Women Reservation Bill News: 27 साल से लटके महिला आरक्षण बिल को संसद के विशेष सत्र के पहले दिन यानी सोमवार (18 सितंबर 2023) को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. चर्चा है कि सरकार इसी सत्र में इसे सदन में पेश करेगी. इस बिल में महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है.
यह बिल करीब तीन दशक से लटका हुआ है. ऐसे में एक बार फिर सबकी नजर इस पर है. अगर यह बिल दोनों सदनों में पास होता है तो संसद के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों के विधानसभाओं की भी तस्वीर बदल जाएगी. आइए जानते हैं 33 प्रतिशत आरक्षण के बाद संसद और अन्य सदनों में क्या-क्या बदल जाएगा.
लोकसभा और राज्यसभा की अभी की तस्वीर
बात लोकसभा की करें तो यहां अभी 78 महिला सांसद हैं, जो 14 प्रतिशत होता है. राज्यसभा में 29 महिला सांसद हैं और यह 12 पर्सेंट है. अगर यह बिल पास होता है तो अगले साल चुनाव के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 180 हो जाएगी. वहीं, राज्यसभा में यह संख्या 81-82 हो सकती है. 2019 से पहले 2014 में महिला सांसदों की संख्या 62, वर्ष 2009 में 59, साल 2004 में 45 और वर्ष 1999 में 49 थी.
विधानसभाओं में भी अच्छी स्थिति नहीं
बात अगर देश की अलग-अलग विधानसभाओं की करें तो वहां भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. देश के किसी भी राज्य की विधानसभा में 15 प्रतिशत से अधिक महिला विधायक नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 14.44 पर्सेंट महिला विधायक हैं. वहीं, नगालैंड और मिजोरम दो ऐसी विधानसभाएं हैं जहां एक भी महिला सदस्य नहीं है.
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी
संविधान के अनुच्छेद 243D के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया गया. अनुच्छेद 243D ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की. चुनाव से भरी जाने वाली सीटों की कुल संख्या और पंचायतों के अध्यक्षों के पदों की संख्या में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई आरक्षण है. 21 राज्यों ने अपने-अपने राज्य में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है. ये राज्य आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल हैं.
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