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राजस्थान विधानसभा चुनाव: कई सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का गणित बिगाड़ने में लगा तीसरा मोर्चा

अपनी नए सियासी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ ताल ठोंक रहे हनुमान बेनीवाल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जी खोलकर आलोचना करते हैं तो जनता खूब तालियां बजाती है.

जोधपुर: राजस्थान का सत्ता सिंहासन यूं तो अब तक कांग्रेस और बीजेपी के सियासी राजवंशों के हाथ रहा है. विधानसभा चुनाव 2018 में सीधा मुकाबला भी इन्हीं दोनों के बीच है. मगर इस बार तीसरे मोर्चे के लड़ाके सियासी बीजेपी और कांग्रेस का सियासी गणित कई सीटों पर गड़बड़ा रहे हैं. मारवाड़ के इलाके की सबसे अहम संसदीय सीट जोधपुर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में यह बीजेपी का अजेय किला है. यह कुछ हद तक ठीक भी है क्योंकि 2003 से लेकर अबतक जोधपुर क्षेत्र की 10 विधानसभा सीटों में से अधिकतर पर बीजेपी का कब्जा है. 2013 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरदारपुरा विधानसभा सीट को छोड़ कांग्रेस को कहीं कामयाबी नहीं मिली. वहीं यह भी सही है कि तमाम कोशिशों के बावजूद सरदारपुरा का किला बीजेपी नहीं भेद पाई है.

मारवाड़ के इलाके में चल रहे चुनावी युद्ध में कोई विभीषण नहीं बल्कि एक बागी 'हनुमान' बीजेपी की सियासी स्वर्ण नगरी में आग लगा रहे हैं. दरअसल, हनुमान बेनीवाल मारवाड़ ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में एक नए भीड़ जुटाऊ नेता के तौर पर उभरे हैं. जाति से जाट, बेनीवाल किसानों की 100 फीसद कर्जमाफी, मुफ्त बिजली, सड़क टोल खत्म करने और उनके बच्चों के लिए आरक्षण जैसी बातें करते हैं जो लोगों को लुभाती है.

अपनी नए सियासी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ ताल ठोंक रहे हनुमान बेनीवाल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जी खोलकर आलोचना करते हैं तो जनता खूब तालियां बजाती है. बेनीवाल ने 57 सीटों पर अपनी उम्मीदवार उतारे हैं और हेलीकॉप्टर से प्रचार कर रहे हैं.

साल 2008 में बीजेपी के टिकट पर जीते हनुमान बेनीवाल की वसुंधरा राजे से नहीं बनी और वो बागी हो गए. विधानसभा चुनाव 2013 निर्दलीय खड़े हुए और जीते. उसके बाद बेनीवाल ने राजस्थान में कई किसान हुंकार रैलियां की और चुनाव से ऐन पहले अपनी पार्टी लांच कर दी.

बेनीवाल यह जानते हैं कि मारवाड़ इलाके की 43 विधानसभा सीटों पर जाट एक निर्णायक वोटर है. आज़ादी के बाद से राजपुताना के बड़े किसान आंदोलनों की अगुवाई भी जाट ही करते रहे हैं. लिहाज़ा 20 फीसद से अधिक की जाट आबादी किसी भी पार्टी की लॉटरी खोल सकती है.

बीजेपी के बागी हनुमान बेनीवाल के तेवरों की जमीन देखने के लिए जोधपुर से 40 किमी दूर डांग्यवास गांव में एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल की. शाम साढ़े पांच बजे सभा होने वाली थी जिसके लिए लोग दोपहर 2 बजे से इंतज़ार कर रहे थे. उनमें से ज़्यादातर उस हेलीकॉप्टर को देखने के लिए आये थे जिससे बेनीवाल प्रचार कर रहे हैं. नेता के इंतज़ार के दौरान स्थानीय पार्टी उम्मीदवार और उसके समर्थक मंच पर हनुमान बेनीवाल के लिए महौल बना रहे हैं.

वहीं हवा में उड़ता ड्रोन कैमरा लोगों के आकर्षण का केंद्र है तो साथ ही उससे खींची जा रही तस्वीरें सोशल मीडिया पर बेनीवाल के प्रचार में अहम हथियार बनते हैं. सभा के इंतज़ार में बैठे युवाओं ने कहा कि हम रोज़ हनुमान भैया के वीडियो फेसबुक और यूट्यूब पे देखते हैं.

