विशेष राज्य का दर्जा भी क्या बिहार का नहीं कर पाएगा उद्धार? चुनाव के पहले PK ने समझा दिया कहां हैं पेंच
Prashant Kishor News: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने समझाया कि कैसे और कहां पर बिहार का विकास रुका हुआ है.
Prashant Kishor On Bihar Special Status: बिहार को पिछले कई सालों से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही है. इस बार एनडीए की सरकार बनने के बाद जदयू नेता बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद भी बिहार का उद्धार नहीं होगा.
प्रशांत किशोर ने कहा, "आज कांग्रेस बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांग रही है, जब यूपीए की सरकार थी तो क्यों नहीं दे दिए दर्जा. सीएम नीतीश कुमार के दम पर ही केंद्र की सरकार चल रही है, क्यों नहीं विशेष राज्य का दर्जा ले लिए."
प्रशांत किशोर ने समझाया विशेष राज्य के दर्जे का गणित
विशेष राज्य का दर्जा का मतलब ये है कि जो केंद्र पोषित योजनाएं हैं, उसमें जो केंद्र की हिस्सेदारी होगी वो बढ़ जाएगी. अगर सरकार सर्व शिक्षा के नाम 100 रुपया खर्च करती है तो 60 रुपया केंद्र से आता है और 40 रुपया राज्य सरकार से आता है. अगर विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा तो संभव है कि केंद्र फिर 60 के बजाय 80 रुपया देने लगेगा, लेकिन अगर वह पैसा आ भी जाए तो क्या राज्य की सभी स्कूलों की स्थिति सुधर जाएगी?"
क्यों नहीं बदलेगी बिहार की स्थिति?
प्रशांत किशोर ने कहा, पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार ने 51,000 करोड़ रुपया खर्च किए बिना सरेंडर कर दिया. अगर विशेष राज्य के तहत ज्यादा पैसा मिलने लगेगा तो क्या भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा? कमीशनखोरी बंद हो जाएगी? आपके पास जो संसाधन है, उसका आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. अगर ज्यादा संसाधन आ भी जाए तो उससे कोई परिवर्तन नहीं आने वाले है. जब तक यहां की व्यवस्था नहीं सुधरेगी, तब तक बाहर के पैसे से यहां सुधार नहीं होने वाला है. बिहार की पूरी व्यवस्था को पहले सुधारना होगा नहीं तो यहां जितना पैसा आएगा, उतना लूट होगा."
प्रशांत किशोर ने कहा, "नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपने दल के लिए दो मंत्री पद मांगा. खुद के लिए यह मांगा कि वही अगले पांच साल तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. बिहार में जो चीनी मील बंद है उसे शुरू करने की बात भी तो कह सकते थे, लेकिन उनकी मंशा काम करने की है ही नहीं."
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