नई दिल्ली: दिल्ली में हुई कांग्रेस की नवगठित कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में महा-गठबंधन का मुद्दा छाया रहा. सोनिया गांधी से लेकर पी चिदंबरम तक ने अपने भाषण में गठबंधन की जरूरत पर बल दिया. सूत्रों के मुताबिक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए समान विचारधारा वाले दलों को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं छोड़कर साथ आना चाहिए. वहीं पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने 2019 में मिशन 300 का एक खाका पेश किया.
कांग्रेस कर सकती है अपने दम पर सीटें तिगुनी
सूत्रों के मुताबिक चिदम्बरम ने प्रेजेंटेशन देते हुए कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में बारह राज्यों में कांग्रेस अपने दम पर सीटें तिगुनी कर सकती है. चिदम्बरम ने कहा कि करीब 300 सीटों पर कांग्रेस मजबूत है वहीं 250 सीटों पर क्षेत्रीय दल. कांग्रेस 300 में से 140 से 150 सीटें जीतने की स्थिति में है. वहीं बहुमत का आंकड़ा सहयोगियों के सहारे छू सकती है. संकेत साफ है कि कांग्रेस लगभग 300 सीटों पर अकेले लड़ने और लगभग 250 सीटों पर रणनीतिक गठबंधन की जरूरत समझ रही है.
48 सीटों से 150 सीटों पर पहुंच सकती है कांग्रेस-चिदंबरम
मतलब ये कि फिलहाल कांग्रेस के पास 48 सीटें हैं, चिदम्बरम के मुताबिक कांग्रेस इसे 150 सीटों तक पहुंचा सकती है. ये वो सीटें हैं जहां कांग्रेस-बीजेपी की सीधी लड़ाई है. ये राज्य हैं गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल, कर्नाटक, पंजाब, असम आदि. सूत्रों के मुताबिक चिदम्बरम ने कहा कि अन्य जगहों पर कांग्रेस को रणनीतिक गठबंधन करना चाहिए ताकि बीजेपी को रोका जा सके.
150-150 का फॉर्मूला
इस तरह चिदम्बरम का फार्मूला समझने की कोशिश करें तो ये 150+150 का है. 150 सीटें अपने दम पर और 150 साथियों के साथ. ऐसा होते ही यूपीए की सरकार बन जाएगी. चिदम्बरम के अलावा कई और नेताओं ने भी गठबंधन की अहमियत पर जोर दिया लेकिन कहा कि उसके केंद्र में कांग्रेस हों और चेहरा राहुल गांधी हों.
सचिन पायलट, शक्ति सिंह गोहिल, रमेश चेन्निथला जैसे कुछ नेताओं ने बैठक में कहा कि हमें रणनीतिक गठबंधन बनाना चाहिए. साथ ही कोशिश करनी चाहिए कि गठबंधन के केंद्र में कांग्रेस हो, हम सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरें और हमारे नेता राहुल गांधी गठबंधन का चेहरा हों.
बैठक में नेताओं ने पार्टी संगठन को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया. नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया. इस सरकार की नाकामयाबियों को जनता के बीच लेकर जाना है.
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