Punjab Assembly Election 2022: वोटिंग से पहले डेरों को साधने का दांव, नूरमहल डेरा पहुंचे मुख्यमंत्री Charanjit Channi
Punjab Assembly Election: कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पिछले दिनों जालंधर के डेरा बल्ला में रात गुजारते नजर आए थे तो सोमवार देर रात चरणजीत सिंह चन्नी नूर महल में दिव्य ज्योति नाम से मशहूर डेरे में पहुंचे.

Punjab Election: पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में राजनीतिक पारा चरम पर है. तमाम राजनीतिक पार्टियां वोटरों से खुद को जोड़ने के लिए तमाम तिकड़म इस्तेमाल कर रही हैं. पंजाब में जितने अहम जातीय समीकरण हैं, उतना ही दबदबा डेरों का भी है, जिनके करोड़ों अनुयायी हैं. इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिलने को भी राजनीतिक दल डेरा वोट बैंक से जोड़कर देख रहे हैं. बीते दिनों पीएम नरेंद्र मोदी राधा स्वामी डेरा के प्रमुख से मुलाकात की थी.
इसके बाद सोमवार देर रात पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी नकोदर के आशुतोष डेरा से मिलने पहुंचे. कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पिछले दिनों जालंधर के डेरा बल्ला में रात गुजारते नजर आए थे तो सोमवार देर रात चरणजीत सिंह चन्नी नूर महल में दिव्य ज्योति नाम से मशहूर डेरे में पहुंचे. अगर इस डेरे की बात की जाए तो नकोदर, जालंधर और नूर महल के आसपास के एरिया में इस डेरे का अच्छा प्रभाव है.
पंजाब में राजनीति डेरावाद से पूरी तरह गर्माई हुई है. हर पार्टी के नुमाइंदों की डेरा प्रमुखों से बातचीत हो रही है. पिछले दिनों जब डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को फरलो दी गई तो लोगों ने सवाल उठाया कि उसे फरलो इसलिए दी क्योंकि बीजेपी का पंजाब के मालवा एरिया में फायदा हो सके, क्योंकि पंजाब के मालवा एरिया में डेरा सिरसा का अच्छा प्रभाव है.
वहीं बात डेरा ब्यास की करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेरा ब्यास के मुखी के साथ एक तस्वीर शेयर की जिससे एक इशारा मिलता हुआ नजर आया कि डेरा ब्यास बीजेपी को समर्थन दे रहा है.
पंजाब में डेरों का दबदबा
पंजाब में 6 ऐसे डेरे हैं, जिनके न सिर्फ लाखों-करोड़ों लोग अनुयायी हैं बल्कि इनका राजनीति रसूख भी है. पंजाब में एक चौथाई आबादी किसी न किसी डेरे से ताल्लुक रखती है. ये डेरे हैं- डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग ब्यास, नूरमहल डेरा (दिव्य ज्योति जागृति संस्थान), संत निरंकारी मिशन, नामधारी संप्रदाय और डेरा सचखंड बल्लां. ये डेरे बेहद प्रभावशाली हैं और चुनाव के दौरान 68 विधानसभा क्षेत्रों में अपना असर रखते हैं. जबकि 30-35 सीटें ऐसी हैं, जहां ये किसी प्रत्याशी का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं.पंजाब की आबादी 2.98 करोड़ है. इनमें से करीब 53 लाख वोटर ऐसे हैं, जो डेरों को मानते हैं.
किस डेरे का कहां और कितना प्रभाव
डेरा सच्चा सौदा: इसकी स्थापना साल 1948 में बलूचिस्तान के शाह मस्ताना ने की थी. साल 1990 में 23 साल की उम्र में गुरमीत राम रहीम ने इसका जिम्मा संभाला. इस क्षेत्र में राम रहीम ने डेरों का कायाकल्प कर दिया. वह आम वाचक से रॉक स्टार बाबा बन गया. वह फिलहाल जेल में है. लेकिन फिर भी इस डेरे का प्रभाव करीब 35-40 सीट पर है. इसके प्रभाव वाले क्षेत्रों में मालवा बठिंडा, मांसा, संगरूर, पटियाला, बरनाला और लुधियाना आते हैं.
राधा स्वामी: इस डेरे का 15-20 सीटों पर असर है और इसके प्रभाव वाले इलाके हैं अमृतसर, तरनतारन और गुरुदारपुर
सचखंड बल्लां: दोआबा क्षेत्र (जालंधर, कपूरथला, नवाशहर) में असर रखने वाले इस डेरे का 8-10 सीटों पर प्रभाव है.
निरंकारी: अमृतसर और तरनतारन में इस डेरे के काफी अनुयायी हैं और 7-8 सीटों पर प्रभाव भी.
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान: इस डेरे का माझा और दोआबा दोनों क्षेत्रों में प्रभाव है. इस डेरे का 8 सीटों पर प्रभाव माना जाता है.
नामधारी: विशेष रूप से माझा और मालवा क्षेत्र में असर रखने वाले इस डेरे का 9-10 सीटों पर प्रभाव है.
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