Rajasthan Assembly Election and BJP: इस साल नवंबर-दिसंबर में देश के पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम) में चुनाव होने हैं. चुनाव की तैयारियों में सभी राजनीतिक दल जुट गए हैं. केंद्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) इन सभी राज्यों में जीत दर्ज करना चाहती है, लेकिन उसके लिए इसमें से तीन राज्यों में काफी चुनौतियां हैं.


बड़ी बात ये है कि ये चुनौतियां सबसे ज्यादा बाहर की जगह पार्टी के अंदर से और इन राज्यों के पूर्व सीएम से ही मिल रही है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, इन तीनों जगह की कहानी एक जैसी है. आइए जानते हैं आखिर कैसे ये नेता अपनी ही पार्टी के लिए चुनौती बन रहे हैं.


मध्य प्रदेश में उमा भारती से मिल रहीं टेंशन


मध्य प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधया के कई विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने के बाद सरकार गिर गई थी और बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान ने सीएम पद ग्रहण किया था. पार्टी यहां अपनी कुर्सी बचाए रखना चाह रही है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. दरअसल, यहां उमा भारती खेल बिगाड़ सकती हैं. काफी समय से वह पार्टी से नाराज चल रही हैं.


प्रदेश में जब कुछ दिन पहले बीजेपी ने जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की, तो उमा भारती ने इसकी निंदा की थी. उन्होंने कहा था कि इस यात्रा में पार्टी ने बुलाया तक नहीं. सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही सरकार नहीं बनवाई है. इससे पहले मैंने भी प्रदेश में एक बार बीजेपी की सरकार बनवाई थी. इसलिए नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.


भारती ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कहा, साल 2024 के आम चुनाव में खड़ा होने के लिए तैयार हूं, अगर शिवराज कहेंगे तो प्रचार भी करूंगी. एक्सपर्ट बताते हैं कि मंत्रालय से लेकर पार्टी में जिम्मेदारी तक में बीजेपी उमा भारती को साइडलाइन कर रही है. एक बार प्रदेश की सीएम रह चुकीं उमा अपने घटते कद से नाराज नाराज हैं. प्रदेश में उनका ठीक ठाक वोट बैंक है. ऐसे में अगर उमा नाराज रहती हैं तो बीजेपी को नुकसान पहुंच सकता है.


छत्तीसगढ़ में रमन सिंह चल रहे नाराज


छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. यहां बीजपी कई मोर्चों पर लड़ रही है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रदेश में अभी बीजेपी के पास कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो अपने दम पर जीत दिला सके. बीजेपी के रमन सिंह यहां 15 साल तक सीएम रहे, लेकिन जनता के बीच अब भी उनकी उतनी पकड़ नहीं है. इसके अलावा कई साल से रमन सिंह खुद भी प्रदेश की राजनीति से दूरी बनाए नजर आ रहे हैं. रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 में मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस से हार मिली थी. इसके बाद से पार्टी में वह लगातार किनारे पर हैं. ऐसे में बीजेपी को बिना किसी बड़े चेहरे के चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.


राजस्थान में वसुंधरा राजे की चुनौती


बीजेपी राजस्थान में भी सत्ता में वापस आना चाहती है, लेकिन यहां भी बीजेपी में उठापटक चल रही है. यहां पार्टी को 2018 में हार मिली थी. तब बीजेपी वसुंधरा राजे की अगुवाई में चुनाव में उतरी थी. इस हार के बाद से ही वसुंधरा राजे को पार्टी आलाकमान ने किनारे लगाना शुरू कर दिया था. इसके अलावा वसुंधरा राजे की कई स्थानीय बीजेपी नेताओं से भी खटपट जगजाहिर है.


एक्सपर्ट मानते हैं कि वसुंधरा राजे को लेकर पार्टी भी असमंजस में है. न उन्हें आगे किया जा राह है और न सीएम फेस घोषित किया जा रहा है. अगर समय रहते पार्टी वसुंधरा राजे को लेकर स्थिति साफ नहीं करेगी तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. वसुंधरा का प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से 60 सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव है.


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