Punjab Election Result 2022: शिरोमणि अकाली दल का सबसे मजबूत किला ढहा, लांबी से पहली बार हारे प्रकाश सिंह बादल
Punjab Assembly Election Result: पंजाब की लांबी में भी चौंकाने वाला परिणाम सामने आया है. यहां पांच बार के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल को आप उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुदियां ने हराया.
Punjab Election Result: पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को करारा झटका लगा है. जनता ने इस बार आम आदमी पार्टी पर अपना भरोसा जताया है. आम आदमी पार्टी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है. पंजाब की सबसे सुरक्षित सीट लंबी में भी चौंकाने वाला परिणाम सामने आया है. यहां पांच बार के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुदियां ने करीब 9000 वोटों से हराया. चुनाव से पहले गुरमीत सिंह खुदियां कांग्रेस छोड़ कर आम आदमी पार्टी शामिल हुए थे. उन्हें पार्टी ने दूसरी लिस्ट में अपना उम्मीदवार घोषित किया था.
शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल लांबी सीट से 10 बार चुनाव जीते थे. लेकिन इस चुनाव में शिरोमणि अकाली दल का सबसे मजबूत किला ढह गया. ऐसा पहली बार हुआ है जब ने चुनाव हारे हैं.94 साल की उम्र में भी प्रकाश सिंह बादल एक्टिव पॉलिटिक्स का हिस्सा हैं.
'आप' में शामिल हुए थे गुरमीत सिंह खुदियां
आम आदमी पार्टी में शामिल हुए गुरमीत सिंह खुदियां के पिता पूर्व लोकसभा सदस्य जगदेव सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. गुरमीत सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. उनका स्वागत आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान, पंजाब मामलों के सह प्रभारी और दिल्ली से विधायक राघव चड्ढा ने किया था. इस चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल को 11,357 मतों के अंतर से हराया.
चुनाव जीतने के बाद गुरमीत सिंह खुदियां ने कही ये बात
चुनाव जीतने के बाद गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा, "केजरीवाल जी ने मुझे लांबी से टिकट दिया क्योंकि वह जानते थे कि मैं प्रकाश सिंह बादल से मुकाबला कर सकता हूं. बता दें कि खुदियां करीब तीस साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे और मुक्तसर जिले में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे. खुदियां अपनी पार्टी में हमेशा मुखर रहे हैं और उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार के पूर्ण बहुमत से जीतने के बावजूद पुलिस थानों, स्थानीय कार्यालयों आदि में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नहीं सुना जा रहा था.
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