Punjab Election Update: पंजाब में सीएम का चेहरा ढूंढ रही कांग्रेस (Congress) के लिए मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने बगावत शुरू कर दी है. नाराज कांग्रेसी नेताओं के परिजन निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए हैं. राज्य की 9 सीटों पर कांग्रेस से बागी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की भदौड सीट भी शामिल हैं. चन्नी के घर से शुरू हुई बगावत उनके दूसरे विधानसभा क्षेत्र तक पहुंच गई है. चन्नी के छोटे भाई डॉ. मनोहर सिंह कांग्रेस का टिकट न मिलने पर बस्सी पठाना सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. चन्नी ने भाई को मनाने की बड़ी कोशिश की, लेकिन वे जिद पर अड़ गए. चुनाव के लिए मनोहर ने सरकारी नौकरी भी छोड़ दी है. कांग्रेस ने बस्सी पठाना से मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी को टिकट दिया है.
दूसरी तरफ विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और कांग्रेस के मलोट से मौजूदा विधायक अजायब सिंह भट्टी की पत्नी मंजीत कौर सीएम चन्नी के खिलाफ भदौड़ सीट से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गई हैं. भट्टी ने कांग्रेस के टिकट पर मलोट से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उनका पत्ता काट दिया गया और उनकी जगह आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में शामिल होने वाली रुबी को टिकट मिला है. चन्नी पहली बार दो आरक्षित सीटों चमकौर साहिब और भदौड़ से चुनाव लड़ रहे हैं.
नवांषहर सीट से पिछली बार जीतने वाले कांग्रेस विधायक अंगद सैनी का टिकट भी इस बार कट गया. उनकी पत्नी अदिति सिंह हाल ही में बीजेपी में शामिल हुईं और उनकी पत्नी को बीजेपी ने टिकट दिया है. अंगद सैनी ने काफी कोशिश की, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. उनकी जगह कांग्रेस ने इस सीट से सतबीर सिंह सैनी का टिकट दिया हैं. समराला सीट पर कांग्रेस के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों हैं, लेकिन इस बार उनकी जगह राजा गिल को टिकट मिली है. अब नाराज ढिल्लों निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
सुनाम सीट पर कांग्रेस का युवा चेहरा दमन बाजवा 2017 का चुनाव हार गई थीं, लिहाजा कांग्रेस ने सुनाम से सुरजीत धीमान के बेटे जसविंदर सिंह धीमान को टिकट दिया है. अब बाजवा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर धीमान के खिलाफ पर्चा भरा है. सुरजीत धीमान इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. सुल्तानपुर लोधी सीट पर पार्टी ने मौजूदा विधायक नवतेज चीमा को टिकट दिया है, लेकिन उनके खिलाफ पड़ोसी हलके कपूरथला से कांग्रेस के उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत के बेटे राणा इंद्रप्रताप सिंह चुनाव में खडे हो गए हैं. राणा गुरजीत सिंह ने पहले ही कह दिया था कि उनके बेटे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
तलवंडी साबो से कांग्रेस ने खुषबाज जटाना को टिकट दिया है. पूर्व विधायक और गुरमीत राम रहीम के समधी हरमिंदर जस्सी उनके खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. जस्सी को पिछली बार कांग्रेस ने टिकट दिया था, लेकिन वे हार गए. इस बार उनका पत्ता काट दिया, जिससे वे नाराज हैं. लुधियाना वेस्ट सीट से कैबिनेट मंत्री और मौजूदा विधायक भरतभूषण आशु इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन उनके खिलाफ कांग्रेसी नेता किशन कुमार बावा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. खडूर साहिब सीट तरनतारन जिले में है. इस सीट पर बगाबत की कहानी और भी दिलचस्प है.
कांग्रेस ने दो बार के विधायक रमणजीत सिंह सिक्की को टिकट दिया. इससे पहले कि सिक्की नामाकंन पत्र दाखिल करते, खडूर साहिब से कांग्रेस के सांसद जसबीर सिंह डिंपा ने अपने बेटा या भाई को टिकट दिलाने के लिए बिसात बिछाई. डिंपा ने पहले आम आदमी पार्टी से सेटिंग की कि खडूर साहिब सीट से उनके छोटे भाई हरपिंदर सिंह राजन को टिकट दे लेकिन आम आदमी पार्टी ने दो दिन इंतजार करने के बाद अपना उम्मीदवार दे दिया, तो सांसद ने पार्टी हाईकमान पर सिटिंग एमएलए की बजाय अपने भाई को टिकट देने का दबाव बनाया.विधायक रमणजीत सिक्की ने दो नॉमिनेशन पेपर फाइल किए. एक कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर और दूसरा निर्दलीय.
सिक्की को लगा कि कांग्रेस ने उनका टिकट बदल दिया तो वो आजाद उम्मीदवार के तौर पर लड़ेंगे और अगर ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस के टिकट पर. इस बीच सांसद जसबीर डिंपा के भाई राजन ने भी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर दिया.राजन को उम्मीद थी कि नॉमिनेशन के आखिरी दिन पार्टी उनको टिकट दे देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और राजन का नामांकन पत्र चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया.राजन ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार की ओर से पर्चा भरा था इसलिए टिकट ना मिल पाने के कारण उनकी दावेदारी झूठी साबित हुई. आयाोग ने सिक्की के नॉमिनेशन को वैध ठहराया.