नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी संसदीय सीट से कुछ ही देर से अपना नामांकन भरेंगे. इससे पहले वह काशी के भैरव मंदिर में दर्शन के लिए गए. मंदिर में पीएम मोदी पूजा-अर्चना की. बता दें कि काशी के भैरव मंदिर को कोतवाल भी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है काशी में भैरव बाबा को खुद महादेव ने कोतवाल नियुक्त किया है. मान्यता है कि किसी भी काम से पहले बाबा भैरव की अनुमति लेनी होती है.


क्या है मान्यता


कथाओं के अनुसार माना जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. दोनों के विवाद इस कदर बढ़ गया कि वह इसको खत्म करने के लिए भगवान शिव के पास गए. कुछ बातों को लेकर ब्रह्मा जी, भगवान शिव को अपशब्द कहने लगे जिसके बाद भगवान शिव को गुस्सा आ गया. भगवान शिव के गुस्से से ही काल भैरव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्मा का सिर काट दिया था.


इसी कारण ब्रह्मा चतुर्मुख हो गए. इसके बाद भैरव पर ब्रह्मा हत्या का आरोप लगा. शिव ने उन्हें काशी जाने को कहा जहां उन्हें ब्रह्मा के हत्या के दोष से मुक्ति मिलती. रूद्र ने इन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया. आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं. ऐसा माना जाता है भैरव बाबा शहर के रक्षक हैं. शहर में बिना काल भैरव की इजाजत के कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता.


यमराज को भी काशी में लोगों को दंड देने का अधिकार नहीं


मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ काशी के राजा हैं और काल भैरव उनके कोतवाल, जो लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं. मान्यता यह भी है कि यमराज को भी यहां के इंसानों को दंड देने का अधिकार नहीं है. उनके मुताबिक, काल भैरव के दर्शन मात्र से शनि की साढ़े साती और शनि दंड से बचा जा सकता है.


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