जयपुर: राजस्थान में होने वाले आगामी आम चुनाव को लेकर राजनीतिक सर्गमियां उफान पर हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी पूरी ताकत के साथ सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने के लिए चुनावी समर में कूद चुकी हैं. राजस्थान के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले काफी वक्त से किसी भी पार्टी को यहां पर लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का मौका नहीं मिला. राजस्थान में जाति हमेशा से एक ऐसा फैक्टर है जिसके बलबूते यह तय होता है कि किस पार्टी के पास सत्ता की चाबी रहेगी.


राजस्थान में जो भी पार्टी जाति के समीकरण को अपने पक्ष में बैठा लेती है वो सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है. पांच साल बाद एक बार फिर से सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस ने इस बार इस समीकरण का बखूबी ध्यान रखा है. कांग्रेस ने राजस्थान की 200 में से अपने हिस्से की सभी 195 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. इन 195 उम्मीदवारों में जहां कांग्रेस ने 78 नए चेहरों पर दांव खेला है वहीं उन 85 चेहरों पर एक बार फिर से अपना भरोसा दिखाया है जिन्हें उसने साल 2013 में मौका दिया था.


कांग्रेस ने अपने 195 उम्मीदवारों में से 22 उम्मीदवार एक ही परिवार के दूसरी पीढ़ी के सदस्यों को बनाया है. साथ ही इस बार 25 महिलाओं को भी चुनावी समर में उतारा गया है. राजस्थान पत्रिका ने अनुसार इस बार कांग्रेस ने जातीय गणित का ध्यान रखते हुए 33 सीटें जाट, 21 सीटें ब्राह्मण, 15 सीटें मुस्लिम, 15 सीटें राजपूत, 13 सीटें वैश्य, 12 सीटें गुर्जर, 23 सीटें ओबीसी और 63 सीटें पर एससी\एसटी उम्मीदवारों को मौका दिया है.


इन सब के अलावा कांग्रेस ने पांच सीटें अपने सहयोगी दलों को दी है. वहीं केशोरायपाटन, मावली और बीकानेर पश्चिम में उसने अपने उम्मीवार भी बदल दिए. आज नामांकन दाखिल करने का आखिरी तारीख है. आपको बता दें कि राजस्थान की 200 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान होने हैं, जिनके परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे.


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