Sidhu vs Bajwa: पंजाब में मुश्किल होगा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का इम्तिहान, सिद्धू-बाजवा के घमासान से पार्टी हो रही परेशान
Punjab Politics: नवजोत सिंह सिद्धू और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इससे पहले विधानसभा चुनाव के दौरान भी टकराव देखने को मिला था. हालांकि पार्टी आलाकमान ने तब चीजों को मैनेज कर लिया था.
Punjab Congress Crisis: वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू की पंजाब की राजनीति में वापसी के बाद से पार्टी के अंदर फिर से कलह बढ़ रही है. सिद्धू और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के बीच सप्ताह भर से जुबानी जंग जारी है. इस साल ज्यादातर समय अपनी पत्नी के इलाज और अपने बेटे की शादी में व्यस्त रहने वाले सिद्धू ने रविवार को बठिंडा में एक विशाल एकल रैली के साथ अपनी वापसी की घोषणा की.
मंगलवार को बाजवा ने सिद्धू पर व्यक्तिगत रैलियां करने और राज्य में कांग्रेस के एक समानांतर मंच बनाने का आरोप लगाया. बाजवा ने दावा किया कि पंजाब के लोगों ने उन्हें जो ध्यान, प्रशंसा और सम्मान दिया, उसे सिद्धू पचा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के लिए भी सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया.
सिद्धू के इस पोस्ट से भड़के बाजवा
बुधवार को सिद्धू ने अपने वफादार समर्थक और सामाजिक कार्यकर्ता मलविंदर सिंह मल्ली की ओर से 'एक्स' पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें कांग्रेस के पतन के लिए बाजवा पर हमला किया गया था. इसके बाद उन्होंने अपना समर्थन देने वाले पांच पूर्व विधायकों के बयान भी पोस्ट किए.
बाजवा समर्थकों ने सिद्धू पर किया हमला
इसके कुछ घंटे बाद ही बाजवा का समर्थन करते हुए कांग्रेसियों के एक अन्य समूह ने एक बयान जारी कर अनुशासनहीनता के लिए सिद्धू को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की. उन्होंने बयान में कहा, ''सिद्धू तहखाने में रखा एक बम है, जो फटने का इंतजार कर रहा है.'' दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को भी तीखी नोकझोंक जारी रही.
सिद्धू ने की बाजवा की टिप्पणी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
सिद्धू ने एक अन्य कांग्रेस नेता गौतम सेठ की पोस्ट को दोबारा साझा किया, जिन्होंने उनका समर्थन किया और बाजवा की टिप्पणियों को "अवांछित और दुर्भाग्यपूर्ण" बताया. सिद्धू ने सीधे पोस्ट के जरिए अपनी आलोचना जारी रखी और कहा कि पंजाब में कांग्रेस का एजेंडा व्यक्तिगत नेताओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है.
ये भी पढ़ें