नई दिल्लीः 2014 में बीजेपी की जीत की एक बड़ी वजह नरेंद्र मोदी की हिंदुत्व ब्रांड वाली छवि थी. उस समय माना गया कि सेक्युलर ठप्पे के कारण हिंदू वोटर कांग्रेस से दूर हो गए. अब इन विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने कांग्रेस की इस छवि को तोड़ने के लिए काफी मेहनत की है. गुजरात से कर्नाटक और फिर मध्यप्रदेश से राजस्थान तक राहुल के मंदिर दौरे काफी चर्चा में रहे. सवाल है कि क्या कांग्रेस को इसी मंदिर पॉलिटिक्स और सॉफ्ट हिंदुत्व का फायदा मिला और यही 2019 में बीजेपी के लिए चैलेंज होगा.
राहुल के सारे मंदिर दौरों को देखें तो बड़े चुनावी राज्य में उन्होंने अहम मंदिरों का दौरा किया और अपनी हिंदुत्ववादी छवि बनाने की कोशिश की. इन दौरों के दौरान उन्होंने अपने हमेश से हिंदुवादी होने से जुड़ी कुछ बातें भी कहीं मसलन मेरी दादी और मेरा परिवार शिवभक्त है. हम इन चीजों को निजी रखते हैं और इनके बारे में बोलते नहीं हैं. क्योंकि हमें लगता है जो हमारा धर्म है वो हमारी चीज है.
कभी जनेऊधारी हिंदू, शिवभक्त तो कभी रामभक्त के तौर पर प्रचार
ठीक एक साल पहले राहुल ने गुजरात चुनाव में अपने शिवभक्त होने का ऐलान किया था लेकिन धर्म को निजी मामला बताया था. हालांकि उसके बाद हर चुनाव में राहुल ने इस निजी मामले की जमकर नुमाइश की. मध्य प्रदेश से राजस्थान तक मंदिर के चक्कर लगाये. खुद को जनेऊधारी हिंदू, शिवभक्त तो कभी रामभक्त के तौर पर प्रचारित किया.
बीजेपी के उकसाने पर बताया गोत्र
जब बीजेपी के संबित पात्रा ने पूछा कि राहुल गांधी का क्या गोत्र है तो बीजेपी के बार बार उकसाने पर पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में राहुल ने अपना गोत्र भी बता दिया. मंदिर के पुजारी ने बताया कि राहुल गांधी ने अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया है और वो कश्मीरी ब्राह्मण हैं. हालांकि पुष्कर में गोत्र बताने के बावजूद कांग्रेस हार गई लेकिन राहुल की मंदिर पॉलिटिक्स तीनों राज्यों में काम कर गई.
जहां-जहां राहुल गांधी मंदिरों में गए वहां सीटों पर कैसा असर पड़ा तो पता चलता है कि-
मध्य प्रदेश में राहुल गांधी 5 मंदिरो में गए जिनका असर 28 सीटों पर था, उनमें से 13 पर कांग्रेस जीती है.
राजस्थान में भी राहुल गांधी 28 सीटों पर असर वाले 3 मंदिरों में गए वहां भी 12 में कांग्रेस को जीत मिली.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अध्यक्ष 2 मंदिरों में गए, जिनका असर 12 सीटों पर था, इनमें से 10 कांग्रेस के पास आईं.
कांग्रेस ने मुस्लिम कार्ड भी खेला
सिर्फ सॉफ्ट हिंदुत्व ही नहीं कांग्रेस ने मुस्लिम कार्ड भी खेला. कमलनाथ का एक वीडियो भी काफी चर्चा में रहा जिसमें वो कहते दिख रहे थे कि अगर मुसलमान समाज के 90 फीसदी वोट नहीं पड़े तो हमें बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. यानी एक तरफ राहुल हिंदू वोट जुटा रहे थे तो दूसरी ओर बंद कमरों में मुस्लिम वोटों का जुगाड़ भी हो रहा था. इन सबके बीच राम मंदिर की हवा भी बीजेपी को बचा नहीं पायी तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड काम कर रहा है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि राहुल के सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड 2019 में बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड की काट बन सकता है. हिंदुत्व की राजनीति बीजेपी का ब्रह्मास्त्र है लेकिन ऐसा लगता है कि सॉफ्ट हिंदुत्व में मुस्लिम भी कांग्रेस के साथ हैं.
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