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Rajasthan Election 2023: क्या कल्याणकारी योजनाओं के दम पर राजस्थान में जीत दोहराएगी कांग्रेस या गहलोत-पायलट संघर्ष पड़ेगा भारी? यहां समझिए पूरा गणित
Election News: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं. इन्हीं के दम पर वह फिर से जीत का दावा कर रहे हैं. वहीं BJP करप्शन के मुद्दे को उठा रही है.
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में आगामी विधानसभा के लिए मतदान 25 नवंबर को होगा. यहां मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. बीजेपी जहां सत्ता में वापसी का दावा कर रही है, तो कांग्रेस सीएम अशोक गहलोत की ओर से कराए गए कामों के आधार पर जीत के लिए आश्वस्त है.
यहां हम जानेंगे कि क्या राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार की ओर से शुरू की गई व्यापक कल्याणकारी योजनाएं राज्य में कांग्रेस पार्टी की जीत सुनिश्चित कर सकती हैं या फिर मौजूदा गहलोत-पायलट संघर्ष पार्टी पर भारी पड़ेगा. इसे सही से समझने के लिए जानते हैं कांग्रेस की खूबियां, कमियां और अन्य खास बात.
ये है कांग्रेस के लिए ताकत
- तीन बार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जनता तक व्यापक पहुंच है. वह लोगों से लगातार जनसंपर्क करते रहते हैं. उनकी यह खासियत चुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाएं बढ़ा रही हैं.
- राज्य में हाशिए पर होने के बावजूद पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का करिश्मा प्रदेश में बना हुआ है. आज भी यहां के युवाओं के बीच उनका अच्छा खासा प्रभाव है. वह युवा वोटरों को पार्टी की तरफ ला सकते हैं.
- पार्टी के पास कल्याणकारी योजनाओं की एक लंबी लिस्ट है. इसमें 25 लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस प्रोग्राम, मनरेगा के समान शहरी रोजगार योजना, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए किफायती रसोई गैस सिलेंडर, महिलाओं के लिए मुफ्त स्मार्टफोन का प्रावधान और एक सामाजिक सुरक्षा भत्ता शामिल है.
ये है कांग्रेस की कमजोरी
- कांग्रेस के इस पूरे कार्यकाल में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही अंदरूनी कलह जगजाहिर रही है. बेशक पार्टी अब सबकुछ सही होने का दावा करे, लेकिन समय-समय पर अब भी दोनों की टकराहट नजर आती है. ऐसे में इस टकराहट से पार्टी को नुकसान भी पहुंच सकता है.
- पार्टी का संगठनात्मक ढांचा उतना मजबूत नहीं हो पाया है जितना हो सकता था. यहां कई पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति इसी साल जुलाई में हुई, इस वजह से उनके पास चुनाव से पहले सामंजस्य बिठाने के लिए पार्याप्त समय नहीं बचा.
- कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार के कई मामले आए. जैसे पेपर लीक से संबंधित आरोप, एक बर्खास्त मंत्री की ओर से वित्तीय अनियमितताओं के सबूत वाली "लाल डायरी" दिखाने का मामला आदि. इन सबसे पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है.
ये है कांग्रेस के लिए अच्छी बात
- पुरानी पेंशन योजना की बहाली से लगभग सात लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों को लाभ होगा. ऐसे में कांग्रेस को इसका लाभ मिल सकता है.
- राजस्थान बीजेपी के अंदर काफी अंदरूनी कलह चल रही है. वसुंधरा राजे के समर्थक लगातार अपनी ही पार्टी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. अगर यह सब कुछ वोटिंग तक चला तो कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है और वसुंधरा के समर्थक कांग्रेस के साथ जा सकते हैं.
- कांग्रेस मतदाताओं को यह विश्वास दिलाकर चुनिंदा जिलों में बढ़त हासिल कर सकती है कि केंद्र में भाजपा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को प्राथमिकता नहीं दे रही है.
इन बातों से कांग्रेस सरकार को खतरा
- अगर राज्य के चुनावी इतिहास को देखें तो यहां हर पांच साल पर सत्ता बदलती है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच यह पांच-पांच साल रोटेट हुआ है. अगर यह इस बार भी हुआ तो कांग्रेस सत्ता से बाहर हो सकती है.
- भाजपा राज्य सरकार पर मुसलमानों के प्रति तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने ला सकती है. इससे उसे हिंदू वोट का फायदा मिल सकता है.
- राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य पर असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की मौजूदगी संभावित रूप से कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटों को विभाजित कर सकती है. इससे कांग्रेस को ही नुकसान पहुंच सकता है.
- इसके अतिरिक्त, नवगठित भारतीय आदिवासी पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में चुनौतियां पेश कर सकती है, इसका भी कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.
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तहसीन मुनव्वरवरिष्ठ पत्रकार
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