कर्नाटक: इन पांच मुद्दों पर कांग्रेस को घेरेगी बीजेपी, पीएम एक मई से संभालेंगे मोर्चा
बीजेपी ने चुनाव प्रबंधन के लिए 40 नेताओं को 4-4 विधानसभा सीटों की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है यानि नजर हर घर पर है.
नई दिल्ली: कर्नाटक में लाख चुनावी पेंच फंसे होने के सर्वे आ रहे हों लेकिन बीजेपी को भरोसा है कि उसे कम से कम 125 सीटों पर जीत मिलेगी. पार्टी के रणनीतिकारों का दावा है कि मोदी का विकास का मंत्र कर्नाटक में भी काम करेगा. मोदी 1 मई से चुनावी शंखनाद करेंगे और कुल 20 रैलियों को संबोधित कर सकते हैं.
बीजेपी का मानना है कि 2014 के बाद लगातार कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हार रही है. गरीबों के मसीहा होने का कांग्रेस का दावा देश की जनता ने खारिज कर दिया है. इसलिए कर्नाटक में वोट बीजेपी के लिए ही पड़ेगा. बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि पांच मुद्दे पर कर्नाटक की सिद्धारमैय्या सरकार को ऐसा घेरा गया है कि जनता का वोट बीजेपी के पाले में गिरना तय है.
ये हैं वे पांच मुद्दे जिनके जरिए कांग्रेस को कुर्सी से बदखल करना चाहती है बीजेपी
पहला मुद्दा है किसान परेशान: कर्नाटक में शहरी सीटों की संख्या खासी कम है. इनमें बैंगलुरु की 28 सीटें, धारवाड की 2 सीट, मैसूर 2, मैंगलोर 2 और बेलगाम की 2 सीटें मिला कर कुल 224 में सिर्फ 36 सीटें शहरी हैं बाकि सभी ग्रामीण सीटें हैं. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस राज में 3500 किसानों ने आत्महत्या की है और उनके परिवारों को कोई मुआवजा भी नहीं मिला. किसानों को फसलों का उचित मुल्य नहीं मिल रहा. सिद्धारमैय्या की छवि किसान विरोधी है तो येदियुरप्पा माने जाते हैं रैय्यत बंधु यानि किसानों के हितैषी. आलाकमान को भरोसा है कि येदियुरप्पा की यही छवि बीजेपी के पक्ष में किसानों का वोट खींचेगी.
दूसरा मुद्दा राजधानी को बनाया कूड़े का ढेर: बीजेपी का कहना है कि बागों के शहर बैंगलुरु को कूडे का शहर बना दिया. यानि कांग्रेस राज में गार्डेन सिटी गारबेज सिटी बन गयी. पॉटहोल यानि सड़कों पर ऐसे गढ्ढे जिसे पार करने में लोगों की जानें भी गयीं. झीलों के शहर में अब गंदगी का आलम ये कि पानी तक में आग लग जाती है. बैंगलुरु में 28 विधानसभा सीटें हैं और शायद कांग्रेस राज का ये असर वोटरों को नहीं भाए.
तीसरा मुद्दा भ्रष्टाचार: बीजेपी के मुताबिक सिद्धारमैय्या सरकार भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई है. ये साबित करने में बीजेपी नेता कोई असर नहीं छोड रहे हैं. बीजेपी का आरोप है कि बालू माफिया का राज ऐसा फैला है कि बीजेपी सरकार में 1700 रुपये में ट्रक भर के मिलने वाला बालू अब 70000 रुपये प्रति ट्रक पहुंच गया है.
चौथा मुद्दा बिगड़ी कानून व्यवस्था: बीजेपी लगातार ये मुद्दा उठा रही है कि बैंगलुरु अब क्राईम कैपिटल बन गया है. बलात्कार की घटनाएं बढी हैं, अच्छे अधिकारियों को साईडलाईन किया गया.
पांचवां मुद्दा हिंदुत्व: बीजेपी कांग्रेस सरकार पर लगातार निशाना साध रही है कि उनकी सांठ-गांठ आतंकी सगठनों से है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या की अहिंद राजनीति को लेकर बीजेपी नेता लगातार हल्ला बोल रहे हैं. कर्नाटक के भावनात्मनक मुद्दों की काट के लिए बीजेपी ने मेरा घर मेरा झंडा के नारे को बुलंद किया है.
कार्यकर्ताओं को संदेश- किसी एक की नहीं चलेगी कर्नाटक में बीजेपी कोई भी कसर नहीं छोडना चाहती. इसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा के बेटे को टिकट नहीं मिला और पूर्व मंत्री शोभा करंदलाजे का भी पत्ता कट गया. पार्टी और वोटरों में संदेश भी गया कि बीजेपी में एक की तूती नहीं बोलने वाली. बीजेपी आलाकमान को लगता है कि ये फैसला भी उनके पक्ष में ही जाएगा क्योंकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या खुद दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं और उनके बेटे को भी टिकट मिल गया है. शायद ये कांग्रेस के भीतर भीतरघात का भी कारण बने.
कांग्रेस के लिंगायत कार्ड की बीजेपी ने खोजी काट लिंगायतों को अल्पसंख्यक दर्जा देने का कांग्रेस सरकार के फैसले की काट भी बीजेपी ने ढूंढ ली है. लिंगायत मठों से लेकर 18 फीसदी लिंगायत वोटरों को यही संदेश दिया है कि इस पेंच में फंसना है या फिर लिंगायत मुख्यमंत्री बनाना है. सूत्र बताते हैं कि ये फैसला पहले भी केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने पलट दिया था और बांटने की ये कोशिश रंग नहीं लाएगी. बीजेपी के तमाम नेता और सांसद कर्नाटक के हर इलाकों में मोर्चा संभाले बैठे हैं. बीजेपी ने चुनाव प्रबंधन के लिए 40 नेताओं को 4-4 विधानसभा सीटों की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है यानि नजर हर घर पर है.