्चा की गई. जिससे कि चुनाव बाद गठबंधन की रूपरेखा तय हो सके. लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे. लोकसभा चुनाव के लिए दो चरणों की वोटिंग बाकी है. 12 मई और 19 मई को 59-59 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. 424 सीटों पर पांच चरणों में वोट डाले जा चुके हैं.


चर्चा यहां तक है कि विपक्षी पार्टियां चुनाव परिणाम से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की योजना में हैं. इन पार्टियों की रणनीति है कि राष्ट्रपति से अपील की जाए कि अगर खण्डित जनादेश (किसी भी एक गठबंधन को बहुमत नहीं मिलना) मिलता है तो राष्ट्रपति सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न करें.


आपको बता दें कि हाल ही में वीवीपीएटी के मसले पर 21 पार्टियां एक साथ आई थी और सात मई को दिल्ली में इन दलों के नेताओं की मुलाकात हुई थी. हालांकि उसे वीवीपीएटी पर सुप्रीम कोर्ट से खास सफलता नहीं मिली. इस बैठक में भी मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की गई.


चुनाव के बीच गैर कांग्रेस-गैर बीजेपी गठबंधन की कवायद में जुटे KCR, थर्ड फ्रंट के लिए विजयन से की मुलाकात


चंद्रबाबू नायडू आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी से मिलेंगे और उनके साथ रैलियां करेंगे. हाल ही में सीपीआई(एम) महासचिव सीतारमण येचुरी और डी राजा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात की थी.


इन सियासी मुलाकातों के बीच बीजेपी और विपक्षी पार्टियां जोर-शोर से प्रचार में जुटी है. बीजेपी का दावा है कि 2014 की तरह ही वह पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी. वहीं विपक्ष का कहना है कि बीजेपी को दक्षिण भारत, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार में भारी नुकसान होगा, जो उसे बहुमत से दूर रखेगा.


ध्यान रहे कि चुनाव पूर्व भी विपक्षी पार्टियों ने राज्यवार गठबंधन बनाने की कवायद की थी. लेकिन क्षेत्रीय वर्चस्व ने सभी को एक-दूसरे के सामने खड़ा कर दिया. अब एक बार फिर से विपक्ष ने साथ आकर बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए रणनीति शुरू कर दी है.