Sunil Jakhar Quits Electoral Politics: पंजाब में होने जा रहे विधानसभआ चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की तरफ से सीएम चेहरे के एलान के बाद पार्टी के सीनियर नेता सुनील जाखड़ का सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा ने मुश्किलें बढ़ाकर रख दी है. हालांकि, सुनील जाखड़ ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वे कांग्रेस के साथ बने रहेंगे लेकिन उनके इस्तीफे के एलान ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. सुनील जाखड़ राज्य की राजनीति में बड़ा हिन्दू चेहरा माने जाते हैं और चुनाव में कांग्रेस की तरफ से उन्हें प्रचार समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया था. पिछले दिनों जाखड़ ने ऐसा कहा था कि वे हिन्दू के चलते पंजाब का सीएम नहीं बना है. ऐसी स्थिति में उनके अचानक सक्रिय राजनीति से संन्यास का यह एलान अचानक नहीं कहा जा सकता है, बल्कि यह उनकी नाराजगी जताने का एक तरीका है.
हिन्दू वोटर का पंजाब में कितना असर?
दरअसल, पंजाब में हिन्दू वोटर्स की ताकत की बात करें तो यहां पर 38% हिन्दू मतदाता है. इनका असर शहरी क्षेत्र के 46 फीसदी विधानसभा सीटों पर माना जाता है. सबसे दिलचस्प बात ये हैं कि शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को जोरदार समर्थन मिलता रहा है. लेकिन पिछली बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां पर शानदार प्रदर्शन किया था. इस स्थिति में कांग्रेस अब इस ऊहपोह की स्थिति में है कि कहीं सुनील जाखड़ के जाने का खामियाजा उसे न भुगतना पड़े. इसलिए इसे गलत मैसेज लोगों के बीच जाने का डर सता रहा है.
इससे पहले, राहुल गांधी की तरफ से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का एलान करने के बाद सुनील जाखड़ ने लुधियाना में रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में जाखड़ ने कहा, ‘मैं सक्रिय राजनीति से दूर हूं. यह मैं पिछले पांच दिनों से कह रहा हूं। लेकिन मैं कांग्रेस का हिस्सा बना हुआ हूं.’ वह राजनीति में बने रहने से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे. 68 वर्षीय जाखड़ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वर्चुअल रैली के सिलसिले में रविवार को लुधियाना में थे.
जाखड़ ने 42 विधायकों के समर्थन का किया था दावा
कुछ दिन पहले जाखड़ ने दावा किया था कि बीते साल अमरिंदर सिंह के अचानक हटने के बाद पार्टी के 42 विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे. इस खुलासे के बाद ‘आप’ ने कांग्रेस पर जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाया था, जबकि भाजपा ने पार्टी के ‘धर्मनिरपेक्षता’ के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जाखड़ को ‘उनके धर्म के कारण’ मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया गया. अमरिंदर सिंह के हटने के बाद सुनील जाखड़ मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को तरजीह दी, जो पंजाब के अनुसूचित जाति समुदाय के पहले मुख्यमंत्री बने.
कौन हैं सुनील जाखड़?
सुनील जाखड़ पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के बेटे हैं. उनके भतीजे संदीप जाखड़ 20 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में अबोहर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आजमा रहे हैं. 1954 में अबोहर के पंजकोसी गांव में जन्मे सुनील जाखड़ 2002 से 2017 के बीच अबोहर से तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं. वह राज्य की पिछली अकाली-भाजपा सरकार के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं. जाखड़ 2017 में अबोहर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे. उन्होंने 2017 में सांसद विनोद खन्ना की मृत्यु के बाद गुरदासपुर लोकसभा सीट से सफलतापूर्वक उपचुनाव लड़ा था.
जाखड़ को पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में भी नियुक्त किया गया था. बाद में, उनकी जगह नवजोत सिंह सिद्धू ने ले ली. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जाखड़ को गुरदासपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार और अभिनेता सनी देओल के खिलाफ 82,000 से अधिक मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.
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