नई दिल्ली: राजस्थान में जाटों के तेज़ तर्रार नेता हनुमान बेनीवाल इस विधानसभा चुनाव के लिए नई पार्टी बनाने जा रहे हैं. राजपूत VS जाट की राजनीति पर तेजी से पकड़ बनाने वाले बेनीवाल हाल ही में राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में कई हुंकार रैलियां कर चुके हैं. राजस्थान में बेनीवाल तो तीसरा विकल्प देने का दावा करते हैं लेकिन उनकी सियासत का असर आगामी चुनावों में क्या है इसकी पड़ताल हमने की है. बेनीवाल की सियासत के हर पहलू को यहां सिलसिलेवार ढंग से समझिए.


हनुमान बेनीवाल राजस्थान में जगह-जगह घूम रहे हैं. बीते कुछ महीनों में बेनीवाल नागौर, बाड़मेर, बीकानेर और सीकर में बड़ी किसान हुंकार रैलियों के माध्यम से अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं. बेनीवाल 2008 में बीजेपी के टिकट पर खींवसर से विधायक बने. उनकी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नहीं बन पाई और अलग हो गए. साल 2013 में वो खींवसर से निर्दलीय चुने गए.


खींवसर जाट बहुल विधानसभा है. हनुमान बेनीवाल की पुरानी हुंकार रैली के पोस्टर बसों पर अब भी नज़र आते हैं. यहां के रहने वाले मूलसिंह कहते हैं कि बेनीवाल किसानों की बात करते हैं और हमें तीसरा विकल्प चाहिए. कुछ लोगों ने कहा कि वो तीसरा विकल्प देने में कामयाब होंगे. किसानों और सब समुदायों की बात वो उठा रहे हैं.


किसानों ने बताई अपनी समस्या
हनुमान बेनीवाल जाट समुदाय से संबंध रखते हैं. राजस्थान में जाट खेती के काम में बड़ी संख्या में है. शायद यही वजह है कि वो जनता के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए किसान हुंकार रैली कर रहे थे. इलाके में किसानों के हाल क्या हैं ये जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने खींवसर में कपास की खेती करने वाले किसान ठिकूराम से बात की. ठिकूराम ने बताया कि किसानों को फायदा नहीं है नुकसान ही नुकसान है. एक दूसरे किसान रामूराम ने बताया कि बीघा में 5-6 क्विंटल हो जाता है लेकिन फसल आधी हुई है. 12 से 13 हज़ार एक बीघा पर ख़र्चा आ रहा है. 54-55 का रेट सरकार ने तय किया लेकिन कोई सेंटर यहां नहीं है जो इस रेट पर दे सकें. खेती में नुकसान हो रहा है. किसानों को हनुमान बेनीवाल में उम्मीद नज़र आ रही है. किसानों ने कहा हम व्यक्ति को देख रहे हैं.


जानिए, क्या कहते हैं जानकार?
हनुमान बेनीवाल की सियासत पर एबीपी न्यूज़ ने जानकारों से बात की. दैनिक भास्कर जोधपुर में वरिष्ठ पत्रकार भंवर जांगिड़ ने बताया कि हनुमान बेनीवाल जाटों के अग्रेसिव लीडरशिप का नया चेहरा हैं. पिछले 5 सालों में उन्होंने खुद को स्थापित किया है. उनका असर सबसे ज़्यादा असर नागौर में दिखेगा. इसके बाद जोधपुर, बाड़मेर के कुछ जिलों में उनका असर दिख सकता है. बाड़मेर, जोधपुर और नागौर में रैलियां की हैं. इन 27 सीटों में 12 सीटों पर जाट निर्णायक भूमिका में हैं. यहां वो वोट काटने की स्थिति में होंगे.


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भंवर जांगिड़ कहते हैं हनुमान बेनीवाल अपनी सीट निकाल लेंगे लेकिन उनके दूसरे उम्मीदवार जीत दर्ज कर लें ऐसा लगता नहीं है. जांगिड़ मानते हैं कि हनुमान बेनीवाल वोट काटेंगे तो उसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है कि क्योंकि जाट परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर रहा है.


बता दें कि हनुमान बेनीवाल जगह-जगह ट्रैक्टर से प्रचार करने में लगे हैं. रैलियों को सम्बोधित कर रहे हैं. बेनीवाल कांग्रेस-बीजेपी दोनों पर हमलावर हैं और तीसरे मोर्चे की बात कर रहे है. कह रहे हैं कि दोनों ने मिलकर राज्य को लूटा. उनकी बातों का कितना असर होगा यह तो राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा.


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