जयपुर: राजस्थान में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने अपने सभी उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है. आज नामांकन भरने का आखिरी दिन है. बीजेपी ने चुनाव से पहले ही साफ कर दिया था कि ये चुनाव वो वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ेगी. लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री पद के दावेदार के नाम का एलान नहीं किया है. कहा जा रहा है मुख्यमंत्री के नाम का एलान करने से पार्टी को गुटबाजी का सामना करना पड़ सकता है, जो कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए रखते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे पर खामोशी बरकरार रखी है.


राजस्थान चुनाव के सियासी पंडित सचिन पायलट और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार मान रहे हैं. लेकिन इन दोनों के अलावा भी पार्टी के अंदर गिरिजा व्यास, सीपी जोशी और बागी बीजेपी नेता मानवेंद्र सिंह को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं. आज हम आपको इन पांचों के राजनीतिक पोर्टफोलियो के बारे में बताते हैं.


दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं अशोक गहलोत


अशोक गहलोत को कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार किया जाता है. गहलोत इस वक्त कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव हैं. छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले गहलोत ने सबसे पहले 1980 में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया था. इसके बाद उन्होंने 1984, 1991, 1996 और 1998 में भी लोकसभा चुनाव जीता. साल 1999 में उन्हें राजस्थान के चुनाव में एंट्री की और सरदारपुरा जोधपुर से चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे. वो 1998 से लेकर 2003 और 2008 से लेकर 2013 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे. गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सम्माजनक प्रदर्शन का श्रेय बहुत हद तक उन्हें दिया गया था. इस बार के चुनाव में भी उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है.


सिर्फ 26 साल की उम्र में संसद पहुंचने वाले सबसे युवा नेता हैं सचिन पायलट

सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे राजेश पायटल के बेटे हैं. उनकी शिक्षा विदेश में हुई है. भारत लौटने पर उन्होंने राजनीति में एंट्री करते हुए 2004 में दौसा से लोकसभा का चुनाव लड़ा और संसद भवन पहुंचे. सचिन पायलट सिर्फ 26 साल की उम्र में सांसद बन गए थे. राजस्थान में सचिन पायलट की छवि एक गंभीर और जमीन से जुड़े हुए नेता की है. सचिन अभी युवा हैं इसलिए ये माना जा रहा है कांग्रेस भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की कमान उनके हाथ में दे सकती है.


गिरिजा व्यास- बुद्धिजीवी राजनीतिज्ञ जो अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना जानती हैं


गिरिजा व्यास की छवि एक ऐसे बुद्धिजीवी राजनीतिज्ञ की है जो अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना जानती हैं. वें चार बार लोकसभा सदस्य भी रह चुकी हैं. वो सिर्फ 25 साल की उम्र में ही राजस्थान विधानसभा की सदस्य बन गई थीं. नरसिम्हा राव सरकार में उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और मनमोहन सिंह की यूपीए-2 में शहरी आवास एवं ग़रीबी उन्मूलन मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाली थी. गिरिजा व्यास राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष पद के साथ-साथ लोकसभा में कांग्रेस की मुख्य सचेतक के पद पर भी रहीं हैं. उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उनका नाम भी सीएम रेस में शामिल किया जा रहा है.


सीपी जोशी- एक ऐसा कार्यकर्ता जिसके लिए पार्टी का हित पहले है

सीपी जोशी का पूरा नाम चंद्रप्रकाश जोशी है. सीपी जोशी की छवि पार्टी में एक ऐसे समर्पित कार्यकर्ता की है जो पार्टी के हित के आगे अपने हितों का बलिदान कर देता है. वो राजस्थान की नाथद्वारा विधानसभा सीट से 1980, 1985, 1998 और 2003 चुनाव जीते हैं. इसके अलावा उन्होंने पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली थी. 2014 में वो जयपुर ग्रामीण से लोकसभा का चुनाव हार गए थे. उनके पिछले प्रदर्शन को देखते हुए माना जा रहा है उन्हें इस बार कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.


मानवेंद्र सिह के सहारे कांग्रेस दे सकती है बीजेपी को बड़ा झटका


अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिह के बेटे और बागी बीजेपी नेता मानवेंद्र सिंह के नाम को लेकर उस तरह की अटकले तो नहीं लगाई जा रही है. लेकिन, जिस तरह पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ झालरपाटन सीट से उम्मीदवार बनाया है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि पार्टी उन्हें भी ये बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है. मानवेंद्र सिंह 2014 में बीजेपी की तरफ से बाड़मेर संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य रहे हैं.


कहा जा रहा कांग्रेस राज्य में होने वाली अंदरूनी कलह को टालने के लिए चुनाव से पहले सीएम पद की दावेदारी को टाल रही है. लेकिन साथ ही ये भी माना जा रहा है कि चुनाव जीतने पर इन्हीं पांच बड़े चेहरों में से किसी एक को सूबे की कमान सौंपी जा सकती है.


आपको बता दें की राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए सात दिसंबर को चुनाव होने हैं. इन चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे.


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