सभा को सुनने आए किसान कहते हैं कि उनके मुद्दों की कोई सुनवाई नहीं है. उन्हें अपनी फसल का न तो दाम मिलता है और न कर्ज़ माफ होता है. हनुमान बेनीवाल का समर्थन इसीलिए कर रहे हैं ताकि किसानों की समस्याओं की सुनवाई हो सके. हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर मुफ्त बिजली की उनकी मांग पूरी कैसे हो सकती है?

हालांकि खुद को धारा के विपरीत और जनता की आवाज़ पर खड़ा नेता बताने वाले हनुमान बेनीवाल वादों की झड़ी लगाने से नहीं झिझकते हैं. उसके भाषणों में केवल जाटों की नहीं बल्कि राजपूत, बिश्नोई, ब्राह्मण, मेघवाल, मेड़ता और मुसलमान समेत उन सभी का ज़िक्र होता है जो खेती-किसानी करते हैं. किसान का दर्द इन दिनों ऐसी आसान सीढ़ी नज़र आ रहा है जिसके सहारे हर कोई सत्ता की टेकरी चढ़ना चाह रहा है. कांग्रेस राजस्थान में 10 दिनों के भीतर कर्ज़ माफ करने की बात कह रही है तो बीजेपी किसान-हितैषी फैसलों की फेहरिस्त गिनाते हुए उनकी आय दुगना करने का वादा कर रही है.

घण्टों के इंतज़ार के बाद जब मूंग उत्पादन क्षेत्र में आने वाले डांग्यवास में हनुमान बेनीवल के सभास्थल पहुंचते ही भीड़ उमड़ पड़ी. खासतौर पर युवा इसमें बड़ी संख्या में थे. किसानों के लिए हक छीनकर लेने और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के समर्थन के बिना किसी की सरकार न बनने देने की बात बेनीवाल ने की. बेनीवाल अपने भाषण के दौरान थोड़ी-थोड़ी देर में बोतल से पानी पीना नहीं भूलते जो पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है. साथ ही उनके भाषण में कई बार उस हेलीकॉप्टर का ज़िक्र आता हैं जिससे वो घूम-घूमकर सभाएं कर रहे हैं.

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में हनुमान बेनीवाल ने कहा कि वो राजस्थान की जनता को तीसरा विकल्प देना चाहते हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं. कांग्रेस के दस दिन में कर्जमाफी और बीजेपी के वादों पर पूछने पर बेनीवाल कहते कहते हैं कि यह पप्पू और गप्पू की जोड़ी है. लेकिन जनता इनको सबक सिखाएगी.

अगर चुनावी मैदान में मौजूद दलों की संख्या को कोई पैमाना माना जाए तो इस बार ज़मीनी तस्वीर पहले से कुछ अलग है. इस बार सबसे ज़्यादा 88 पार्टियां मैदान में हैं. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 33 दलों के उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. यानी पिछली बार के मुकाबले 56 छोटे दल इस बार मैदान में हैं.

राजस्थान के सियासी खेत में तीसरे मोर्चे की फसल के लिए जुताई करने वालों में बेनीवाल अकेले नहीं हैं. बीजेपी के ही अन्य बागी घनश्याम तिवाड़ी भी भारत वाहिनी पार्टी के साथ मैदान में हैं जिन्होंने चुनाव में 63 उम्मीदवार उतारे हैं. हनुमान और घनश्याम दोनों ही न केवल वसुंधरा के चुनावी रथ का रास्ता रोकने में लगे हैं बल्कि राजस्थान की राजनीति में तीसरे मोर्चे के लिए नया दरवाजा खोलने में लगे हैं. राजस्थान के राजनीतिक रण का इतिहास बताता है कि यहां वाम दलों से लेकर बीएसपी तक कई ताकतें किस्मत आज़माती रही. मगर इक्का-दुक्का सीटों को छोड़कर किसी तीसरी ताकत को कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है.

7 दिसम्बर को होने वाला मतदान में बागियों के इन तेवरों की भी परीक्षा होगी जो तय करेगी कि राजस्थान के सत्ता गढ़ में किसी तीसरी ताकत की सेंध लगेगी या नहीं.

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